अभिनेता सूर्या ने पिता शिवकुमार के लिए किया भावुक पोस्ट ,कहा -'हमें आप पर गर्व है'
इस सम्मान का जिक्र करते हुए सूर्या ने एक्स पर लिखा, “पैशन कला को कालातीत बनाता है। मेरे पिता का वाटर कलर और स्पॉट पेंटिंग के प्रति निःस्वार्थ प्रेम अब भारतीय डाक विभाग के पोस्टकार्ड के रूप में अमर हो चुका है। आज और भी अधिक गर्व है अप्पा।"
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अभिनेता सूर्या ने अपने पिता के लिए सोशल मीडिया पर एक भावनात्मक पोस्ट शेयर किया, जिसमें उन्होंने कहा कि एक्टर को उन पर गर्व है।
भारतीय डाक विभाग ने अभिनेता के पिता शिवकुमार की पेंटिंग्स का एक पिक्चर पोस्टकार्ड एल्बम जारी किया है।
हाल ही में डाक विभाग ने टैनापेक्स 2025 के उद्घाटन समारोह के दौरान अभिनेता और कलाकार शिवकुमार के चित्रों पर आधारित ‘तमिलनाडु 1960’ नाम से एक पिक्चर पोस्टकार्ड एल्बम रिलीज किया।
इस सम्मान का जिक्र करते हुए सूर्या ने एक्स पर लिखा, “पैशन कला को कालातीत बनाता है। मेरे पिता का वाटर कलर और स्पॉट पेंटिंग के प्रति निःस्वार्थ प्रेम अब भारतीय डाक विभाग के पोस्टकार्ड के रूप में अमर हो चुका है। आज और भी अधिक गर्व है अप्पा।"
चेन्नई सिटी रीजन के पोस्टमास्टर जनरल ने पोस्टकार्ड एल्बम जारी किया है, जिसमें शिवकुमार की बनाई राज्य भर के विभिन्न स्थानों की पेंटिंग शामिल हैं, जिनमें माउंट रोड पर प्रसिद्ध एलआईसी बिल्डिंग, विश्व प्रसिद्ध तंजौर मंदिर जिसे बृहदेश्वर मंदिर के नाम से भी जाना जाता है, तिरुचिरापल्ली रॉक किला, धुन बिल्डिंग, महाबलीपुरम रथ, एकंबरेश्वर मंदिर, गिंगी किला, तिरुवन्नामलाई मंदिर, पांडिचेरी डुप्लेक्स स्ट्रीट, मदुरै मीनाक्षी मंदिर, कोरटालम झरने के साथ केप कोमोरिन भी शामिल है।
सूर्या के पिता शिवकुमार एक कलाकार और चित्रकार बनने की महत्वाकांक्षा के साथ चेन्नई आए थे। इसके बाद उन्होंने अभिनय की दुनिया में कदम रखा और अभिनेता बन गए।
“Passion makes art timeless”. My dad’s selfless love for watercolor and spot painting is now immortalized as postcards by the Indian Postal Department. Even more proud today Appa. #ActorSivakumar #PostCards #1960s pic.twitter.com/Y6dBUfbtvA
— Suriya Sivakumar (@Suriya_offl) January 29, 2025
एक पुराने इंटरव्यू में अनुभवी अभिनेता और कलाकार ने खुलासा किया था कि जब वह यंग थे और चेन्नई आए थे, तो उनके पास गुजारा करने के लिए बहुत कम पैसे थे, लेकिन उनके पास बड़े आदर्श थे और वे बड़ा आदमी बनने के लिए दृढ़ थे।
महाबलीपुरम की अपनी पेंटिंग के बारे में बात करते हुए शिवकुमार ने बताया था कि 1961 में चेन्नई से महाबलीपुरम की यात्रा करने के लिए उनके पास पर्याप्त पैसे नहीं थे, इसलिए सेनापति नाम के एक मित्र के साथ उन्होंने साइकिल से यात्रा की। चेन्नई से 56 किलोमीटर दूर महाबलीपुरम में उन्हें समुद्र तट को चित्रित करने में तीन से चार घंटे लगे। कई अन्य चित्रों को स्केच करने के बाद, दोनों एक और पहाड़ी की चोटी पर चले गए और वहां से चेंगलपेट पहुंचे। इसके बाद वे साइकिल से चेन्नई लौट आए।
Input: IANS
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