Advertisement

क्या BRICS करेंसी पर बनेगी बात ? डॉलर की बादशाहत को कुचलने की तैयारी में मोदी-जिनपिंग-पुतिन!

22 से 24 अक्टूबर के बीच रूस के कजान में आयोजित ब्रिक्स समिट में शामिल सभी देश अपनी आपसी सहमति से गोल्ड बैक ब्रिक्स करेंसी शुरू करने पर चर्चा कर सकते हैं। इनमें मोदी-जिनपिंग-पुतिन की मुलाकात पर सबसे ज्यादा नजर होगी।

22 Oct, 2024
( Updated: 22 Oct, 2024
06:00 PM )
क्या BRICS करेंसी पर बनेगी बात ? डॉलर की बादशाहत को कुचलने की तैयारी में  मोदी-जिनपिंग-पुतिन!
22 अक्टूबर से रूस के कजान शहर में 16वें ब्रिक्स सम्मेलन का आयोजन होने जा रहा है। इस समिट में हिस्सा लेने के लिए देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहुंच चुके हैं। G-7 प्रभावशाली समूह की तुलना में ब्रिक्स  नया जरूर है। लेकिन इस समिट में कई ऐसे फैसले हैं। जिस पर मुहर लगती रही है। ऐसे में इस बार भी इस बात की उम्मीद जताई जा रही है कि बार भी कुछ नया होगा। इनमें इस बात की चर्चा जोरों पर है कि अमेरिकी डॉलर की बादशाहत को कम करने के लिए ब्रिक्स करेंसी पर बात हो सकती है। बता दें कि ब्रिक्स एक ऐसी करेंसी शुरू करना चाहता है। जो अमेरिकी डॉलर को कड़ी टक्कर दे सके।

अमेरिकी डॉलर के बादशाहत को खत्म करेगा ब्रिक्स करेंसी 


ब्रिक्स देश खुद की अपनी एक रिजर्व करेंसी शुरू करना चाहते हैं। इस करेंसी को लॉन्च करने का मकसद दुनिया में अमेरिकी डॉलर के प्रभुत्व को कम किया जा सके। 22 से 24 अक्टूबर के बीच रूस के कजान में आयोजित ब्रिक्स समिट में शामिल सभी देश अपनी आपसी सहमति से गोल्ड बैक ब्रिक्स करेंसी शुरू करने पर चर्चा कर सकते हैं। चीन- अमेरिका के बीच चल रहे ट्रेड वॉर और रूस- चीन के बीच अमेरिकी प्रतिबंधों के बीच ब्रिक्स देशों में इस करेंसी को लेकर बात बन जाती है। तो अंतरराष्ट्रीय बाजार में वित्तीय सिस्टम को चुनौती देने के लिए ब्रिक्स सदस्य देशों की आर्थिक ताकत बढ़ सकती है। 
 

ब्रिक्स देश आखिर क्यों लाना चाहते हैं करेंसी ? 


दरअसल नई करेंसी लाने के कई सारे कारण है। हाल ही में उत्पन्न हुई वैश्विक वित्तीय चुनौतियां और अमेरिका की आक्रामक विदेश नीतियों की वजह से इस करेंसी को लाने की जरूरत पड़ी है। सभी ब्रिक्स देश चाहते हैं कि अमेरिकी डॉलर और यूरो पर वैश्विक निर्भरता कम कर सके। इससे पहले साल 2022 में 14वें ब्रिक्स समिट के दौरान इस नई करेंसी पर चर्चा हुई थी। उसे समय रूस के राष्ट्रपति ने कहा था कि ब्रिक्स देश नई वैश्विक करेंसी शुरू करने की योजना बना रहे हैं। इसके बाद साल 2023 ब्राजील के राष्ट्रपति इनासियो लूला डी सिल्वा ने भी अपनी सहमति जताते हुए कहा था कि ब्रिक्स बैंक जैसे संस्थान के पास ब्राजील और चीन या फिर ब्राजील अन्य ब्रिक्स देशों के बीच ट्रेड करने के लिए नई करेंसी पर क्यों नहीं बात सकते ? वहीं दक्षिण अफ्रीका के ब्रिक्स एंबेसडर अनिल शुकलाल ने कहा कि 40 देशों ने ब्रिक्स में शामिल होने की इच्छा जताई थी। इनमें साल 2023 में अर्जेंटीना,ईरान,सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात,इथोयोपिया जैसे 6 देशों को आमंत्रित किया गया था और यह सभी देश जनवरी 2024 ब्रिक्स में शामिल हो गए थे। 

अमेरिकी डॉलर के बादशाहत को कैसे खत्म करेगा ब्रिक्स करेंसी 


बीते कई दशकों से अंतरराष्ट्रीय बाजार में अमेरिकी डॉलर का वर्चस्व कोई रहा है। यूएस फेडरल के आंकड़ों के मुताबिक साल 1999 से लेकर 2019 तक अमेरिका में 96 फीसदी अंतर्राष्ट्रीय कारोबार अमेरिकी डॉलर में हुआ। 
वहीं एशिया प्रशांत क्षेत्र में 74 फीसदी कारोबार डॉलर में बाकी दुनिया में 79 फ़ीसदी व्यापार अमेरिकी डॉलर में हुआ है। हालांकि हाल के कुछ सालों में डॉलर का रिजर्व करेंसी का शेयर घटा है। यूरो और येन करेंसी की लोकप्रियता बढ़ी है। लेकिन वैश्विक स्तर पर अभी भी डॉलर काफी मजबूत है। वहीं कई
एक्सपर्ट्स का मानना है। कि अगर कारोबार के लिए ब्रिक्स देश डॉलर के बजाए नई ब्रिक्स करेंसी का इस्तेमाल करने लगेंगे। तो इससे प्रतिबंध लगाने की अमेरिका की ताकत पर असर पड़ सकता है। ऐसे में डॉलर का मूल्य यकीनन घटेगा।

ब्रिक्स करेंसी आने से इन क्षेत्रों पर पड़ेगा असर 


इनमें तेल और गैस,बैंकिंग और फाइनेंस कमोडिटीज,अंतर्राष्ट्रीय,टेक्नोलॉजी,टूरिज्म एंड ट्रैवल,फॉरेन एक्सचेंज मार्केट में इन क्षेत्रों में काफी असर पड़ेगा।

यह भी पढ़ें

Tags

Advertisement

टिप्पणियाँ 0

LIVE
Advertisement
Podcast video
अल फ़तह का चीफ़ है फारुख अब्दुला, दिल्ली धमाके से जुड़े तार
Advertisement
Advertisement
Close
ADVERTISEMENT
NewsNMF
NMF App
Download
शॉर्ट्स
वेब स्टोरीज़
होम वीडियो खोजें