Advertisement

बर्मिंघम पैलेस में क्यों छाई हैं मुना शम्सुद्दीन? जानें आखिर कौन है किंग चार्ल्स की सबसे भरोसेमंद सहयोगी?

ब्रिटेन की शाही व्यवस्था में एक भारतीय चेहरा इन दिनों चर्चा का केंद्र बना हुआ है। केरल मूल की मुना शम्सुद्दीन को किंग चार्ल्स III का सहायक निजी सचिव नियुक्त किया गया है। इससे पहले वे ब्रिटेन के विदेश, राष्ट्रमंडल और विकास कार्यालय में कार्यरत थीं। मुना की पढ़ाई नॉटिंघम यूनिवर्सिटी से हुई और वे ब्रिटिश विदेश सेवा में महत्वपूर्ण पदों पर रही हैं।

बर्मिंघम पैलेस में क्यों छाई हैं मुना शम्सुद्दीन? जानें आखिर कौन है किंग चार्ल्स की सबसे भरोसेमंद सहयोगी?
ब्रिटेन के शाही घराने में एक भारतीय नाम इन दिनों चर्चा का केंद्र बना हुआ है—मुना शम्सुद्दीन। केरल मूल की यह प्रतिभाशाली महिला किंग चार्ल्स तृतीय की सहायक निजी सचिव के रूप में नियुक्त की गई हैं। बर्मिंघम पैलेस में उनके कार्यों और व्यक्तित्व की हर कोई तारीफ कर रहा है। लेकिन कौन हैं मुना शम्सुद्दीन? कैसे उन्होंने ब्रिटेन के राजमहल तक का सफर तय किया? आइए, इस रोचक यात्रा को विस्तार से जानते हैं।

केरल से बकिंघम पैलेस तक का सफर

मुना शम्सुद्दीन का जन्म भारत के केरल राज्य के कासरगोड जिले में हुआ। उनके पिता, स्वर्गीय डॉ. पुथ्यापुरयिल शम्सुद्दीन, एक जाने-माने वकील थे, जिनका समाज में काफी सम्मान था। एक मध्यमवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखने वाली मुना की शिक्षा हमेशा से उच्च स्तर की रही। उन्होंने ब्रिटेन के प्रतिष्ठित नॉटिंघम विश्वविद्यालय से गणित और इंजीनियरिंग में स्नातक किया, जिसके बाद वे ब्रिटिश प्रशासनिक सेवाओं से जुड़ गईं।

उनकी योग्यता और अनुभव ने उन्हें ब्रिटेन के विदेश, राष्ट्रमंडल और विकास कार्यालय (FCDO) में एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाया। यहां उन्होंने विभिन्न देशों में राजनयिक के रूप में कार्य किया और अपने कौशल का प्रदर्शन किया। उनकी कुशलता और नेतृत्व क्षमता को देखते हुए अगस्त 2023 में उन्हें किंग चार्ल्स तृतीय के सहायक निजी सचिव के रूप में नियुक्त किया गया।

शाही परिवार में एक महत्वपूर्ण भूमिका

किंग चार्ल्स तृतीय के लिए सहायक निजी सचिव की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण होती है। इस पद पर रहते हुए मुना शम्सुद्दीन राजा के सभी आधिकारिक कार्यक्रमों की देखरेख करती हैं। इसके अलावा, वे किंग चार्ल्स के साथ विदेश यात्राओं पर भी जाती हैं, जहां वे शाही परिवार की नीतियों और ब्रिटिश सरकार के दृष्टिकोण को सही तरीके से प्रस्तुत करने में सहायता करती हैं।

उनका मुख्य कार्य किंग चार्ल्स के रोजमर्रा के कार्यों को सुचारू रूप से संचालित करना, महत्वपूर्ण बैठकों का आयोजन करना और शाही परिवार की योजनाओं को प्रभावी रूप से लागू करना है। मुना की कार्यकुशलता और रणनीतिक दृष्टिकोण ने उन्हें बकिंघम पैलेस में एक अहम स्थान दिलाया है।

मुना शम्सुद्दीन का शानदार करियर ग्राफ

मुना शम्सुद्दीन का करियर ग्राफ बेहद प्रभावशाली रहा है। उन्होंने विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया है।
2008-2009: ब्रिटेन के पर्यावरण, खाद्य और ग्रामीण मामलों के विभाग में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार अधिकारी।
2009-2012: ब्रिटिश विदेश और राष्ट्रमंडल कार्यालय में राजनयिक।
2012-2013: ब्रिटिश दूतावास में द्वितीय सचिव (राजनीतिक)।
2013-2016: ब्रिटिश महावाणिज्य दूतावास में राजनीतिक वाणिज्यदूत।
2016-2019: ब्रिटिश विदेश और राष्ट्रमंडल कार्यालय में वरिष्ठ राजनयिक।
2019-2021: ब्रिटिश उप उच्चायोग में मिशन की उप प्रमुख।
2022-2024: विदेश, राष्ट्रमंडल और विकास कार्यालय में वरिष्ठ राजनयिक।

शाही महल में उनकी लोकप्रियता

बकिंघम पैलेस में कार्यरत कर्मचारी और अधिकारी मुना शम्सुद्दीन की कार्यकुशलता और व्यवहार कुशलता की काफी प्रशंसा करते हैं। उन्हें एक अनुशासित, शांतचित्त और मेहनती व्यक्तित्व के रूप में देखा जाता है। उनकी राजनयिक सूझबूझ और प्रशासनिक क्षमताओं के कारण वे न केवल किंग चार्ल्स की विश्वासपात्र बनी हैं, बल्कि पूरे शाही महल में भी उनकी लोकप्रियता बढ़ रही है।

ब्रिटेन और भारत के बीच ऐतिहासिक रूप से गहरे संबंध रहे हैं। ऐसे में किसी भारतीय मूल की महिला का ब्रिटिश शाही परिवार में इतनी अहम भूमिका निभाना, निश्चित रूप से दोनों देशों के संबंधों को और मजबूत कर सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि मुना शम्सुद्दीन की नियुक्ति, ब्रिटेन में भारतीय समुदाय की बढ़ती शक्ति और प्रभाव को भी दर्शाती है। यह न केवल भारतीयों के लिए गर्व की बात है, बल्कि उन सभी लोगों के लिए प्रेरणा है जो अपने सपनों को साकार करने के लिए मेहनत करते हैं।

मुना शम्सुद्दीन की कहानी एक प्रेरणादायक यात्रा है, जो यह दर्शाती है कि मेहनत, लगन और योग्यता के बल पर कोई भी व्यक्ति ऊंचाइयों को छू सकता है। एक छोटे से भारतीय शहर से लेकर ब्रिटेन के राजमहल तक की उनकी यात्रा न केवल असाधारण है, बल्कि यह दुनिया भर में भारतीय प्रतिभाओं की पहचान को भी दर्शाती है। उनकी सफलता से यह भी साबित होता है कि अगर लक्ष्य स्पष्ट हो और सही दिशा में प्रयास किया जाए, तो कोई भी सपना हकीकत में बदला जा सकता है।

यह भी पढ़ें

टिप्पणियाँ 0

LIVE
Advertisement
Podcast video
अल फ़तह का चीफ़ है फारुख अब्दुला, दिल्ली धमाके से जुड़े तार
Advertisement
Advertisement
Close
ADVERTISEMENT
NewsNMF
NMF App
Download
शॉर्ट्स
वेब स्टोरीज़
होम वीडियो खोजें