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किंग चार्ल्स के खिलाफ ऑस्ट्रेलियाई सीनेटर ने क्यों किया संसद में प्रदर्शन, जानिए क्या है पूरा मामला?

ऑस्ट्रेलियाई संसद में एक अनोखी घटना तब हुई जब देश की एक आदिवासी महिला और सांसद, लीडिया थॉर्प, ने राजा चार्ल्स को खुलकर चुनौती दी। राजा जब संसद को संबोधित कर रहे थे, तभी थॉर्प ने उन्हें जनसंहार का आरोपी बताते हुए बीच में रोक दिया और जोर से कहा, "यह आपकी भूमि नहीं है, आप मेरे राजा नहीं हैं।"

21 Oct, 2024
( Updated: 06 Dec, 2025
03:53 PM )
किंग चार्ल्स के खिलाफ ऑस्ट्रेलियाई सीनेटर ने क्यों किया संसद में प्रदर्शन, जानिए क्या है पूरा मामला?
ब्रिटेन के किंग चार्ल्स और क्वीन कैमिला अपने पांच दिवसीय दौरे पर ऑस्ट्रेलिया पहुंचे। 21 अक्टूबर 2024 को किंग चार्ल्स ने ऑस्ट्रेलिया की संसद को संबोधित किया, जो कि उनके ऑस्ट्रेलिया दौरे का एक अहम हिस्सा था। इसी बीच, ऑस्ट्रेलियाई सीनेटर लिडिया थोर्प, जो कि एक स्वतंत्र और विक्टोरिया राज्य की मूल निवासी हैं, ने संसद में किंग चार्ल्स के खिलाफ जोरदार विरोध किया। यह घटना तब हुई जब किंग चार्ल्स अपना भाषण खत्म कर रहे थे।

विरोध का क्या रहा कारण 

लिडिया थोर्प, जो स्वदेशी अधिकारों की वकालत करती हैं, किंग चार्ल्स की ओर चिल्लाते हुए कहती हैं, "यह आपकी जमीन नहीं है, आप मेरे राजा नहीं हैं।” इसके अलावा, उन्होंने उपनिवेशवाद विरोधी नारे भी लगाए और ब्रिटिश क्राउन को "नरसंहार का जिम्मेदार" ठहराया। लगभग एक मिनट तक उन्होंने नारेबाजी की, जिसके बाद सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें बाहर निकाल दिया।
उनका विरोध मुख्य रूप से ऑस्ट्रेलिया के मूल समुदाय के लोगों पर ब्रिटिश उपनिवेशवाद के दौरान किए गए अत्याचारों के खिलाफ था। लिडिया ने मांग की कि ब्रिटिश क्राउन के बजाय मूल निवासियों के साथ एक शांति संधि होनी चाहिए। उनका कहना था कि ऑस्ट्रेलिया के मूल निवासी अभी भी अपनी संप्रभुता और अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे हैं, और उन्हें उनकी जमीन वापस मिलनी चाहिए। ऑस्ट्रेलिया लंबे समय तक ब्रिटिश उपनिवेश रहा है। 1901 में उसे स्वतंत्रता तो मिल गई, लेकिन वह अभी भी एक संवैधानिक राजतंत्र है, और किंग चार्ल्स वर्तमान में इसके राज्य प्रमुख हैं। इतिहास में, ब्रिटिश शासन के दौरान, ऑस्ट्रेलिया के मूल निवासियों को भारी अत्याचारों का सामना करना पड़ा। हजारों मूल निवासी मारे गए या विस्थापित हुए, और ब्रिटिश क्राउन की साम्राज्यवादी नीतियों के कारण उन्हें अपने अधिकारों से वंचित किया गया।

प्रतिक्रिया और विवाद

इस घटना पर मिली-जुली प्रतिक्रियाएँ देखने को मिलीं। कई लोगों ने लिडिया थोर्प के इस विरोध की निंदा की। संसद में मौजूद एक ऑस्ट्रेलियाई व्यवसायी डिक स्मिथ ने कहा, "मुझे लगता है कि यह हमारे लोकतंत्र का अद्भुत हिस्सा है कि उन्हें जेल में नहीं डाला जाएगा।” वहीं, पूर्व प्रधानमंत्री टोनी एबॉट ने इसे "दुर्भाग्यपूर्ण राजनीतिक प्रदर्शनवाद" बताया। हालांकि, लिडिया थोर्प का कहना है कि उनका विरोध स्वदेशी अधिकारों की लड़ाई का हिस्सा है, और वह किंग चार्ल्स के विरोध से अपनी आवाज को मजबूत करना चाहती हैं।

स्वदेशी अधिकारों के लिए संघर्ष

लिडिया थोर्प का यह विरोध प्रदर्शन कोई नई बात नहीं है। इससे पहले, 2022 में भी उन्होंने क्वीन एलिजाबेथ द्वितीय का विरोध किया था। उन्होंने शपथ ग्रहण के दौरान क्वीन के नाम से शपथ लेने से इनकार कर दिया था। लिडिया का मानना है कि ऑस्ट्रेलिया को अब ब्रिटिश राजशाही से बाहर आकर एक संप्रभु गणराज्य बनना चाहिए, जहां स्वदेशी लोगों के अधिकारों को प्राथमिकता दी जाए।

लिडिया थोर्प के इस विरोध ने ऑस्ट्रेलिया में एक बार फिर से स्वदेशी अधिकारों की बहस को तेज कर दिया है। कई लोग मानते हैं कि यह वक्त है जब ऑस्ट्रेलिया को ब्रिटिश क्राउन से पूरी तरह स्वतंत्र होकर अपने मूल निवासियों के साथ एक शांति संधि पर काम करना चाहिए। इसके अलावा, यह घटना सोशल मीडिया पर भी काफी वायरल हो रही है, जिससे ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन के संबंधों में एक नई चर्चा शुरू हो गई है।

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