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अकड़ दिखा रहे ट्रंप पटरी पर लौटे! विशेष दूत सर्जियो गोर बोले भारत के साथ ट्रेड डील लगभग तय, हिंदुस्तान को चीन से दूर करना प्राथमिकता

भारत में अमेरिकी राजदूत पद के लिए नामित सर्जियो गोर ने कहा कि वॉशिंगटन और नई दिल्ली बड़े व्यापार समझौते के करीब हैं. उन्होंने भारत-अमेरिका रिश्ते को दुनिया के सबसे अहम संबंधों में से एक बताया. सीनेट में सुनवाई के दौरान गोर ने भारत को रणनीतिक साझेदार कहा और खुलासा किया कि राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत के वाणिज्य मंत्री को अगले हफ्ते वॉशिंगटन बुलाया है.

12 Sep, 2025
( Updated: 12 Sep, 2025
11:07 AM )
अकड़ दिखा रहे ट्रंप पटरी पर लौटे! विशेष दूत सर्जियो गोर बोले भारत के साथ ट्रेड डील लगभग तय, हिंदुस्तान को चीन से दूर करना प्राथमिकता
Sergio Gore (File Photo)

भारत और अमेरिका के रिश्ते इस समय एक नए मोड़ पर खड़े हैं. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत में अमेरिकी राजदूत पद के लिए नामित सर्जियो गोर ने कहा है कि वॉशिंगटन और नई दिल्ली एक बड़े व्यापार समझौते के बेहद करीब हैं. उन्होंने भारत-अमेरिका साझेदारी को 'दुनिया में सबसे महत्वपूर्ण रिश्तों में से एक' करार दिया. यह बयान ऐसे समय आया है जब हाल के दिनों में दोनों देशों के बीच तीखे आरोप-प्रत्यारोप देखने को मिले थे.

भारत को बताया रणनीतिक साझेदार

सर्जियो गोर ने सीनेट की विदेश मामलों की समिति के सामने पेश होकर भारत को कई बार 'रणनीतिक साझेदार और क्षेत्रीय स्थिरता का आधार' बताया. उन्होंने खुलासा किया कि राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत के वाणिज्य और व्यापार मंत्री को अगले सप्ताह वॉशिंगटन बुलाया है और संभावना है कि कुछ ही हफ्तों में एक बड़ा व्यापार समझौता सामने आ सकता है. गोर ने कहा, 'हम भारतीयों के साथ सक्रिय बातचीत में हैं. अब हम सौदे के बेहद अहम बिंदुओं पर चर्चा कर रहे हैं और मंज़िल से बहुत दूर नहीं हैं.' भारत सरकार और भारतीय लोगों के साथ हमारे संबंध कई दशकों पुराने हैं, और यह चीन के साथ उनके संबंधों की तुलना में कहीं अधिक मधुर संबंध हैं. चीनी विस्तारवाद केवल भारत के साथ सीमा पर ही नहीं, बल्कि पूरे क्षेत्र में है. हम इसे सर्वोच्च प्राथमिकता देंगे कि भारत को अपनी ओर खींचा जाए और उनसे दूर किया जाए. चल रही व्यापार वार्ता में, हम चाहते हैं कि भारतीय बाजार हमारे कच्चे तेल, पेट्रोलियम उत्पादों और एलएनजी के लिए खुले भारत का मध्यम वर्ग पूरे अमेरिका से बड़ा है."

हालिया तनाव के बाद बदला माहौल

बीते महीने 25 अगस्त को नई दिल्ली में प्रस्तावित व्यापार वार्ता अचानक विफल हो गई थी. इसके बाद अमेरिकी अधिकारियों ने भारत पर आरोप लगाया कि वह रूस से तेल खरीदकर 'क्रेमलिन का ऑयल मनी लॉन्ड्रोमैट' बन रहा है. अमेरिका ने यहां तक कहा कि भारत को तय करना होगा कि वह अमेरिका के साथ रहेगा या रूस-चीन के साथ. इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीजिंग में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन में पुतिन और शी जिनपिंग के साथ मंच साझा किया, जिससे तनाव और गहराया. लेकिन इसी सप्ताह तस्वीर बदल गई. ट्रंप और मोदी ने सकारात्मक बयान दिए. ट्रंप ने मोदी को 'महान प्रधानमंत्री' कहा और दोनों नेताओं ने व्यापार वार्ता जल्द खत्म करने का भरोसा जताया.

मोदी-ट्रंप की दोस्ती पर जोर

सुनवाई के दौरान गोर ने मोदी-ट्रंप रिश्ते को इस पूरी कूटनीति का अहम आधार बताया. उन्होंने कहा, 'राष्ट्रपति ट्रंप और प्रधानमंत्री मोदी के बीच व्यक्तिगत दोस्ताना गहरा है. जब राष्ट्रपति ने भारत पर आलोचनात्मक टिप्पणी की है, तब भी उन्होंने मोदी की तारीफ खुलकर की है.' गोर के मुताबिक यह रिश्ता दोनों देशों के बीच पुल की तरह काम करता है.

रूसी तेल पर दबाव

हालांकि गोर ने यह भी साफ किया कि अमेरिका भारत पर रूस से तेल आयात को कम करने का दबाव जारी रखेगा. सीनेट समिति के अध्यक्ष जिम रिश ने रूस से कच्चा तेल खरीदने को खतरनाक करार दिया. वहीं सीनेटर लिंडसे ग्राहम ने सुझाव दिया कि जो भी देश रूस से तेल खरीदेगा, उस पर 500% टैरिफ लगाया जाए. गोर ने कहा कि भारत को इस दिशा में राज़ी करना उनकी सर्वोच्च प्राथमिकताओं में होगा.

रक्षा और रणनीतिक सहयोग

सिर्फ व्यापार ही नहीं, गोर ने रक्षा और रणनीतिक साझेदारी को भी और मज़बूत करने का रोडमैप सामने रखा. उन्होंने कहा कि अमेरिका-भारत की साझेदारी संयुक्त सैन्य अभ्यास, रक्षा उपकरणों के सह-विकास और क्वाड जैसे ढांचे में सहयोग पर आधारित होगी. हाल ही में अलास्का में 500 भारतीय सैनिकों ने अमेरिकी बलों के साथ युद्धाभ्यास किया, जो इस रिश्ते की बढ़ती गहराई को दर्शाता है.

ट्रंप का मिशन 500 क्या है?

गोर ने राष्ट्रपति ट्रंप के मिशन 500 का ज़िक्र किया, जिसके तहत 2030 तक भारत-अमेरिका व्यापार को 500 अरब डॉलर तक ले जाने का लक्ष्य है. उन्होंने कहा कि वे अमेरिकी कृषि उत्पादों के लिए भारतीय बाजार में ज्यादा पहुंच बनाने और दवा व विनिर्माण क्षेत्र में भारतीय निवेश को बढ़ाने पर ध्यान देंगे. अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि जैमीसन ग्रीयर भी उन वस्तुओं पर काम कर रहे हैं जिन पर अब तक ऊंचे टैरिफ लगे रहे हैं. उन्होंने यह भी कहा कि भारत की भौगोलिक स्थिति, आर्थिक विकास और सैन्य क्षमताएं इसे क्षेत्रीय स्थिरता की आधारशिला और समृद्धि को बढ़ावा देने और हमारे राष्ट्रों के साझा सुरक्षा हितों को आगे बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनाती हैं. भारत दुनिया में हमारे राष्ट्र के सबसे महत्वपूर्ण संबंधों में से एक है. अगर पुष्टि हो जाती है, तो मैं भारत के साथ रक्षा और सुरक्षा सहयोग को गहरा करने को प्राथमिकता दूंगा.

ब्रिक्स और डॉलर की राजनीति

गोर ने भारत की ब्रिक्स सदस्यता पर भी अपनी राय रखी. उन्होंने कहा कि भारत कई बार अमेरिका के हितों की रक्षा में 'स्टॉपगैप' की भूमिका निभा चुका है. ब्राजील और चीन डॉलर से दूरी बनाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन भारत ने अमेरिका से अपने रिश्तों को संतुलित रखा है. गोर का मानना है कि आने वाले वक्त में भारत डॉलर आधारित वैश्विक व्यवस्था में अहम किरदार निभाएगा. राष्ट्रपति ट्रम्प ने यह स्पष्ट कर दिया है कि भारत को रूसी तेल खरीदना बंद करना होगा. ब्रिक्स के भीतर विभिन्न मुद्दों पर भारत हमारे पक्ष में रहा है. ब्रिक्स के भीतर कई देश वर्षों से अमेरिकी डॉलर से दूर जाने के लिए प्रयास कर रहे हैं. भारत इसमें एक अस्थायी उपाय रहा है. ब्रिक्स के अन्य देशों की तुलना में भारत हमारे साथ जुड़ने के लिए कहीं अधिक इच्छुक और खुला है."

कौन है सर्जियो गोर?

39 वर्षीय सर्जियो गोर राष्ट्रपति ट्रंप के करीबी सहयोगियों में से एक हैं और रिपब्लिकन पार्टी में उनकी गहरी पकड़ है. सीनेट में रिपब्लिकन बहुमत होने की वजह से माना जा रहा है कि उनकी नियुक्ति लगभग तय है. अगर उनकी पुष्टि हो जाती है तो वे भारत में अब तक के सबसे युवा अमेरिकी राजदूत होंगे. उन्होंने सुनवाई के दौरान कहा, 'यदि मेरी पुष्टि होती है तो मेरी सर्वोच्च प्राथमिकता यही होगी कि भारत को अमेरिका की ओर खींचा जाए, दूर नहीं धकेला जाए. मैं इस साझेदारी को हर हाल में मजबूत करूंगा.'

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बताते चलें कि भारत और अमेरिका के रिश्ते सिर्फ कूटनीतिक स्तर तक सीमित नहीं हैं, बल्कि यह आने वाले दशकों में एशिया और दुनिया की राजनीति की दिशा तय करेंगे. सर्जियो गोर की नियुक्ति और उनके बयानों से साफ है कि वॉशिंगटन भारत को एक रणनीतिक धुरी मानता है. हालांकि रूसी तेल पर दबाव और व्यापार वार्ता की चुनौतियां बनी रहेंगी, लेकिन मोदी-ट्रंप की निजी समझदारी और साझा आर्थिक हित इन रिश्तों को और मजबूत करने में मदद कर सकते हैं.

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