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रूस ने भारत के दुश्मन तुर्की को 2 दिन में दिखा दी उसकी औकात, गद्दारी की दी ऐसी सजा कि जीवन भर नहीं भूल पाएगा

ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, रूस अब गाज़प्रोम तुर्किए गैस हब नहीं बनाएगा. यह प्रोजेक्ट रूस की तरफ से टेक्निकल, राजनीतिक और कॉमर्शियल दिक्कतों के चलते बंद कर दिया गया है. बता दें कि तुर्की से यूरोप तक सीमित पाइपलाइन कैपेसिटी है, जिसकी वजह से गैस के मार्केटिंग राइट्स को लेकर रूस और तुर्की के बीच मतभेद हैं.

रूस ने भारत के दुश्मन तुर्की को 2 दिन में दिखा दी उसकी औकात, गद्दारी की दी ऐसी सजा कि जीवन भर नहीं भूल पाएगा
File Photo

भारत के दुश्मन मुल्क तुर्की को रूस ने बहुत बड़ा झटका दिया है. ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत के पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान की मदद कर हीरो बनने की कोशिश में लगे तुर्की को पुतिन ने उसकी औकात याद दिला दी है. बता दें कि गैस व्यापार को लेकर रूस ने एक अहम फैसला लिया है. खबरों के मुताबिक, रूस की सरकारी एनर्जी कंपनी गाज़प्रोम ने तुर्की में नया गैस हब बनाने की योजना पर चुपचाप ब्रेक लगा दिया है. ऐसे में देखा जाए, तो तुर्की के लिए यह बहुत बड़ा झटका है.

रूस ने तुर्की को दिया बहुत बड़ा झटका

आपको बता दें कि ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, रूस अब गाज़प्रोम तुर्की गैस हब नहीं बनाएगा. यह प्रोजेक्ट रूस की तरफ से टेक्निकल, राजनीतिक और कॉमर्शियल दिक्कतों के चलते बंद कर दिया गया है. बता दें कि तुर्की से यूरोप तक सीमित पाइपलाइन कैपेसिटी है, जिसकी वजह से गैस की मार्केटिंग राइट्स को लेकर रूस और तुर्की के बीच मतभेद है. ऐसे में देखा जाए, तो यूरोपीय यूनियन की 2027 तक रूसी गैस से छुटकारा पाने की एक नीति है. यही वजह है कि तुर्की के सभी प्रोजेक्ट को व्यवहारिक रूप से असंभव माना गया है. 

क्या था रूस का प्लान? 

बता दें कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के मुताबिक अक्टूबर 2022 तक उसने प्लान में खास दिलचस्पी दिखाई थी. यह प्लान नॉर्ड स्ट्रीम पाइपलाइन विस्फोट के बाद गैस हब को यूरोप में 55 अरब क्यूबिक मीटर गैस सप्लाई का नया रास्ता माना जा रहा था. वहीं तुर्की इस खास मौके को भुनाना चाह रहा था, लेकिन कहीं न कहीं उसकी चालाकी उसी पर भारी पड़ गई.

तुर्की की चाल उसी पर पड़ी भारी

बता दें कि तुर्की ने रूस के इस खास प्रस्ताव का स्वागत किया था, लेकिन बाद में वह चाहता था कि गैस बिक्री पर पूरा कंट्रोल उसी का हो, यही वजह कि रूस को यह बात खटक गई. दरअसल, रूस की कंपनी अंकारा की मंशा थी, कि वह तय करे कि गैस किसे और कितनी मात्रा में बेची जाएगी. रूस की पूरी कोशिश थी कि वह हब के जरिए यूरोप पर अपनी ऊर्जा पकड़ बनाए रखे, लेकिन रूस को जब लगा कि तुर्की अपने फायदे के लिए प्रोजेक्ट को मोड़ना चाहता है, तो गाज़प्रोम ने इस पर चर्चा ही बंद कर दी.

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नया हब बनाने का रास्ता बंद हुआ 

वर्तमान में दोनों देशों का नया हब बनने का रास्ता बंद हो गया है. लेकिन इस दौरान तुर्की और रूस के बीच मौजूदा गैस व्यापार पर कोई भी असर नहीं पड़ा है. बता दें कि गाज़प्रोम तुर्की के बड़े ग्राहकों में से एक है. उसने तुर्की की एनर्जी मिनिस्ट्री और बोटाश प्रोजेक्ट पर कोई टिप्पणी नहीं की है. लेकिन एक तुर्की अधिकारी ने कहा कि अगर भविष्य में ये योजना फिर से शुरू होती है, तो अंकारा सहयोग के लिए तैयार रहेगा.

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