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मोदी सरकार की वॉटर स्ट्राइक से पाकिस्तान में हड़कंप, टॉप अफसर का इस्तीफा – जानिए पूरा मामला

पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत द्वारा की गई कड़ी कूटनीतिक कार्रवाई का असर अब पाकिस्तान की आंतरिक राजनीति में दिखाई देने लगा है. इस दबाव और संकट के बीच पाकिस्तान के जल और विद्युत विकास प्राधिकरण (WAPDA) के अध्यक्ष लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) सज्जाद गनी ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है.

22 Jun, 2025
( Updated: 02 Dec, 2025
12:45 PM )
मोदी सरकार की वॉटर स्ट्राइक से पाकिस्तान में हड़कंप, टॉप अफसर का इस्तीफा – जानिए पूरा मामला

पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत द्वारा पाकिस्तान पर की गई कड़ी कूटनीतिक कार्रवाई का असर अब पड़ोसी देश की राजनीति और नौकरशाही में भी दिखने लगा है. भारत द्वारा सिंधु जल संधि को सस्पेंड किए जाने के बाद पाकिस्तान के जल और विद्युत विकास प्राधिकरण (WAPDA) के अध्यक्ष लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) सज्जाद गनी ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है.

सज्जाद ने क्यों दिया इस्तीफा 
सूत्रों के मुताबिक, यह इस्तीफा सिंधु जल संधि को लेकर नागरिक प्रशासन और सेना के बीच गहराते मतभेद का नतीजा है. बताया जा रहा है कि जल संसाधन मंत्रालय और WAPDA के बीच भी इस मुद्दे पर भारी असहमति थी. प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने सज्जाद गनी का इस्तीफा स्वीकार करने के लिए कैबिनेट डिवीजन को भेज दिया है. यह इस्तीफा ऐसे समय आया है जब पाकिस्तान पहले ही जल संकट की आशंका से जूझ रहा है और भारत की ओर से सिंधु जल प्रवाह रोके जाने के बाद उसकी चुनौतियां और बढ़ गई हैं. WAPDA अध्यक्ष का इस्तीफा इसी दबाव का संकेत माना जा रहा है. 

सज्जाद गनी के इस्तीफे से बढ़ा विवाद
भारत द्वारा सिंधु जल संधि को सस्पेंड किए जाने के बाद पाकिस्तान के भीतर इस मुद्दे पर सियासी और संस्थागत टकराव खुलकर सामने आने लगा है. कुछ लोगों का मानना है कि पाकिस्तान का नागरिक प्रशासन अब इस संकट के लिए अपने ही सेना के शीर्ष अधिकारियों को जिम्मेदार ठहरा रहा है. माना जा रहा है कि नागरिक प्रशासन के भीतर एक धड़ा ऐसा है, जो मानता है कि भारत की ओर से यह कड़ा कदम पाकिस्तान की सैन्य नीतियों और उसकी कथित शह पर चलने वाले आतंकी नेटवर्क के कारण उठाया गया. इन अधिकारियों का कहना है कि सेना की जिद और आक्रामक रुख ने पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग कर दिया, जिसके चलते भारत ने सिंधु जल संधि पर पुनर्विचार किया. गनी को अगस्त 2022 में WAPDA का प्रमुख नियुक्त किया गया था.

कौन हैं लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) सज्जाद गनी
पाकिस्तान के जल और विद्युत विकास प्राधिकरण (WAPDA) के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने वाले लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) सज्जाद गनी सिर्फ एक पूर्व सैन्य अधिकारी नहीं, बल्कि एक विवादास्पद और प्रभावशाली शख्सियत भी रहे हैं. सज्जाद गनी मूल रूप से कश्मीर से ताल्लुक रखते हैं. उनके सैन्य करियर की बात करें तो उन्होंने पाकिस्तान की सेना में कई अहम पदों पर कार्य किया. वे झेलम स्थित 19 डिवीजन (GOC 19 DIV) के कमांडर रह चुके हैं. वर्ष 2009 में उन्हें उत्तरी स्वात के मुख्यालय में तैनात किया गया, जो उस समय आतंकी गतिविधियों का केंद्र बना हुआ था. स्वात में तैनाती के दौरान उन पर भ्रष्टाचार के आरोप भी लगे थे, हालांकि इन पर कोई निर्णायक कार्रवाई नहीं हुई. इसके बावजूद उनका सैन्य करियर जारी रहा और बाद में उन्होंने 2013 से 2015 तक कराची स्थित पाकिस्तान सेना की 5वीं कोर का नेतृत्व किया. कोर कमांडर के रूप में उन्होंने दक्षिणी पाकिस्तान में सैन्य तैयारियों और सुरक्षा अभियानों की निगरानी की. सज्जाद गनी 2016 में सेना से रिटायर हुए, लेकिन रिटायरमेंट के बाद भी वे कई महत्वपूर्ण प्रशासनिक भूमिकाओं में सक्रिय रहे। उन्हें 17 अगस्त 2022 को कोट अदु पावर कंपनी (KAPCO) के निदेशक मंडल में नियुक्त किया गया था, और उसी वर्ष उन्हें WAPDA का अध्यक्ष भी बनाया गया.

भारत ने पाकिस्तान के सिखाया था सबक
बताते चलें कि भारत ने पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में पाकिस्तान के खिलाफ दोतरफा रणनीति अपनाई थी. एक तरफ जहां भारत ने सिंधु जल संधि को निलंबित कर पाकिस्तान की जल आपूर्ति को बाधित किया, वहीं दूसरी ओर ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत आतंकी ठिकानों पर सैन्य कार्रवाई कर उन्हें तबाह कर दिया. भारत के गृहमंत्री अमित शाह ने स्पष्ट रूप से कहा था कि पाकिस्तान के साथ सिंधु जल समझौता अब कभी बहाल नहीं किया जाएगा. इस सख्त रुख ने पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मंच पर घेरने के साथ-साथ घरेलू स्तर पर भी दबाव में ला दिया है.

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गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के रिश्ते की खाई और गहरी हो गई. हमले में 26 निर्दोष नागरिकों की मौत के बाद भारत ने पाकिस्तान पर कड़ा कूटनीतिक प्रहार करते हुए ऐतिहासिक सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया. भारत सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि सिंधु जल संधि तब तक लागू नहीं होगी, जब तक पाकिस्तान सीमा पार से आतंकवाद को समर्थन देना पूरी तरह से बंद नहीं करता. सरकार ने कहा पानी और खून एक साथ नहीं बह सकते.

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