गाजा शांति वार्ता में भारत की अहम भूमिका... PM मोदी ने भेजा अपना दूत, जानें क्या है असली प्लान
गाजा में हाल ही लागू युद्धविराम के बाद शांति शिखर सम्मेलन मिस्त्र के शर्म अल-शेख में आयोजित किया जा रहा है. पीएम मोदी खुद नहीं जाएंगे, बल्कि विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह को अपने विशेष प्रतिनिधि के रूप में भेजा गया है. सम्मेलन की सह-अध्यक्षता मिस्र के राष्ट्रपति अल-सीसी और अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप करेंगे.
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गाजा में शांति बहाली की दिशा में बड़ा कदम उठाया गया है. इजरायल और हमास के बीच हाल ही में युद्धविराम लागू हुआ है और अब मिस्त्र के शहर शर्म अल-शेख में एक शांति शिखर सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है. इस बैठक में भारत की अहम मौजूदगी भी होगी.
PM मोदी को भेजा गया विशेष न्योता
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतेह अल-सीसी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को न्योता भेजा था. हालांकि, पीएम मोदी खुद नहीं जाएंगे और अपने विशेष दूत के रूप में विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह को भेजा है. सिंह को इस सम्मेलन में प्रधानमंत्री के विशेष प्रतिनिधि के रूप में हिस्सा लेने के लिए अधिकृत किया गया है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, इस सम्मेलन में शामिल होने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अंतिम समय में न्योता मिला था, जिसकी वजह से पीएम मोदी नहीं गए.
सोशल मीडिया पर दी साझा कि जानकारी
केंद्रीय मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने अपने सोशल मीडिया के एक्स प्लेटफॉर्म पर लिखा, 'शर्म अल-शेख में गाजा शांति शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विशेष प्रतिनिधि के रूप में मैं ऐतिहासिक शहर काहिरा पहुंच गया हूं.'
Arrived in the historic city of Cairo as special representative of Prime Minister @narendramodi to attend the Gaza Peace Summit at Sharm el-Sheikh. pic.twitter.com/DnN0yGJcEs
— Kirti Vardhan Singh (@KVSinghMPGonda) October 12, 2025
सम्मेलन में कौन-कौन शामिल होंगे?
शिखर सम्मेलन की सह-अध्यक्षता मिस्र के राष्ट्रपति अल-सीसी और अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप करेंगे. इसमें गाजा पट्टी के साथ-साथ पूरे पश्चिम एशिया में स्थायी शांति लाने के तरीकों पर चर्चा होगी. सम्मेलन में लगभग 20 देशों के बड़े नेता भाग लेने वाले हैं, जिनमें ब्रिटेन के प्रधानमंत्री केअर स्टार्मर, इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस शामिल हैं.
क्या है सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य?
मिस्र की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि शिखर सम्मेलन का उद्देश्य गाजा में युद्ध को समाप्त करना और पूरे पश्चिम एशिया में शांति व स्थिरता बढ़ाना है. इस बैठक में सभी वैश्विक नेताओं का ध्यान युद्धविराम की सफलता और गाजा में व्यापक शांति सुनिश्चित करने पर होगा.
युद्धविराम का पहला चरण लागू
यह शिखर सम्मेलन अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की गाजा शांति योजना के पहले चरण के लागू होने के कुछ ही दिनों बाद हो रहा है. गाजा में युद्धविराम शुक्रवार को लागू हुआ था. जानकारी देते चलें कि सात अक्टूबर 2023 को हमास द्वारा इजरायली शहरों पर हमला किया गया था, जिसमें लगभग 1200 लोग मारे गए थे. इसके जवाब में इजरायल ने गाजा पर व्यापक सैन्य अभियान शुरू किया. हमास ने 251 लोगों को बंधक बनाया था, जिनमें से अब भी 50 से ज्यादा कैद में हैं. गाजा में हमास द्वारा संचालित स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार अब तक इजरायली अभियानों में 66,000 से ज्यादा फिलिस्तीनी मारे जा चुके हैं.
भारत की कूटनीतिक भागीदारी
शिखर सम्मेलन में भारत की भागीदारी से दक्षिण एशिया की स्थिरता और वैश्विक कूटनीति में भारत की बढ़ती भूमिका दिखती है. कीर्ति वर्धन सिंह के नेतृत्व में भारत की टीम सम्मेलन में शामिल होकर गाजा और पश्चिम एशिया में शांति स्थापित करने के उपायों पर चर्चा करेगी. इस शिखर सम्मेलन में युद्धविराम के क्रियान्वयन, बंधकों की रिहाई, मानवीय सहायता और स्थायी शांति स्थापित करने की रणनीतियों पर विशेष फोकस रहेगा. वैश्विक नेताओं की भागीदारी इसे और प्रभावशाली बनाती है और भारत के प्रतिनिधि की मौजूदगी क्षेत्रीय स्थिरता में भारत की भूमिका को मजबूत करती है.
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बताते चलें कि इस शिखर सम्मेलन के माध्यम से न केवल गाजा में शांति की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया जा रहा है, बल्कि भारत की सक्रिय कूटनीतिक भूमिका भी दुनिया के सामने उजागर हो रही है. कीर्ति वर्धन सिंह के नेतृत्व में भारत की भागीदारी यह संदेश देती है कि देश केवल समर्थन तक सीमित नहीं, बल्कि वैश्विक शांति प्रक्रिया में निर्णायक योगदान देने के लिए तैयार है.
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