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पहले किया अगवा, फिर जबरन कबूल करवाया इस्लाम, पाकिस्तान में 4 हिंदू भाई-बहनों के साथ बर्बरता

पाकिस्तान के सिंध प्रांत के शाहदादपुर में चार हिंदू भाई-बहनों का अपहरण कर जबरन इस्लाम कबूल करवाने की सनसनीखेज घटना सामने आई है.

पहले किया अगवा, फिर जबरन कबूल करवाया इस्लाम, पाकिस्तान में 4 हिंदू भाई-बहनों के साथ बर्बरता

पाकिस्तान में जबरन धर्मांतरण की घटना आम बात है. वहां हिंदू अल्पसंख्यकों के लिए सुरक्षा न्याय और सम्मान एक सपना बनकर रह गया है. जबरन धर्मांतरण अब सिर्फ लड़कियों तक सीमित नहीं रहा अब बच्चों को भी कट्टरता की भेंट चढ़ाया जा रहा है. यह सिर्फ इंसाफ की लड़ाई नहीं यह अस्मिता की पुकार है.

4 हिंदू भाई-बहनों का अपहरण

पाकिस्तान में इस्लामी धार्मिक कट्टरता एक बार फिर इंसानियत पर भारी पड़ी है. सिंध प्रांत के शाहदादपुर में चार हिंदू भाई-बहनों का अपहरण कर जबरन इस्लाम कबूल करवाने की सनसनीखेज घटना सामने आई है. ज़ुल्म की इंतिहा हो गई मां रोती रही लेकिन निर्दयी लोगों ने उसकी एक ना सुनी. इन पीड़ितों की मां रोते हुए कहती है कि मेरे पास तीन बेटियां थीं अब कोई नहीं है. सब छीन लिया गया. पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के साथ यह बर्बरता कोई नई बात नहीं लेकिन यह घटना मासूम बच्चों को भी नहीं बख्शने की गवाही देती है. 

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 22 वर्षीय जिया बाई 20 वर्षीय दिया बाई 16 वर्षीय दिशा बाई और 13 साल का हरजीत कुमार इन चारों के साथ अन्याय हुआ. वहां कथित तौर पर एक स्थानीय कंप्यूटर शिक्षक फरहान ने बहला-फुसलाकर अगवा किया. मां का आरोप है कि उनका बेटा तो इतना छोटा है कि वह धर्म क्या होता है ये भी नहीं जानता. प्रेस कॉन्फ्रेंस में मां ने पाक के हुक्मरामों का नाम ले लेकर इंसाफ की गुहार लगाई है.

हिंदू पंचायत ने सांस्कृतिक आतंकवाद का दिया नाम

इस घटना से जुड़े धर्मांतरण के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गए हैं. हिंदू पंचायत के एक नेता ने इसे सांस्कृतिक आतंकवाद करार दिया है. उन्होंने सवाल उठाया कि क्या ये नाबालिग सच में समझते हैं कि वे कौन-सा धर्म अपना रहे हैं? या उन्हें डरा-धमकाकर यह सब करवाया गया है?

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इतना ही नहीं मामला कोर्ट तक पहुंच गया. दो बालिग बहनों को आश्रयगृह भेजा गया जबकि दिशा और हरजीत को माता-पिता के हवाले कर दिया गया. पाक मीडिया का दावा है कि धर्मांतरण स्वेच्छा से हुआ लेकिन परिजनों का कहना है कि बच्चों पर दबाव है और वे डरे हुए हैं. कोर्ट ने दो आरोपियों को भी बरी कर दिया जिससे वहां के स्थानीय हिंदू समाज और भी असहाय महसूस कर रहा है. 

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