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सिंधु नहर परियोजना पर पाकिस्तान में बढ़ा विवाद ,पीपीपी ने दे दी बड़ी धमकी

सिंधु नहर परियोजना पर पाकिस्तान की सत्तारूढ़ पार्टियों में कलह, पीपीपी ने समर्थन वापस लेने की धमकी दी

nmf-author
04 Apr 2025
( Updated: 04 Apr 2025
05:44 PM )
सिंधु नहर परियोजना पर पाकिस्तान में बढ़ा विवाद ,पीपीपी ने दे दी बड़ी धमकी
पाकिस्तान में सत्तारूढ़ गठबंधन की दो प्रमुख पार्टियों, पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के बीच सिंधु नदी नहर परियोजना को लेकर मतभेद गहरा गए हैं। विवाद इतना बढ़ गया कि पीपीपी ने सरकार से समर्थन वापस लेने की धमकी तक दे दी।

गुरुवार को पीपीपी ने इस सिंचाई परियोजना पर अपनी आपत्तियां जाहिर कीं, जबकि पीएमएल-एन ने अपनी गठबंधन सहयोगी पार्टी पर जल संसाधनों के मुद्दे का राजनीतिकरण करने का आरोप लगाया।

पाकिस्तानी सरकार ने ग्रीन पाकिस्तान इनिशिएटिव के तहत 3.3 अरब डॉलर की लागत से छह नहरों का निर्माण करने की योजना बनाई है, जिससे दक्षिण पंजाब में 12 लाख एकड़ कथित बंजर भूमि को सिंचित किया जाएगा। हालांकि, सिंध प्रांत ने इस फैसले पर कड़ा विरोध जताया है। सिंध सरकार को आशंका है कि इन नहरों के निर्माण से सिंधु नदी से उसके हिस्से का पानी कम हो जाएगा।

पीपीपी के वरिष्ठ नेता चौधरी मंजूर ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि जब देश में पहले से ही तो ऐसे समय में नई नहरों का निर्माण करना गलत होगा। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सरकार छोटे किसानों के हितों की अनदेखी कर रही है और कॉरपोरेट खेती के नाम पर उन्हें नुकसान पहुंचाया जा रहा है।

इस विवाद पर पंजाब की सूचना मंत्री अजमा बुखारी ने जवाबी हमला करते हुए कहा कि सिंध हमेशा से नहरों के पानी को लेकर राजनीति करता रहा है। उन्होंने सुझाव दिया कि पीपीपी को इस मामले में अपने ही नेता और पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली ज़रदारी से स्पष्टीकरण लेना चाहिए।

सिंध के मुख्यमंत्री मुराद अली शाह ने गुरुवार को स्पष्ट किया कि जब तक सिंध सरकार की सहमति नहीं होगी, तब तक संघीय सरकार इस परियोजना को आगे नहीं बढ़ा सकती। उन्होंने पीएमएल-एन को चेतावनी दी कि अगर बिना सहमति के यह परियोजना आगे बढ़ी, तो पीपीपी सरकार से समर्थन वापस लेने पर विचार कर सकती है। उन्होंने कहा, "अगर पीपीपी का समर्थन नहीं रहा, तो पीएमएल-एन की सरकार गिर सकती है।"

इस परियोजना के खिलाफ सिंध में व्यापक विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। सामाजिक कार्यकर्ताओं, राजनीतिक दलों, नागरिक संगठनों, व्यापार संघों और साहित्यिक संस्थानों के सदस्य सरकार के इस फैसले के विरोध में सड़कों पर उतर आए हैं। प्रदर्शनकारियों ने सरकार से मांग की है कि 'पानी को बहने दो' और इस परियोजना को तत्काल रद्द किया जाए। उन्होंने इसे सिंध के अधिकारों का उल्लंघन और जनता-विरोधी नीति करार दिया।

Input: IANS

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