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कौन हैं नक्सलवाद छोड़ मछलीपालन में झंडे गाड़ने वाले गुमला के ओम प्रकाश साहू, जिनकी पीएम मोदी ने सुनाई 'मन की बात' कार्यक्रम में प्रेरक कहानी?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को 'मन की बात' कार्यक्रम के जरिए देश को संबोधित किया. 'मन की बात' के 124वें एपिसोड में उन्होंने देशभर की कई प्रेरक कहानियां साझा कीं, जिसमें झारखंड के गुमला जिले के युवा ओम प्रकाश साहू की प्रेरणादायक कहानी भी सुनाई जिन्होंने कैसे नक्सलवाद का रास्ता छोड़कर मुख्यधारा में अपने जीवन की सफलतापूर्वक शुरुआत की.

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27 Jul 2025
( Updated: 07 Dec 2025
08:31 AM )
कौन हैं नक्सलवाद छोड़ मछलीपालन में झंडे गाड़ने वाले गुमला के ओम प्रकाश साहू, जिनकी पीएम मोदी ने सुनाई 'मन की बात' कार्यक्रम में प्रेरक कहानी?
Image: Om Prakash Sahu / IANS

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' के 124वें संस्करण में झारखंड के गुमला जिले के युवा ओम प्रकाश साहू की प्रेरणादायक कहानी साझा की. उन्होंने बताया कि कैसे ओम प्रकाश ने नक्सलवाद का रास्ता छोड़कर मछली पालन के जरिए न केवल अपनी जिंदगी बदली, बल्कि अपने इलाके में बदलाव की नई बयार भी लाए.

पीएम मोदी ने किया गुमला के ओम प्रकाश साहू का जिक्र

पीएम मोदी ने बताया, "मेरे प्यारे देशवासियों, कभी-कभी सबसे ज्यादा रोशनी वहीं से निकलती है, जहां सबसे ज्यादा अंधेरा होता है. ऐसा ही एक उदाहरण झारखंड का गुमला जिला है. एक समय था जब यह इलाका माओवादी हिंसा के लिए जाना जाता था. बसिया प्रखंड के गांव वीरान हो रहे थे. लोग डर के साये में जी रहे थे. रोजगार की कोई संभावना नहीं थी, जमीनें खाली पड़ी थीं और युवा पलायन कर रहे थे... लेकिन फिर, चुपचाप और बहुत धैर्य के साथ एक बदलाव शुरू हुआ. ओम प्रकाश साहू नाम के एक युवक ने हिंसा का रास्ता छोड़ मछली पालन शुरू किया. फिर उन्होंने अपने जैसे कई दोस्तों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित किया. उनके प्रयासों का असर भी हुआ. जो लोग पहले बंदूक थामे रहते थे, उन्होंने अब मछली पकड़ने के जाल थाम लिए हैं."

धमकी के बावजूद मुख्यधारा में बने रहे ओम प्रकाश साहू

पीएम मोदी ने बताया कि ओम प्रकाश का सफर आसान नहीं, बल्कि मुश्किलों भरा रहा. पीएम बोले, "साथियों, ओम प्रकाश साहू की शुरुआत आसान नहीं थी. विरोध प्रदर्शन हुए, धमकियां मिलीं, लेकिन हौसला कम नहीं हुआ. जब 'प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना' शुरू हुई, तो उन्हें नई ताकत मिली. उन्हें सरकार से प्रशिक्षण मिला और तालाब बनाने में मदद मिली... देखते ही देखते गुमला में मत्स्य पालन क्रांति शुरू हो गई. आज बसिया प्रखंड के 150 से ज्यादा परिवार मछली पालन से जुड़ चुके हैं. कई लोग ऐसे भी हैं जो कभी नक्सली संगठन में थे, अब गांव में ही सम्मान की जिंदगी जी रहे हैं और दूसरों को रोजगार दे रहे हैं. गुमला का यह सफर हमें सिखाता है, अगर रास्ता सही हो और मन में विश्वास हो, तो कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी विकास का दीया जलाया जा सकता है."

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पीएम ने कहा, "जो लोग पहले बंदूक थामे थे, अब मछली पकड़ने के जाल थाम रहे हैं. ओम प्रकाश की कहानी सिखाती है कि सही रास्ता और दृढ़ विश्वास हो तो सबसे मुश्किल हालात में भी बदलाव लाया जा सकता है. गुमला का यह परिवर्तन विकास की ताकत को दिखाता है.

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