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सोलंकी परिवार की लगातार सातवीं जीत! 28 सालों से इस सीट पर सोलंकी परिवार का दबदबा कायम

कानपुर की सीसामऊ विधानसभा सीट पर एक बार फिर से सोलंकी परिवार की जीत हुई है। इस सीट पर सोलंकी परिवार की लगातार सातवीं जीत है। 28 सालों से यह सीट सपा और सोलंकी परिवार का गढ़ बन गई है। वहीं बीजेपी 1996 के बाद से ही इस सीट पर जीत को तरस रही है।

23 Nov, 2024
( Updated: 23 Nov, 2024
06:02 PM )
सोलंकी परिवार की लगातार सातवीं जीत! 28 सालों से इस सीट पर सोलंकी परिवार का दबदबा कायम

कानपुर की सीसामऊ विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव के नतीजे सामने गए हैं। सपा प्रत्याशी नसीम सोलंकी ने इस सीट पर जीत दर्ज की है। बीजेपी के सुरेश अवस्थी तीसरी बार चुनाव हारे हैं। एग्जिट पोल में भी इस सीट पर सपा की जीत को ही बताया गया था। जो पूरी तरीके से सच साबित हुई। नसीम ने 8,629 मतों से जीत हासिल की है। इस सीट का इतिहास बड़ा ही दिलचस्प रहा है। यह सीट सोलंकी परिवार का और सपा का गढ़ बन गई है। सोलंकी परिवार ने लगातार सातवीं जीत दर्ज की है। बीते 28 सालों से इस सीट पर सपा और सोलंकी परिवार का दबदबा कायम है। वहीं साल 1996 में आखिरी बार बीजेपी को यहां इस सीट पर जीत मिली थी। नसीम सोलंकी की जीत में कई बड़ी वजह भी सामने आई है। तो चलिए जानते हैं कि कैसे यह सीट सपा और सोलंकी परिवार का गढ़ बन गई और बीजेपी के लिए 28 सालों से जीत हासिल कर पाने की बड़ी चुनौती। 

नसीम सोलंकी की जीत की सबसे बड़ी वजह 

सपा प्रत्याशी नसीम सोलंकी की जीत में सबसे बड़ी वजह रही। उनके पति के प्रति जनता की संवेदना, मुस्लिम वोट बैंक का होना, इसके अलावा बीते दो दशकों से सोलंकी परिवार का इस सीट पर दबदबा होना। नसीम चुनाव-प्रचार से कई जगह रो पड़ी थी। जनता के बीच उनका भावुक होना। इस जीत में खेला कर गया। 

सोलंकी परिवार की लगातार सातवीं जीत  

बता दें कि सोलंकी परिवार की यह सातवीं जीत है। इससे पहले आर्य नगर विधानसभा सीट पर नसीम सोलंकी के ससुर हाजी मुश्ताक सोलंकी 1996 और 2000 में जीते थे। 2007 में इरफान सोलंकी ने जीत दर्ज की। परिसीमन के बाद 2012,17 और 2022 में भी जीत हुई। अब उपचुनाव में भी सोलंकी परिवार ने जीत हासिल कर लगातार सातवीं जीत दर्ज की है। लगातार जीत से यह सीट सोलंकी परिवार और सपा की गढ़ बन चुकी है। 

1996 से इस सीट पर जीत को तरस रही बीजेपी 

आपको बता दें कि साल 1996 में आखिरी बार भारतीय जनता पार्टी का उम्मीदवार इस सीट पर जीत हासिल करने में कामयाब हुआ था। उस दौरान भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी राकेश सोनकर ने सीपीएम के प्रत्याशी दौलत राम को हराया था। उसके बाद से बीजेपी लगातार संघर्ष कर रही है। लेकिन जीत की बजाय उसे हार मिल रही है। इरफान सोलंकी की जेल जाने के बाद एक उम्मीद जगी थी। लेकिन वह भी खत्म हो गई। इरफान के प्रति यहां की जनता ने संवेदना दिखाई। जिसकी वजह से उनकी पत्नी नसीम सोलंकी को जीत मिली। 

नसीम सोलंकी की जीत के बाद सपा कार्यालय में जश्न का माहौल 

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सपा प्रत्याशी नसीम सोलंकी की जीत के बाद सपा कार्यालय में जश्न का माहौल है। इरफान सोलंकी जिंदाबाद, जेल के ताले टूटेंगे, इरफान भैया छूटेंगे जैसे नारें गूंज रहे हैं। सपा कार्यकर्ता एक दूसरे को बधाई दे रहे हैं। विक्ट्री का साइन बनाकर एक दूसरे के साथ लोग सेल्फी ले रहे हैं। मिठाइयां बांटी जा रही हैं।

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