चीन के बाद अब तुर्की ने भारत के खिलाफ खेला दांव, पाकिस्तान को भेजे घातक हथियार
भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच तुर्की ने पाकिस्तान को हथियारों का बड़ा जखीरा भेजा है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, तुर्की के सी-130 हरक्यूलिस सैन्य परिवहन विमान हथियारों से लदे हुए इस्लामाबाद और कराची पहुंचे हैं। ये वही तुर्की है जिसे भूकंप के समय भारत ने सबसे पहले मदद भेजी थी, लेकिन अब वही तुर्की भारत के खिलाफ पाकिस्तान को मजबूत करने में लगा है।
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भारत और पाकिस्तान के बीच चल रहे तनाव ने एक नया मोड़ ले लिया है. जहां एक ओर पूरा देश पहलगाम आतंकी हमले के बाद उबाल पर है, वहीं दूसरी तरफ तुर्की ने भारत के जख्मों पर नमक छिड़कने का काम किया है. खबरों के मुताबिक, तुर्की ने पाकिस्तान को हथियारों का एक बड़ा जखीरा भेजा है। ये वही तुर्की है जिसे हालिया भूकंप त्रासदी के समय भारत ने सबसे पहले मदद पहुंचाई थी. लेकिन अफसोस, तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप एर्दोगन उस मदद को भूलकर अब भारत के खिलाफ साजिश रचने वालों के साथ खड़े हो गए हैं.
सूत्रों के अनुसार, तुर्की एयर फोर्स के सी-130 हरक्यूलिस सैन्य परिवहन विमानों ने इस्लामाबाद और कराची के सैन्य अड्डों पर हथियारों से लदे कार्गो उतारे हैं. बताया जा रहा है कि तुर्की से कम से कम छह सी-130 विमान पाकिस्तान पहुंचे हैं. हालांकि इन विमानों में किस प्रकार के हथियार भेजे गए हैं, इस पर आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन अटकलें लगाई जा रही हैं कि इसमें ड्रोन, स्मार्ट बम, छोटे हथियार और गाइडेड मिसाइल सिस्टम शामिल हो सकते हैं.
भारत की मदद का एहसान भूल गया तुर्की
कुछ महीने पहले जब तुर्की विनाशकारी भूकंप की चपेट में आया था, तो भारत ने 'ऑपरेशन दोस्त' के तहत तुरंत मदद भेजी थी. राहत और बचाव कार्यों के लिए भारतीय वायुसेना के विमानों ने दवाइयाँ, रेस्क्यू टीमें और मेडिकल सहायता तुर्की रवाना की थी. भारत की त्वरित मदद ने तुर्कीवासियों के दिलों में भारत के प्रति सम्मान की भावना पैदा कर दी थी. लेकिन अफसोस, अब वही तुर्की भारत के खिलाफ षड्यंत्र करने वाले पाकिस्तान का मददगार बन बैठा है.
तुर्की का यह कदम भारत के लिए केवल एक कूटनीतिक झटका नहीं, बल्कि मानवता के खिलाफ भी एक गहरी चोट है. भारतीय जनमानस में इस विश्वासघात को लेकर आक्रोश साफ दिखाई दे रहा है. सोशल मीडिया से लेकर राजनीतिक हलकों तक, तुर्की की इस हरकत की निंदा की जा रही है.
पाक-तुर्की का नया गठजोड़ भारत के खिलाफ
जानकारी के मुताबिक, तुर्की और पाकिस्तान ने पहले से ही हथियारों के आदान-प्रदान को लेकर कई समझौते किए हुए हैं. जब एर्दोगन कुछ समय पहले पाकिस्तान के दौरे पर गए थे, तभी दोनों देशों ने रणनीतिक साझेदारी बढ़ाने का फैसला किया था. इस साझेदारी का मुख्य उद्देश्य भारत को कूटनीतिक और सामरिक मोर्चों पर घेरना है.
यह भी दावा किया जा रहा है कि तुर्की ने पाकिस्तान को Bayraktar TB2 ड्रोन भी सौंपे हैं, जो युद्धक्षेत्र में बेहद घातक माने जाते हैं. इन ड्रोन की मदद से पाकिस्तान अपनी हवाई ताकत बढ़ाने की कोशिश कर रहा है. इसके अलावा छोटे हथियार, स्मार्ट बम और गाइडेड मिसाइल सिस्टम भी इस शिपमेंट में शामिल हो सकते हैं. अगर यह सच साबित होता है, तो आने वाले दिनों में भारत को अपनी रक्षा रणनीति में और भी ज्यादा चौकसी बरतनी पड़ेगी.
चीन पहले ही भेज चुका है मदद
तुर्की से पहले चीन भी पाकिस्तान को पीएल-15 मिसाइलें भेज चुका है, जिन्हें पाकिस्तान ने अपने JF-17 लड़ाकू विमानों में स्थापित किया है. इसका साफ मतलब है कि भारत के खिलाफ एक नया 'गैर-घोषित मोर्चा' खुल चुका है, जिसमें चीन और तुर्की दोनों पाकिस्तान के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं.
भारत से टकराव की आशंका को देखते हुए पाकिस्तान ने अपने कई अहम सैन्य अड्डों को सक्रिय कर दिया है. स्कार्दू, स्वात और पेन्सी जैसे हवाई ठिकानों पर F-16, J-10 और JF-17 लड़ाकू विमानों की तैनाती की गई है. लड़ाकू गश्त (CAP) भी तेज कर दी गई है। साफ है कि पाकिस्तान युद्ध की तैयारी कर रहा है और इस तैयारी में उसे तुर्की और चीन का साथ मिल रहा है.
पहलगाम हमले पर भारत का रुख
पहलगाम में हुए हमले के बाद भारत सरकार ने साफ कर दिया है कि पाकिस्तान को इस बार करारा जवाब मिलेगा. देशभर में गुस्से की लहर है. लोग सड़कों पर उतरकर पाकिस्तान और उसके मददगार देशों के खिलाफ नारेबाजी कर रहे हैं. सोशल मीडिया पर 'Boycott Turkey' और 'Stand With India' जैसे ट्रेंड छाए हुए हैं.
भारतीय रणनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भारत इस बार केवल कूटनीतिक प्रतिक्रिया तक सीमित नहीं रहेगा. पिछले अनुभवों को देखते हुए, जैसे 2016 में उरी हमले के बाद सर्जिकल स्ट्राइक और 2019 में पुलवामा हमले के बाद बालाकोट एयर स्ट्राइक, इस बार भी एक ठोस और निर्णायक कार्रवाई की उम्मीद जताई जा रही है.
तुर्की का दोगलापन बेनकाब
तुर्की का यह दोगलापन अब दुनिया के सामने उजागर हो चुका है. एक ओर वह मानवता और इस्लामिक भाईचारे की दुहाई देता है, वहीं दूसरी ओर निर्दोष भारतीयों के खून बहाने वालों की मदद करता है. भारत ने तुर्की को प्राकृतिक आपदा के समय बिना किसी स्वार्थ के मदद दी थी. लेकिन तुर्की ने कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान का समर्थन कर और अब हथियार भेजकर भारत के साथ अपने रिश्तों पर गहरी चोट कर दी है.
भारत के लिए यह समय अत्यंत सजग रहने का है. जब दुश्मन देश एकजुट होकर भारत के खिलाफ साजिश कर रहे हैं, तब देश को अंदरूनी एकता और मजबूत नेतृत्व की सबसे ज्यादा जरूरत है. भारत को तुर्की और पाकिस्तान जैसे देशों की मंशा को समझते हुए हर मोर्चे पर सतर्कता बरतनी होगी. एक तरफ मानवता का नारा लगाने वाला तुर्की है, जो पीठ पीछे खंजर घोंपने में लगा है. और दूसरी ओर भारत है, जो हर मुश्किल घड़ी में मानवता के लिए खड़ा होता है. वक्त आ गया है कि भारत अपने हितों की रक्षा के लिए निर्णायक कदम उठाए और यह भी सुनिश्चित करे कि ऐसे धोखेबाज देशों को भविष्य में जवाब देना न भूले.
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