Advertisement

कोई स्पेस से गिरकर तो कोई अंतरिक्ष में जलकर हुआ खत्म

सुनीता विलियम्स और बुच विलमोर 6 जून से अंतरिक्ष में फंसे है, लेकिन कोई पहली बार नहीं है जब तकनीकी गड़बड़ियों के कारण अंतरिक्ष में यात्री फंसे हो बल्कि इससे पहले भी ऐसे मामले सामने आते रहे है। ऐसे में आइए उन मशहूर अंतरिक्ष यात्रियों की ओर नज़र डालते हैं जो कुछ तकनीकी गड़बड़ियों के कारण अंतरिक्ष में खो गए थे।

24 Aug, 2024
( Updated: 26 Aug, 2024
10:25 AM )
कोई स्पेस से गिरकर तो कोई अंतरिक्ष में जलकर हुआ खत्म
6 जून से अंतरिक्ष में फंसे सुनीता विलियम्स और बुच विलमोर का दुनिया सांसे थामे इंतजार कर रही है। हालांकि अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का इसे लेकर कहना है कि दोनों को अंतरिक्ष में कुछ दिन और गुजारना पड़ सकते हैं। दरअसल यह मिशन, जो मूल रूप से अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर आठ दिनों का होना था, लेकिन स्टारलाइनर में तकनीकी खराबी आने के कारण सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर अंतरिक्ष में ही फंस गए है। वैसे ये कोई पहली बार नहीं है जब तकनीकी गड़बड़ियों के कारण अंतरिक्ष में यात्री फंसे हो बल्कि इससे पहले भी ऐसे मामले सामने आते रहे है। ऐसे में आइए उन मशहूर अंतरिक्ष यात्रियों की ओर नज़र डालते हैं जो कुछ तकनीकी गड़बड़ियों के कारण अंतरिक्ष में खो गए थे।
 
व्लादिमीर कोमारोव (1967)

व्लादिमीर कोमारोव पहले ऐसे अंतरिक्ष यात्री थे जिनकी अंतरिक्ष में मौत हुई। 23 अप्रैल 1967 को हुए दुर्भाग्यपूर्ण सोयुज-1 मिशन के दौरान, सोवियत अंतरिक्ष यात्री और एयरोस्पेस इंजीनियर कोमारोव की मौत हुई थी। यह त्रासदी उस वक्त हुई जब मिशन पूरा होने के बाद अंतरिक्ष यान को सामान्य रूप से पृथ्वी पर वापस लाया जाना था। उस वक्त सोयुज-I 23,000 फीट की ऊंचाई पर पहुंचा, तो एक पैराशूट तैनात किया जाना था, जो कोमारोव को सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर लाता लेकिन इस बीच दौरान पैराशूट सिस्टम फेल हो गया और विमान 50 मीटर प्रति सेकंड की घातक गति से नीचे धरती पर आ गिरा। जिसमें कोमारोव की तत्काल मृत्यु हो गई। माना जाता है कि यह दुर्घटना अंतरिक्ष यान की थर्मल प्रोटेक्शन में आई गड़बड़ी के कारण हुई थी।
 
व्लाद वोलकोव, जॉर्जी डोब्रोवोल्स्की और विक्टर पट्सायेव (1971)

1971 में इन तीन उज्ज्वल अंतरिक्ष यात्रियों ने अपना मिशन सफलतापूर्वक पूरा किया और तीन सप्ताह तक अंतरिक्ष में रहे। मानव शरीर पर लंबे समय तक भारहीनता के प्रभावों पर प्रयोग करने के बाद दुर्भाग्यवश, व्लाद वोलकोव, जॉर्जी डोब्रोवोल्स्की और विक्टर पट्सायेव की वापसी यात्रा भी दुखद अंत में बदल गई। 29 जून 1971 को, सोयुज-11 अंतरिक्ष यान से पृथ्वी की ओर लौटते समय, उनके प्रवेश यान का एक वाल्व फट गया, जिससे केबिन में मौजूद हवा बाहर निकल गई और दबाव कम होने के कारण उन तीनों की मौत हो गई।
 
फ्रांसिस आर. स्कोबी, माइकल जे. स्मिथ, जुडिथ ए. रेसनिक, एलिसन एस. ओनिज़ुका, रोनाल्ड ई. मैकनेयर, क्रिस्टा मैकऑलिफ, ग्रेगरी बी. जार्विस (1986)

28 जनवरी, 1986 को, स्पेस शटल चैलेंजर अपनी उड़ान के 73 सेकंड बाद ही टूट गया, जिससे उसमें सवार सभी सात क्रू मेंबर भयानक दुर्घटना का शिकार हो गए। तकनीकी खराबी के कारण रॉकेट बूस्टर का ओ-रिंग सील फेल हो गया, जिससे बाहरी टैंक यान से अलग हो गया और रॉकेट बूस्टर अनियंत्रित हो गए। इसके परिणामस्वरूप, अंतरिक्ष यान 46,000 फीट की ऊँचाई पर अटलांटिक महासागर के ऊपर ही टूट गया।

कल्पना चावला (2003)

1 फरवरी 2003 को, एक और भीषण अंतरिक्ष दुर्घटना में सात-सदस्यीय चालक दल, जिसमें कल्पना चावला, रिक हसबैंड, माइकल एंडरसन, डेविड ब्राउन, लॉरेल क्लार्क, विलियम मैककूल और इलान रामोन शामिल थे, उन सभी की इस हादसे में मौत हो गई थी। बताया जाता है कि कोलंबिया यान पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करते समय टूट गया और वायुमंडलीय गैसों ने शटल के अंदर प्रवेश कर लिया, जिसके कारण यान के सेंसर फेल हो गए और अंततः कोलंबिया का विघटन हो गया, जिससे अंतरिक्ष यात्रियों की मृत्यु हो गई। इस दौरान कल्पना चावला के आखिरी शब्द थे "हमारा मिशन सफल रहा और हम सब यहाँ ठीक हैं,"। क्रू ने जीवन विज्ञान, पदार्थ विज्ञान, तरल पदार्थ भौतिकी और अन्य विषयों पर 80 प्रयोग किए थे, लेकिन दुर्भाग्य से इस त्रासदी में उनकी जान चली गई।

यह भी पढ़ें

Tags

Advertisement

टिप्पणियाँ 0

LIVE
Advertisement
Podcast video
अल फ़तह का चीफ़ है फारुख अब्दुला, दिल्ली धमाके से जुड़े तार
Advertisement
Advertisement
Close
ADVERTISEMENT
NewsNMF
NMF App
Download
शॉर्ट्स
वेब स्टोरीज़
होम वीडियो खोजें