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पोर्टेबल डीएनए सीक्वेंसिंग डिवाइस से दवाओं के बेअसर होने की खोज में मिलेगी मदद, स्टडी में दावा

संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन, इंडोनेशिया के कृषि मंत्रालय और अमेरिका की एरिजोना स्टेट यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने मिलकर इंडोनेशिया के ग्रेटर जकार्ता इलाके में छह मुर्गी फार्मों में इस छोटे डीएनए जांचने वाले उपकरण का परीक्षण किया.

30 Jun, 2025
( Updated: 30 Jun, 2025
06:36 PM )
पोर्टेबल डीएनए सीक्वेंसिंग डिवाइस से दवाओं के बेअसर होने की खोज में मिलेगी मदद, स्टडी में दावा

एक नई स्टडी में बताया गया है कि एक छोटा और आसानी से ले जाने वाला डीएनए जांचने वाला उपकरण (पोर्टेबल डिवाइस) जानवरों और पर्यावरण में एंटीबायोटिक दवाओं के असर न करने की समस्या (यानि दवाओं का बेअसर हो जाना) को पहचानने में मदद कर सकता है. इस उपकरण की मदद से डॉक्टर और वैज्ञानिक जल्दी और सस्ते में पता लगा सकेंगे कि कौन सी दवाएं काम नहीं कर रहीं, जिससे समय रहते सही इलाज और जरूरी कदम उठाए जा सकेंगे. इससे एंटीबायोटिक दवाओं के बेअसर होने की बढ़ती समस्या को कम करने में मदद मिलेगी.

कहां-कहां पाई गई ज्यादा ई.कोलाई की मात्रा?
संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन, इंडोनेशिया के कृषि मंत्रालय और अमेरिका की एरिजोना स्टेट यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने मिलकर इंडोनेशिया के ग्रेटर जकार्ता इलाके में छह मुर्गी फार्मों में इस छोटे डीएनए जांचने वाले उपकरण का परीक्षण किया.
उन्होंने मुर्गी फार्मों से निकलने वाले गंदे पानी और आसपास की नदियों से सैंपल (नमूने) लिए. जांच में पाया गया कि मुर्गी फार्मों के गंदे पानी में एक खास बैक्टीरिया (ई.कोलाई), जो एंटीबायोटिक दवाओं के असर न करने का संकेत देता है, वह नदियों तक पहुंच रहा है.
जहां-जहां यह गंदा पानी नदी में मिला, वहां ई.कोलाई की मात्रा ज्यादा पाई गई. इससे साफ हुआ कि जानवरों का अपशिष्ट (जैसे फार्म का गंदा पानी) एंटीबायोटिक प्रतिरोध फैलाने में बड़ी भूमिका निभा सकता है.

‘दस्त जैसी समस्या जानलेवा हो सकती है’
शोधकर्ताओं का कहना है कि यह पोर्टेबल डिवाइस स्थानीय स्तर पर तेजी से और सस्ते में एंटीबायोटिक प्रतिरोध का पता लगाने में सक्षम है. इससे प्रतिरोधी ई. कोलाई के प्रसार को रोकने में मदद मिलेगी, जो बच्चों, बुजुर्गों और कमजोर प्रतिरक्षा वाले लोगों में दस्त जैसी बीमारियों का कारण बन सकता है. एरिजोना स्टेट यूनिवर्सिटी के बायोडिजाइन सेंटर के शोधकर्ता ली वॉथ-गेडर्ट ने बताया, “कुछ जगहों पर दस्त जैसी समस्या जानलेवा हो सकती है.”

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एक बड़ा वैश्विक खतरा- वैज्ञानिक 
वैज्ञानिकों ने बताया कि एंटी माइक्रोबियल रेजिस्टेंस (एएमआर) यानी दवाओं के प्रति रोगाणुओं की प्रतिरोधकता एक बड़ा वैश्विक खतरा है.  साल 2021 में इसके कारण 47.1 लाख मौतें हुईं, जिनमें 11.4 लाख प्रत्यक्ष रूप से एएमआर से जुड़ी थीं. अनुमान है कि साल 2050 तक यह आंकड़ा बढ़कर 82.2 लाख हो सकता है. यह मोबाइल सीक्वेंसिंग तकनीक खेतों, गीली जगहों और अन्य रोगजनकों जैसे बर्ड फ्लू की निगरानी के लिए भी उपयोगी हो सकती है. यह शोध जर्नल ‘एंटीबायोटिक्स’ में प्रकाशित हुआ है.

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