Advertisement

Port Blair का नाम बदलकर आखिर "श्री विजया पुरम" ही क्यों रखा गया, जानें इतिहास

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अंडमान और निकोबार द्वीप समूह की राजधानी पोर्ट ब्लेयर का नाम बदलकर श्री विजया पुरम करने की घोषणा की। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के दृष्टिकोण के हिस्से के रूप में "राष्ट्र को औपनिवेशिक छापों से मुक्त करने" के लिए नाम बदला गया था।

nmf-author
13 Sep 2024
( Updated: 04 Dec 2025
01:31 AM )
Port Blair का नाम बदलकर आखिर "श्री विजया पुरम" ही क्यों रखा गया, जानें इतिहास
भारत का इतिहास सदियों पुराना है, और इस इतिहास में अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह का स्थान विशेष है। यह द्वीपसमूह न केवल अपने प्राकृतिक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि भारत के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान इसके योगदान को भी भुलाया नहीं जा सकता। हाल ही में, केंद्र सरकार ने अंडमान और निकोबार की राजधानी पोर्ट ब्लेयर का नाम बदलकर 'श्री विजयपुरम' रख दिया है। आइए जानते हैं, इस नाम के पीछे की कहानी और इसका भारतीय इतिहास से गहरा संबंध अखिर क्या है?
पोर्ट ब्लेयर से श्री विजयपुरम का सफर
पोर्ट ब्लेयर का नाम अठारहवीं शताब्दी के ब्रिटिश नौसेना अधिकारी लेफ्टिनेंट आर्चीबाल्ड ब्लेयर के नाम पर रखा गया था, जिन्होंने ब्रिटिश साम्राज्य के विस्तार और अंडमान द्वीपसमूह पर नियंत्रण स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। ब्रिटिश शासन के दौरान यह क्षेत्र एक महत्वपूर्ण नौसैनिक और प्रशासनिक अड्डा हुआ करता था। कहते है  लेफ्टिनेंट ब्लेयर के नेतृत्व में द्वीप की सर्वेक्षण और विकास योजनाओं को अंजाम दिया गया, जिसने इस क्षेत्र को ब्रिटिश साम्राज्य का एक प्रमुख केंद्र बना दिया।

यह वही भूमि है जहां नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने सबसे पहले तिरंगा फहराया था और इसे स्वतंत्र भारत की पहली भूमि घोषित किया था। इसके अलावा, यहां स्थित सेल्युलर जेल ने वीर सावरकर और अन्य स्वतंत्रता सेनानियों की संघर्षगाथा को जीवंत रखा है। लेकिन, अब इस स्थान का नाम बदलकर 'श्री विजयपुरम' रखा गया है। इस परिवर्तन का उद्देश्य भारतीय इतिहास के उस गौरवशाली अतीत को सम्मान देना है, जो ब्रिटिश उपनिवेशवाद के दौर में कहीं खो गया था।  अतीत में, पोर्ट ब्लेयर का नाम एक उपनिवेशी अधिकारी के नाम पर रखा गया था, जो औपनिवेशिक सत्ता की एक कड़वी याद थी। यह नाम औपनिवेशिक काल की उन कड़वी यादों का प्रतीक था, जब भारत ब्रिटिश शासन की बेड़ियों में जकड़ा हुआ था।
लेकिन अब आप ये सोच रहे होंगे कि आखिर इसका नाम बदलकर श्री विजयपुरम ही क्यों रखा गया, तो हम आपको बता दें की श्री विजयपुरम केवल एक नाम नहीं, बल्कि उस विजय का प्रतीक है जो भारत ने अपने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान पाई। यह नाम उस साहस, बलिदान और संघर्ष की याद दिलाता है जो हमारे वीर सेनानियों ने देश की आजादी के लिए किया। जो हमारे देश की ऐतिहासिक जड़ों की ओर लौटने का प्रतीक है। इस नाम का संबंध 'श्रीविजय' साम्राज्य से भी जोड़ा जा सकता है, जो दक्षिण पूर्व एशिया के महत्वपूर्ण साम्राज्यों में से एक था और जिसने भारतीय संस्कृति को दुनिया के अन्य हिस्सों में फैलाने में अहम भूमिका निभाई थी।

वैसे आपको बता दें कि अंडमान की धरती न केवल प्राकृतिक सुंदरता से भरी है, बल्कि यह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का साक्षी भी रही है। पोर्ट ब्लेयर में स्थित सेलुलर जेल, जिसे ‘काला पानी’ के नाम से भी जाना जाता है, भारत के स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान का प्रतीक है। यहां वीर सावरकर और अन्य स्वतंत्रता सेनानियों ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ संघर्ष करते हुए अत्यधिक यातनाएं झेलीं। नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने 1943 में अंडमान और निकोबार को जापानियों से स्वतंत्र कराने के बाद इस भूमि को ‘स्वराज द्वीप’ का नाम दिया था। नेताजी की इस ऐतिहासिक पहल ने अंडमान को स्वतंत्रता संग्राम में एक विशेष स्थान दिलाया।
वैसे यह पहली बार नहीं है जब पीएम मोदी ने अंडमान और निकोबार के किसी द्वीप का नाम बदला हो, बल्कि साल 2018 में भी अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह के तीन द्वीपों के नाम बदलकर नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वीप, शहीद द्वीप और स्वराज द्वीप रखे गए थे। इन नामों का उद्देश्य भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के नायकों को उचित सम्मान देना था। श्री विजयपुरम का नामकरण भी इसी कड़ी का हिस्सा है। 

यह भी पढ़ें

Tags

Advertisement

टिप्पणियाँ 0

LIVE
Advertisement
Podcast video
अल फ़तह का चीफ़ है फारुख अब्दुला, दिल्ली धमाके से जुड़े तार
Advertisement
Advertisement
Close
ADVERTISEMENT
NewsNMF
NMF App
Download
शॉर्ट्स
वेब स्टोरीज़
होम वीडियो खोजें