Jimmy Carter का हरियाणा के गांव से क्या था नाता कि नाम ही बदल दिया गया ?
America के पूर्व राष्ट्रपति जिमी कार्टर का निधन हो गया. जिमी भारत को बहुत पसंद करते थे. हरियाणा में तो एक गांव भी उनके नाम पर है
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अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जिमी कार्टर का 100 साल की उम्र में निधन हो गया। अमेरिका के 39 वें राष्ट्रपति जिमी कार्टर का भारत के साथ एक ख़ास रिश्ता था। राष्ट्रपति रहते हुए जिमी कार्टर भारत आए थे। यहां की मेहमाननवाज़ी के वे इस कदर क़ायल थे कि उन्हें देसी हुक्का, गांव की खाट काफ़ी भाती थी। जिमी कार्टर के लिए भारत के लोगों की मोहब्बत भी कुछ कम नहीं थी हरियाणा के एक गांव में तो ग्रामीणों ने गांव का नाम ही बदलकर उनके नाम पर रख लिया था। कहां हैं वो गांव और क्या है इसकी पूरी कहानी चलिए जानते हैं।
साल 1978 में जिमी कार्टर अमेरिका के राष्ट्रपति रहते हुए भारत आए थे। उस वक़्त मोरारजी देसाई भारत के प्रधानमंत्री थे। इस दौरान जिमी कार्टर अचानक गुरुग्राम के दौलतपुर नसीराबाद गांव जाने की बात कही।ये सुनकर उनके साथ मौजूद भारतीय अधिकारी हैरान रह गए। सब सोच में पड़ गए कि अमेरिका के राष्ट्रपति को एक छोटे से गांव क्यों जाना है और उस गांव के बारे में जिमी कार्टर को जानकारी कहां से मिली। आखिरकार उन्हें दौलतपुर नसीराबाद गांव ले जाया गया। जिमी कार्टर के आते ही गांव में दिवाली जैसा माहौल हो गया। कार्टर ने गांव वालों से मुलाक़ात की। वे यहां क़रीब एक घंटे रहे। उनके दौरे से गांव वाले भी बेहद खुश थे। अमेरिका के राष्ट्रपति उनके गांव आए थे ये कोई छोटी बात नहीं थी।
ये 1945 में वर्ल्ड वॉर की बात है। अमेरिका की एक नर्स बेस्सी लिलियन कार्टर अपनी साथी रोज़ा कार्टर के साथ भारत आई थीं। अपने भारत दौरे में वे कई बार हरियाणा के इसी दौलतपुर गांव में गईं। उस दौरान जिमी कार्टर उनके गर्भ में थे। वे ही जिमी बाद में चलकर अमेरिका के राष्ट्रपति बने। बेस्सी लिलियन कार्टर अमेरिका वापस चली गईं लेकिन दौलतपुर गांव उनके दिल में बस गया था। ऐसे में जब उन्हें पता चला बतौर राष्ट्रपति जिमी भारत जा रहे हैं तो वे भी अपने बेटे के साथ यहां आई और उसी दौलतपुर गांव जाने की ख्वाहिश जताई। यही वजह थी कि जिमी कार्टर अपनी मां और पत्नी के साथ दौलतपुर गांव आए।
अमेरिका के राष्ट्रपति का गांव वालों ने भी दिल खोलकर स्वागत किया। जिमी और उनके परिवार को पारंपरिक हरियाणवी ड्रेस गिफ़्ट की। गांव वाले जिम्मी कार्टर के आने से इतने खुश हो गए कि गांव का नाम बदलकर कार्टरपुरी रख दिया।
सामाजिक और आर्थिक न्याय को बढ़ावा देने वाले जिमी कार्टर के निधन पर PM मोदी ने भी दुख जताया. उन्होंने जिमी कार्टर को महान दूरदर्शी राजनेता बताया और X पर एक पोस्ट में लिखा, "पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति जिमी कार्टर के निधन से बहुत दुख हुआ। उन्होंने वैश्विक शांति और सद्भाव के लिए अथक प्रयास किया। भारत-अमेरिका संबंधों को मजबूत बनाने में उनका योगदान एक स्थायी विरासत छोड़ गया है। उनके परिवार, दोस्तों और अमेरिका के लोगों के प्रति मेरी हार्दिक संवेदनाएं"
सामाजिक न्याय के हमेशा पक्षधर रहे जिमी कार्टर को 2002 में नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। अपने एक संबोधन में जिमी कार्टर ने कहा था, "मैंने आपसे एक ऐसे राष्ट्रपति का वादा किया था जो लोगों में कटा-बंटा नहीं रहेगा। जो आपके दर्द को महसूस करेगा. जो आपके सपनों को जिएगा और जो अपनी ताकत और ज्ञान आपसे हासिल करेगा"
जिमी कार्टर को खेती में भी काफ़ी रूचि थी वे एक सफल किसान भी रहे। इसके अलावा उन्होंने अमेरिकी नौसेना में लेफ्टिनेंट के रूप में सेवा दी. जिमी कार्टर भारत के साथ राजनीतिक ही नहीं व्यक्तिगत तौर पर भी जुड़े रहे। भारत में उनकी शख़्सियत का प्रभाव ऐसा रहा कि एक गांव का नाम ही जिमी कार्टर को समर्पित कर दिया गया।
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