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यूपी उपचुनाव : अखिलेश यादव का गठबंधन को लेकर बड़ा एलान, जानिए क्या है इसके मायने ?

सपा प्रमुख ने अखिलेश यादव ने बुधवार की रात ऐसा एलान किया जिसकी शायद किसी को उम्मीद नहीं रही होगी। अखिलेश यादव का कहना है कि गठबंधन के उम्मीदवार सपा के पार्टी सिंबल पर चुनाव लड़ेंगे। सपा प्रमुख ने इस बात का ऐलान करते हुए अपने सोशल मीडिया एक अकाउंट पर एक लंबा चौड़ा पोस्ट करते हुए कहा ‘बात सीट की नहीं जीत की है’।

24 Oct, 2024
( Updated: 06 Dec, 2025
11:48 PM )
यूपी उपचुनाव : अखिलेश यादव का गठबंधन को लेकर बड़ा एलान, जानिए क्या है इसके मायने ?
उत्तर प्रदेश की नौ सीटों पर होने वाले उपचुनाव को जितने के लिए एक तरफ़ जहाँ सत्ताधारी बीजेपी ने सीएम योगी आदित्यानाथ की अगुवाई में पूरी ताक़त के साथ चुनावी मैदान में ताल ठोक रही है तो वही दूसरी तरफ़ अखिलेश यादव भी कांग्रेस के साथ हाथ मिलते हुए इस रण में बीजेपी को मात देने के लिए रणनीति तैयार कर चुके है। यूपी में सपा-कांग्रेस लोकसभा के बाद से साथ मिलकर बीजेपी को मात देने के लिए काम कर रही है। इस बीच सपा-कांग्रेस में सीट शेयरिंग को लेकर उलझी हुई गुत्थी भी अब सुलझती दिख रही है या फिर यह कह सकते है कि अंतिम में अखिलेश यादव ने कांग्रेस से पक्की डील कर ली है। हम ये बातें इसलिए बता रहे है क्योंकि एक तरफ़ जहाँ राजनीति में दिलचस्पी रखने वाले लोग सपा-कांग्रेस गठबंधन में सीट शेयरिंग के चलते विवाद के क़यास लगा रहे थे इससे इतर सपा प्रमुख ने अखिलेश यादव ने बुधवार की रात ऐसा एलान किया जिसकी शायद किसी को उम्मीद नहीं रही होगी। अखिलेश यादव का कहना है कि गठबंधन के उम्मीदवार सपा के पार्टी सिंबल पर चुनाव लड़ेंगे। सपा प्रमुख ने इस बात का ऐलान करते हुए अपने सोशल मीडिया एक अकाउंट पर एक लंबा चौड़ा पोस्ट करते हुए कहा ‘बात सीट की नहीं जीत की है’। 


दरअसल, अखिलेश यादव उपचुनाव में कोई भी गलती नहीं करना चाह रहे हैं। जिससे चुनाव में सपा-कांग्रेस को नुक़सान और बीजेपी को फ़ायदा हो। यही वजह है कि अखिलेश यादव फूंक-फ़ूंक कर कदम रख रहे हैं और साथ में सहयोगी कांग्रेस को भी साथ लेकर चलने की भरसक प्रयास कर रहे हैं। यूपी की 9 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव को लेकर या आशंका जताई जा रही थी कि कांग्रेस पार्टी मन मुताबिक सीट न मिलने से नाराज है और उपचुनाव को लड़ने से इनकार कर दिया है। इसके पीछे दावा किया जा रहा था कि कांग्रेस हारी हुई सीट पर दावा नहीं लगाना चाहती थी। समाजवादी पार्टी की तरफ से कांग्रेस के लिए गाजियाबाद और खैर सीट छोड़ी गई थी। इसी बात को लेकर कांग्रेस पार्टी के नेता नाराज थे क्योंकि गाजियाबाद और खैर विधानसभा सीट पर कांग्रेस पार्टी खुद की मजबूत नहीं मान रही थी क्योंकि इन दोनों सीटों पर पिछले कई भारतीय जनता पार्टी जीती हुई आ रही है। वही कुछ राजनीतिक पंडितों की माने तो यह कांग्रेस पार्टी का एक फेस सेविंग फार्मूला भी है जिससे सांप भी मर जाए और लाठी भी ना टूटे। इस तरह से कांग्रेस पार्टी उपचुनाव नहीं लड़ रही है और अपनी महत्ता को भी इस गठबंधन में बनाए रखी है। कांग्रेस पार्टी को इस बात का पूरा भरोसा था कि यह दोनों सीट उसके लिए जितना बेहद मुश्किल है जिसके लिए वजह से सपा ने यह दोनों सीट कांग्रेस पार्टी के लिए छोड़ी थी। इसी पर गांव खेलते हुए कांग्रेस ने यह दोनों सीट भी लड़ने से बेहतर इसे सपा के लिए छोड़ना जरूरी समझा। कांग्रेस के प्रदेश नेतृत्व की तरफ से पहले ही इस बात का अंदेशा जाता दिया गया था कि अगर फूलपुर और मीरापुर जैसी सीट कांग्रेस पार्टी को नहीं मिलेगी तो वह चुनाव नहीं लड़ेगी। अखिलेश यादव ने भी इन दोनों सीटों को देने से साफ तौर पर मना कर दिया था क्योंकि यह दोनों सीट ऐसी है जो विपक्ष जीत सकता है। ऐसे में अखिलेश यादव ने अब जो यह फैसला लिया है कि सभी सीटों पर गठबंधन के प्रत्याशी उतरेंगे लेकिन चुनाव समाजवादी पार्टी के सिंबल पर लड़ेंगे यह भी एक बड़ा राजनीतिक कदम माना जा रहा है।


अखिलेश यादव ने क्या कहा ?

सपा प्रमुख ने बुधवार की रात अपने सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा "‘बात सीट की नहीं जीत की है’ इस रणनीति के तहत ‘इंडिया गठबंधन’ के संयुक्त प्रत्याशी सभी 9 सीटों पर समाजवादी पार्टी के चुनाव चिन्ह ‘साइकिल’ के निशान पर चुनाव लड़ेंगे। कांग्रेस और समाजवादी पार्टी एक बड़ी जीत के लिए एकजुट होकर, कंधे से कंधा मिलाकर साथ खड़ी है। इंडिया गठबंधन इस उपचुनाव में, जीत का एक नया अध्याय लिखने जा रहा है। कांग्रेस पार्टी के शीर्ष नेतृत्व से लेकर बूथ स्तर तक के कार्यकर्ताओं के साथ आने से समाजवादी पार्टी की शक्ति कई गुना बढ़ गयी है। इस अभूतपूर्व सहयोग और समर्थन से सभी 9 विधानसभा सीटों पर ‘इंडिया गठबंधन’ का एक-एक कार्यकर्ता जीत का संकल्प लेकर नयी ऊर्जा से भर गया है।" अपने इसी पोस्ट में अखिलेश यादव ने आगे लिखा कि "ये देश का संविधान, सौहार्द और PDA का मान-सम्मान बचाने का चुनाव है। इसीलिए हमारी सबसे अपील है : एक भी वोट न घटने पाए, एक भी वोट न बँटने पाए। देशहित में ‘इंडिया गठबंधन’ की सद्भाव भरी ये एकता और एकजुटता आज भी नया इतिहास लिखेगी और कल भी।"


यूपी की इन सीटों पर हो रहा उपचुनाव 

दरअसल, यूपी में जिन सीटों पर उपचुनाव हो रहे है उनमें वो सीट शामिल है जहाँ के विधायकों ने लोकसभा चुनाव में जीत हासिल की और विधायक पद से इस्तीफ़ा दिया था जिसके चलते ये सीटें ख़ाली हुई और यहाँ उप चुनाव हो रहे है। इसमें से 10 सीटों पर उपचुनाव होना था, उनमें मैनपुरी की करहल, कानपुर की सीसामऊ, प्रयागराज की फूलपुर, अंबेडकरनगर की कटेहरी, मिर्जापुर की मझवां, अयोध्या की मिल्कीपुर, गाजियाबाद सदर, अलीगढ़ की खैर, मुजफ्फरनगर की मीरापुर और मुरादाबाद की कुंदरकी सीट शामिल हैं।हालांकि अभी सिर्फ 9 सीटों पर उपचुनाव घोषित हुए हैं. मिल्कीपुर सीट पर तारीख का ऐलान नहीं हुआ है। ग़ौरतलब है कि चुनाव आयोग द्वारा किए गए एलान के मुताबिक़ 13 नवंबर को मतदान होंगे जबकि वोटों की गिनती 23 नवंबर को होगी। 

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