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पूर्व विदेश मंत्री एस.एम. कृष्णा के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जताया दुख

प्रतिष्ठित फुलब्राइट स्कॉलरशिप प्राप्तकर्ता कृष्णा अपने समय के सबसे सफल नेताओं में से एक थे। उन्होंने 1999 से 2004 तक कर्नाटक के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया, जिसके दौरान उन्होंने बेंगलुरू को वैश्विक आईटी हब में बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यूपीए सरकार के तहत 2009 से 2012 तक विदेश मंत्री के रूप में उनके कार्यकाल ने एक प्रतिष्ठित राजनेता के रूप में उनकी प्रतिष्ठा को और मजबूत किया।

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10 Dec 2024
( Updated: 10 Dec 2024
04:16 PM )
पूर्व विदेश मंत्री एस.एम. कृष्णा के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जताया दुख
पूर्व विदेश मंत्री एस.एम. कृष्णा के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुख जताया है। पीएम मोदी ने मंगलवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पोस्ट में कहा वो एक पाठक और विचारक थे। 

पोस्ट में उन्होंने लिखा, "एस.एम. कृष्णा एक असाधारण नेता थे, जिनकी प्रशंसा हर वर्ग के लोग करते थे। उन्होंने हमेशा दूसरों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए अथक प्रयास किया। कर्नाटक के मुख्यमंत्री के रूप में उनके कार्यकाल खासकर बुनियादी ढांचे के विकास पर उनके ध्यान के लिए उन्हें याद किया जाता है। वह एक पाठक और विचारक भी थे।"

92 वर्ष की आयु में बेंगलुरू स्थित आवास पर हुआ निधन 


बता दें कि पूर्व विदेश मंत्री का 10 दिसंबर की सुबह 92 वर्ष की आयु में उनके बेंगलुरू स्थित आवास पर निधन हो गया। वह उम्र संबंधी बीमारियों से जूझ रहे थे। अपनी बौद्धिक क्षमता और प्रशासनिक कौशल के लिए पहचाने जाने वाले एस एम कृष्णा का राजनीतिक करियर पांच दशक से भी ज्यादा समय तक शानदार रहा। 1 मई, 1932 को कर्नाटक के मद्दुर में जन्मे कृष्णा ने मैसूर के महाराजा कॉलेज और बेंगलुरु के गवर्नमेंट लॉ कॉलेज से शिक्षा प्राप्त की, उसके बाद टेक्सास के सदर्न मेथोडिस्ट यूनिवर्सिटी और वाशिंगटन डीसी के जॉर्ज वाशिंगटन यूनिवर्सिटी से एडवांस डिग्री हासिल की। ​

प्रतिष्ठित फुलब्राइट स्कॉलरशिप प्राप्तकर्ता कृष्णा अपने समय के सबसे सफल नेताओं में से एक थे। उन्होंने 1999 से 2004 तक कर्नाटक के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया, जिसके दौरान उन्होंने बेंगलुरू को वैश्विक आईटी हब में बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यूपीए सरकार के तहत 2009 से 2012 तक विदेश मंत्री के रूप में उनके कार्यकाल ने एक प्रतिष्ठित राजनेता के रूप में उनकी प्रतिष्ठा को और मजबूत किया।

उन्होंने महाराष्ट्र के राज्यपाल (2004-2008) और कर्नाटक विधानसभा का अध्यक्ष (1989-1993) पद भी संभाला। कांग्रेस के दिग्गज रहे कृष्णा ने वैचारिक मतभेदों का हवाला देते हुए 2017 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ज्वाइन कर ली। उनके योगदान के सम्मान में, उन्हें 2023 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था।

Input: IANS

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