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PM Modi: अमेरिकी अखबार ने मोदी सरकार के बारे मे और क्या लिखा?

PM Modi: अमेरिकी अख़बार ने अपने आर्टिकल में लिखा है कि मोदी की छवि राष्ट्रवादी हिंदू नेता की रही है, पर अब वो अटल बिहारी वाजपेई की राह पर चल रहे हैं। वे विरोधीयों के दबाव में अपना निर्णय बदल रहे हैं, वे सहयोगी दलों के कहने पर अपने कदम पीछे खींच रहे हैं।

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29 Aug 2024
( Updated: 29 Aug 2024
09:36 AM )
PM Modi: अमेरिकी अखबार ने मोदी सरकार के बारे मे और क्या लिखा?
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नई दिल्ली। अमेरिका का The Wall Street journal लिखता है कि मोदी अपने निर्णायक और मजबूत छवि को पीछे छोड़ रहे हैं। वो अब रिस्क नहीं लेते, वे सबको खुश रखना चाहते हैं। अमेरिकी अख़बार ने अपने आर्टिकल में लिखा है कि मोदी की छवि राष्ट्रवादी हिंदू नेता की रही है, पर अब वो अटल बिहारी वाजपेई की राह पर चल रहे हैं। वे विरोधीयों के दबाव में अपना निर्णय बदल रहे हैं, वे सहयोगी दलों के कहने पर अपने कदम पीछे खींच रहे हैं। मोदी जितना ज़्यादा एडजस्ट कर रहे हैं, विपक्ष उनपर उतना ही तानाशाही का आरोप लगाता है।

The Wall Street Journal कहता है कि मोदी सबसे ज्यादा आलोचना सहने वाले प्रधानमंत्री हैं, फिर भी उनकी छवि तानाशाह और हिटलर जैसी गढ़ी जा रही है। मोदी ने अपने तीन टर्म के कार्यकाल में किसी भी विरोधी राज्य सरकार को बर्खास्त नहीं किया, फिर भी वो तानाशाह हैं। और देश में आग लगाने की बात कहने वाले लोग डेमोक्रेसी के ध्वजवाहक हैं?

अख़बार लिखता है कि सबसे ज्यादा दलितों और आदिवासियों के लिए काम करने के बावजूद मोदी को एंटी दलित, एंटी आदिवासी प्रोजेक्ट किया जा रहा है। मोदी और शाह पर आरोप है कि उन्होंने बीजेपी को ब्राह्मण बनिया की पार्टी वाली छवि से निकालकर उसे OBC और दलितों की पार्टी बना दिया। इस बात से पार्टी के अंदर ही उच्च वर्ग के नेता कार्यकर्ता नाराज़ भी हैं, इसके बावजूद राहुल गांधी ये नैरेटिव गढ़ने में कामयाब हो रहे हैं कि भाजपा ओबीसी- एससी और एसटी के खिलाफ़ है। 

भारत का हर पढ़ा लिखा इंसान जानता है कि संविधान पर कोई खतरा नहीं है, लेकिन "संविधान खतरे में है" मुख्य चुनावी मुद्दा बन जाता है। अख़बार का आकलन है कि Master of Communication मोदी की पार्टी नैरेटिव गढ़ने में पीछे रह जा रही है। मोदी जितना ज़्यादा लचीला रुख अपनाएंगे, उन्हें उतना ही ज़्यादा झुकाने की कोशिश होगी। 

अंत में मोदी कहीं अटल बिहारी वाजपेई की तरह एक लाचार और सबसे समन्वय स्थापित कर काम करने वाले प्रधानमंत्री के रूप में न रिटायर हो जाएं। ये उनके पहले की माचो, मजबूत और निर्णायक छवि से भिन्न होगी।

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