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अंडमान निकोबार द्वीपों का नाम हमारे नायकों के नाम पर रखना उनकी स्मृति को संरक्षित करने का प्रयास: पीएम मोदी

पत्रकार शिव अरूर की ओर से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर साझा किए गए पोस्ट को रीपोस्ट करते हुए पीएम मोदी ने लिखा, "अंडमान और निकोबार में द्वीपों का नाम हमारे नायकों के नाम पर रखना यह सुनिश्चित करने का एक तरीका है कि राष्ट्र के प्रति उनकी सेवा को आने वाली पीढ़ियों तक याद रखा जाए। यह हमारे स्वतंत्रता सेनानियों और उन प्रतिष्ठित हस्तियों की स्मृति को संरक्षित करने के प्रयास का भी हिस्सा है, जिन्होंने हमारे देश पर एक अमिट छाप छोड़ी है।"

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18 Dec 2024
( Updated: 18 Dec 2024
05:07 PM )
अंडमान निकोबार द्वीपों का नाम हमारे नायकों के नाम पर रखना उनकी स्मृति को संरक्षित करने का प्रयास: पीएम मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को कहा कि अंडमान और निकोबार के द्वीपों का नाम हमारे नायकों के नाम पर रखना यह सुनिश्चित करने का एक तरीका है कि राष्ट्र के प्रति उनकी सेवा को आने वाली पीढ़ियां याद रखें। 

पत्रकार शिव अरूर की ओर से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर साझा किए गए पोस्ट को रीपोस्ट करते हुए पीएम मोदी ने लिखा, "अंडमान और निकोबार में द्वीपों का नाम हमारे नायकों के नाम पर रखना यह सुनिश्चित करने का एक तरीका है कि राष्ट्र के प्रति उनकी सेवा को आने वाली पीढ़ियों तक याद रखा जाए। यह हमारे स्वतंत्रता सेनानियों और उन प्रतिष्ठित हस्तियों की स्मृति को संरक्षित करने के प्रयास का भी हिस्सा है, जिन्होंने हमारे देश पर एक अमिट छाप छोड़ी है।"

जो राष्ट्र अपनी जड़ों से जुड़े रहते हैं, वे ही विकास और राष्ट्र-निर्माण में आगे बढ़ते हैं: पीएम मोदी


पीएम मोदी ने आगे लिखा, "जो राष्ट्र अपनी जड़ों से जुड़े रहते हैं, वे ही विकास और राष्ट्र-निर्माण में आगे बढ़ते हैं। अंडमान और निकोबार द्वीप समूह का भी आनंद लें। सेलुलर जेल भी अवश्य जाएं और महान वीर सावरकर के साहस से प्रेरणा लें।"

उल्लेखनीय है कि पिछले साल 23 जनवरी 2023 को अंडमान के 21 द्वीपों के नाम भारत के सर्वोच्च सैन्य सम्मान परमवीर चक्र से सम्मानित सैनिकों के नाम पर रखे गए थे।

इस दौरान पीएम मोदी ने कहा था, "21 द्वीपों के नामकरण के पीछे एक संदेश हैं। यह संदेश 'एक भारत, श्रेष्ठ भारत' की भावना का है। यह संदेश देश के लिए हमारे परमवीरों के बलिदान और उनके अद्वितीय साहस और वीरता का है। इन 21 परमवीर चक्र विजेताओं ने देश की सेवा में अपना सब कुछ न्योछावर कर दिया। वे अलग-अलग राज्यों से थे, अलग-अलग भाषाएं बोलते थे, लेकिन वे देश की सेवा में एकजुट थे। यह देश का कर्तव्य है कि सेना के योगदान के साथ-साथ इन राष्ट्रीय रक्षा अभियानों के लिए खुद को समर्पित करने वाले सैनिकों को भी व्यापक रूप से मान्यता दी जाए।"

Input: IANS

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