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कुंभ में मुसलमानों के स्वागत पर महंत रविंद्र पुरी ने दिया बड़ा बयान, कहा "मुसलमान कुंभ में आएं, लेकिन..."

महंत रविंद्र पुरी, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष, ने कुंभ मेला, गंगा की पवित्रता और सनातन धर्म की रक्षा पर अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने 'शाही स्नान' को बदलकर 'अमृत स्नान' करने के महत्व पर जोर दिया, जो गंगा की शुद्धता को दर्शाता है।

01 Jan, 2025
( Updated: 05 Dec, 2025
09:24 AM )
कुंभ में मुसलमानों के स्वागत पर महंत रविंद्र पुरी ने दिया बड़ा बयान, कहा "मुसलमान कुंभ में आएं, लेकिन..."
महंत रविंद्र पुरी, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष, ने मंगलवार (31 दिसंबर) को सनातन धर्म, कुंभ मेला, गंगा की पवित्रता और राजनीति से जुड़े कई मुद्दों पर अपनी स्पष्ट और बेबाक राय रखी। आईएएनएस के साथ हुई उनकी बातचीत में उन्होंने हिंदू धर्म के प्रति अपनी आस्था, समर्पण और विचारों को व्यक्त किया। यह बातचीत न केवल धार्मिक बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण थी।

महंत रविंद्र पुरी ने कुंभ मेले के आयोजन और परंपराओं के महत्व पर बात की। उन्होंने 'शाही स्नान' को बदलकर 'अमृत स्नान' करने के निर्णय को सही ठहराया। उनके अनुसार, 'अमृत स्नान' शब्द गंगा की पवित्रता और सनातन धर्म की महिमा को अधिक सटीक रूप से दर्शाता है। महंत का मानना है कि परंपराओं में बदलाव लाना आवश्यक नहीं है, लेकिन शब्दों का चयन ऐसा होना चाहिए जो उसकी वास्तविक महिमा को उजागर करे। उन्होंने कुंभ मेले को स्वच्छ और शुद्ध रखने पर जोर दिया ताकि यह दुनिया भर के श्रद्धालुओं के लिए एक आदर्श धार्मिक और सांस्कृतिक अनुभव बन सके। गंगा नदी को सनातन धर्म में अमृत के समान माना गया है। महंत रविंद्र पुरी ने गंगा के पानी की शुद्धता बनाए रखने के लिए सरकार और संत समाज के प्रयासों की प्रशंसा की। उन्होंने बताया कि गंगा केवल एक नदी नहीं है, बल्कि यह हमारी संस्कृति, धर्म और जीवन का प्रतीक है। गंगा की शुद्धता को बनाए रखना न केवल धार्मिक कार्य है, बल्कि यह हमारे समाज और पर्यावरण के लिए भी अत्यंत आवश्यक है।

महंत ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत के बयानों का समर्थन करते हुए कहा कि उनका उद्देश्य कभी भी हिंदू-मुस्लिम विवाद को बढ़ावा देना नहीं रहा। उन्होंने मोहन भागवत को सनातन धर्म का सच्चा रक्षक बताया। महंत का कहना था कि सनातन धर्म को बचाने के लिए एकजुटता जरूरी है। उनका यह भी कहना था कि सांप्रदायिक तनाव से बचते हुए सभी धर्मों का सम्मान करना हमारी संस्कृति का हिस्सा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व को लेकर महंत ने गहरा विश्वास व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी के शासनकाल में हिंदू समाज ने अपनी पहचान को और मजबूत किया है। महंत का कहना था कि मोदी जी के प्रधानमंत्री बनने के बाद सनातन धर्म को कोई खतरा नहीं है। उनके नेतृत्व में भारत ने मंदिर निर्माण, गंगा शुद्धिकरण और सांस्कृतिक पुनरुत्थान के क्षेत्र में बड़े कदम उठाए हैं।
मुसलमानों का कुंभ में स्वागत
महंत रविंद्र पुरी ने कुंभ मेले में मुसलमानों के प्रवेश पर खुलकर बात की। उन्होंने स्पष्ट किया कि मुसलमानों के खिलाफ कोई प्रतिबंध नहीं है, लेकिन यह आवश्यक है कि वे सनातन धर्म और उसके कार्यों का सम्मान करते हुए यहां आएं। उन्होंने कहा कि धार्मिक स्थलों पर शांति और सौहार्द बनाए रखना हम सभी की जिम्मेदारी है। कुंभ मेला हर धर्म के लोगों के लिए एक आस्था का केंद्र है, लेकिन इसका पवित्र वातावरण बनाए रखना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए।
सनातन बोर्ड की मांग
महंत रविंद्र पुरी ने सनातन बोर्ड की स्थापना का प्रस्ताव रखा। उन्होंने वक्फ बोर्ड की तर्ज पर एक बोर्ड की जरूरत को रेखांकित किया। उनका तर्क था कि जैसे वक्फ बोर्ड को संपत्ति और सुविधाएं मिलती हैं, वैसे ही सनातन धर्म से जुड़े संगठनों को भी ऐसी सुविधाएं मिलनी चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया कि वक्फ बोर्ड को जो भूमि आवंटित की गई है, उसका 80 प्रतिशत हिस्सा सनातन बोर्ड को दिया जाना चाहिए। यह विचार न केवल सनातन धर्म को सशक्त बनाएगा, बल्कि धार्मिक संतुलन भी स्थापित करेगा।

महंत रविंद्र पुरी ने हिंदू राष्ट्र के विचार को सशक्त बताया और कहा कि भारत पहले से ही हिंदू राष्ट्र है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंदिरों में नतमस्तक होकर आस्था का एक नया उदाहरण प्रस्तुत किया है। उनका यह भी कहना था कि धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करना हर भारतीय की जिम्मेदारी है।

महंत रविंद्र पुरी की बातचीत ने धार्मिक और सामाजिक मुद्दों पर एक नई रोशनी डाली। उनका दृष्टिकोण न केवल सनातन धर्म को सशक्त बनाने पर केंद्रित था, बल्कि उन्होंने समाज में शांति और सौहार्द बनाए रखने की अपील भी की। उनकी सोच और नेतृत्व ने यह स्पष्ट कर दिया कि धर्म केवल पूजा का माध्यम नहीं है, बल्कि यह समाज को एकजुट करने और संस्कृति को संरक्षित करने का एक जरिया है।

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