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'आजाद रहना है तो डर पैदा करना होगा और डर पैदा करने के लिए शक्तिशाली बनना होगा', फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों का बड़ा बयान, डिफेंस बजट दो गुना करना का वादा

बैस्टिल डे की पूर्व संध्या पर फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से अब तक यूरोप की स्वतंत्रता और सुरक्षा पर इतना गंभीर खतरा कभी नहीं आया. यह वक्तव्य केवल फ्रांस के लिए नहीं, बल्कि समूचे यूरोप के लिए एक चेतावनी है. उन्होंने यह भी कहा कि इस दुनिया में आजाद रहने के लिए आपको डर पैदा करना होगा. और डर पैदा करने के लिए आपको शक्तिशाली बनना होगा.

14 Jul, 2025
( Updated: 15 Jul, 2025
10:01 AM )
'आजाद रहना है तो डर पैदा करना होगा और डर पैदा करने के लिए शक्तिशाली बनना होगा', फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों का बड़ा बयान, डिफेंस बजट दो गुना करना का वादा
File Photo

फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने 14 जुलाई के राष्ट्रीय पर्व बैस्टिल डे की पूर्व संध्या पर देश को संबोधित करते हुए एक ऐसा भाषण दिया, जिसने पूरे यूरोप के राजनीतिक और सुरक्षा हलकों में हलचल मचा दी है. मैक्रों ने स्पष्ट रूप से कहा कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से अब तक यूरोप की स्वतंत्रता और सुरक्षा पर इतना गंभीर खतरा कभी नहीं आया. यह वक्तव्य केवल फ्रांस के लिए नहीं, बल्कि समूचे यूरोप के लिए एक चेतावनी है. उनके शब्दों में डर और साहस, दोनों का गूढ़ संदेश छिपा है.

आजाद रहने के लिए आपको डर पैदा करना होगा
राष्ट्रपति मैक्रों ने अपने संबोधन में जिस आत्मविश्वास और स्पष्टता से बात रखी, वह न केवल उनके नेतृत्व की गंभीरता दिखाती है, बल्कि यह भी बताती है कि फ्रांस अब रक्षात्मक नहीं, आक्रामक रणनीति की ओर बढ़ रहा है. उन्होंने कहा, “इस दुनिया में आजाद रहने के लिए आपको डर पैदा करना होगा. और डर पैदा करने के लिए आपको शक्तिशाली बनना होगा.” यह बात सिर्फ एक देश की सुरक्षा की नहीं, बल्कि वैश्विक कूटनीतिक सन्देश भी है. मैक्रों यह जताना चाह रहे हैं कि शांति केवल शक्ति से ही संभव है.

रक्षा बजट में बड़ी छलांग
फ्रांस ने पहले 2030 तक अपने रक्षा बजट को दोगुना करने की योजना बनाई थी, लेकिन अब राष्ट्रपति ने इसे अगले दो वर्षों में ही पूरा करने की घोषणा कर दी है. 2025 में ही रक्षा बजट में 3.5 बिलियन यूरो की वृद्धि की जाएगी और 2027 तक इसे और 3 बिलियन यूरो तक बढ़ाया जाएगा. यानी अब फ्रांस तेजी से अपनी सैन्य तैयारियों को आधुनिक और प्रभावशाली बना रहा है. हालांकि, अभी यह प्रस्ताव संसद से पास होना बाकी है, लेकिन जिस तरह से मैक्रों ने इसे सार्वजनिक रूप से प्रस्तुत किया है, वह इस निर्णय की गंभीरता को दर्शाता है.

रूस को लेकर खुली चेतावनी
फ्रांस के राष्ट्रपति ने रूस को लेकर भी खुलकर अपने विचार रखे. उन्होंने मॉस्को की ‘साम्राज्यवादी नीतियों’ की आलोचना करते हुए कहा कि रूस की क्षेत्र विस्तार नीति यूरोप के लिए स्थायी खतरा बन चुकी है. यह बात फ्रांस की सेना के प्रमुख थिएरी बर्कहार्ड ने भी कही. उनका कहना था कि रूस अब फ्रांस को यूरोप में अपना मुख्य विरोधी मानता है. मैक्रों ने दो टूक कहा कि यूक्रेन युद्ध सिर्फ एक देश की लड़ाई नहीं, बल्कि यह पूरे यूरोप की राजनीतिक और भौगोलिक दिशा तय कर रहा है.

परमाणु शक्ति पर रणनीतिक संवाद का नया दौर
अपने संबोधन में मैक्रों ने यह भी ऐलान किया कि फ्रांस अब यूरोपीय सहयोगियों के साथ मिलकर परमाणु हथियारों की भूमिका पर ‘रणनीतिक संवाद’ शुरू करेगा. यह कदम इस संकेत के तौर पर देखा जा रहा है कि फ्रांस अब केवल अपनी रक्षा पर नहीं, बल्कि पूरे यूरोप की सामूहिक सुरक्षा में नेतृत्वकारी भूमिका निभाना चाहता है. इसी कड़ी में फ्रांस और ब्रिटेन ने हाल ही में परमाणु सुरक्षा पर आपसी सहयोग को और मजबूत करने का निर्णय लिया है. यह यूरोप में रक्षा नीति के एक नए युग की शुरुआत हो सकती है.

अमेरिका पर निर्भरता अब जोखिम भरा
राष्ट्रपति मैक्रों ने यह भी स्वीकार किया कि अमेरिका की विदेश नीति में अस्थिरता के कारण यूरोप की सुरक्षा और अधिक अनिश्चित हो गई है. उन्होंने यूक्रेन को लेकर अमेरिका के समर्थन में उतार-चढ़ाव, भारत-पाकिस्तान संघर्ष और ईरान पर अमेरिकी बमबारी का भी उल्लेख किया. यह संकेत है कि यूरोप अब अमेरिका के भरोसे नहीं बैठ सकता. उसे अपनी स्वतंत्र सामरिक नीति बनानी होगी जिसमें फ्रांस नेतृत्व करेगा. मैक्रों ने अपने भाषण में आधुनिक खतरों का भी ज़िक्र किया, जो सीमा पार से नहीं बल्कि स्क्रीन के ज़रिए सामने आ रहे हैं. उन्होंने कहा कि “स्क्रीन युग” में विदेशी ताकतें सोशल मीडिया के जरिए झूठे प्रचार और बच्चों को प्रभावित करने की कोशिश कर रही हैं. यह खतरा अब पारंपरिक युद्धों जितना ही गंभीर बन चुका है. ऐसे में साइबर सुरक्षा भी अब फ्रांस की रक्षा नीति का अहम हिस्सा बन चुकी है.

आजादी, साहस और चेतावनी का प्रतीक है बैस्टिल डे
14 जुलाई का दिन फ्रांस में केवल एक राष्ट्रीय अवकाश नहीं, बल्कि आजादी की जंग का प्रतीक है. 1789 में इसी दिन क्रांतिकारियों ने बैस्टिल जेल पर हमला किया था, जिससे फ्रांसीसी क्रांति की शुरुआत हुई. यह दिन लोकतंत्र, समानता और बंधुत्व के मूल सिद्धांतों का उत्सव है. लेकिन इस वर्ष का बैस्टिल डे कुछ खास बन गया है, क्योंकि राष्ट्रपति ने इसे सिर्फ उत्सव नहीं, बल्कि भविष्य के संघर्षों के लिए चेतावनी और तैयारी के दिन में बदल दिया है.

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बताते चलें कि राष्ट्रपति मैक्रों का भाषण न केवल फ्रांस की आंतरिक नीतियों की झलक देता है, बल्कि वह पूरे यूरोप के लिए दिशा-निर्देश है. एक ऐसा समय आ चुका है जब स्वतंत्रता को बचाने के लिए शक्ति का प्रदर्शन जरूरी हो गया है. फ्रांस ने अब तय कर लिया है कि वो डर पैदा करेगा. ताकि आज़ादी कायम रह सके. यह नारा अब केवल एक भाषण नहीं, बल्कि पूरे यूरोप की सुरक्षा नीति का आधार बन सकता है.

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