'शक्ति हो तो दुनिया प्रेम की भाषा भी सुनती है…', भारत-पाक तनाव के बीच RSS प्रमुख मोहन भागवत का बड़ा बयान
RSS प्रमुख मोहन भागवत ने जयपुर में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि विश्व को धर्म सिखाना भारत का कर्तव्य है. साथ ही कहा कि विश्व में शांति और सौहार्द कायम करने की दिशा में प्रायसरत है.
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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत तीन दिवसीय राजस्थान दौरे पर हैं. जयपुर में आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने अपने विचार साझा किए. उन्होंने कहा कि शक्ति हो तो दुनिया प्रेम की भाषा भी सुनती है. उन्होंने अपने भाषण में भारत की प्राचीन संस्कृति और त्याग की परंपरा को याद दिलाया. उन्होंने बताया कि भारत के इतिहास में भगवान श्री राम से लेकर भामाशाह जैसे महान व्यक्तित्वों ने त्याग और सेवा की मिसाल पेश की है.
#WATCH | Jaipur, Rajasthan | RSS chief Mohan Bhagwat says, "...India will progress in every field; it should. India doesn't have enmity with anyone, but if someone dares, India has the strength to teach them a lesson; it should have this strength. India does things which are… pic.twitter.com/esLvQrpi1u
— ANI (@ANI) May 17, 2025
बता दें कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने शनिवार को जयपुर के हरमाड़ा स्थित रविनाथ आश्रम में आयोजित एक सम्मान समारोह को संबोधित किया. मौक़े पर उन्होंने कहा है कि भारत विश्व का सबसे प्राचीन देश है और उसकी भूमिका ‘बड़े भाई’ की है. भारत विश्व में शांति, सौहार्द और धर्म का प्रचार करने वाला राष्ट्र है. इसके साथ-साथ संघ प्रमुख ने पाकिस्तान पर हालिया एक्शन का जिक्र करते हुए कहा कि भारत के शक्ति संपन्न होना बहुत जरूरी है. डॉ. भागवत ने कहा कि भारत में त्याग की परंपरा रही है. हम भगवान श्रीराम से लेकर भामाशाह तक उन सभी महापुरुषों को पूजते हैं जिन्होंने समाज के लिए अपना सर्वस्व अर्पित किया. उन्होंने जोर देकर कहा कि धर्म और शांति का संदेश देने के लिए भी शक्ति आवश्यक है.
‘विश्व को धर्म सिखाना भारत का कर्तव्य’
मोहन भागवत ने कहा कि विश्व को धर्म सिखाना भारत का कर्तव्य है. धर्म के माध्यम से ही मानवता की उन्नति संभव है. उन्होंने विशेष रूप से हिंदू धर्म की भूमिका को महत्वपूर्ण माना और कहा कि विश्व कल्याण हमारा प्रमुख धर्म है. उन्होंने भारत को दुनिया का सबसे प्राचीन देश बताते हुए कहा कि भारत की भूमिका बड़े भाई की जैसी है.
विश्व में शांति और सौहार्द कायम करने की दिशा में प्रायसरत!
मोहन भागवत का कहना है कि भारत विश्व में शांति और सौहार्द कायम करने की दिशा में निरंतर प्रयासरत है. उन्होंने कहा कि भारत किसी से द्वेष नहीं रखता लेकिन जब तक आपके पास शक्ति नहीं होगी, तब तक विश्व प्रेम और मंगल की भाषा नहीं समझेगा. इसलिए उनके मुताबिक, विश्व कल्याण के लिए शक्ति का होना आवश्यक है, और ये कि हमारी ताकत विश्व ने देखी है.
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