Advertisement

HBSE 10वीं के रिजल्ट में लड़कियों ने मारी बाजी, क्या सच में लड़कों से तेज होता है लड़कियों का दिमाग?

HBSE 10वीं के नतीजे जारी हो चुके हैं और इस बार भी लड़कियों ने शानदार प्रदर्शन करते हुए लड़कों को पीछे छोड़ दिया है. छात्राओं का पास प्रतिशत 94.06% रहा, जबकि छात्र 91.07% पर ही रुके. यह एक बार फिर यह सवाल खड़ा करता है – क्या लड़कियों का दिमाग लड़कों से तेज होता है?

17 May, 2025
( Updated: 02 Dec, 2025
03:41 AM )
HBSE 10वीं के रिजल्ट में लड़कियों ने मारी बाजी, क्या सच में लड़कों से तेज होता है लड़कियों का दिमाग?
हरियाणा बोर्ड ऑफ स्कूल एजुकेशन (HBSE) ने कक्षा 10वीं का परिणाम घोषित कर दिया है. इस बार कुल 2,71,499 छात्र-छात्राओं ने परीक्षा में हिस्सा लिया, जिनमें से 2,51,110 विद्यार्थियों का परिणाम जारी किया गया. इसमें से कुल 2,42,250 विद्यार्थी पास हुए. इस बार भी लड़कियों ने लड़कों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन किया. जहां छात्राओं का पास प्रतिशत 94.06% रहा, वहीं छात्रों का पास प्रतिशत 91.07% रहा. यानी छात्राओं ने 2.99% अधिक सफलता दर के साथ एक बार फिर अपनी मेहनत और एकाग्रता का परिचय दिया.

क्या लड़कियों का दिमाग सच में तेज होता है?

जब भी रिजल्ट में लड़कियां लड़कों से बेहतर प्रदर्शन करती हैं, तो एक सवाल बार-बार सामने आता है – क्या लड़कियों का दिमाग लड़कों से तेज होता है? इस पर सालों से रिसर्च और बहस चल रही है. न्यूरोसाइंस के अध्ययन बताते हैं कि महिला और पुरुष के दिमाग में साइज के स्तर पर कुछ अंतर जरूर होता है, लेकिन इससे उनकी बौद्धिक क्षमता पर कोई खास प्रभाव नहीं पड़ता. यानी दिमाग का आकार बड़ी बात नहीं, बल्कि उसका इस्तेमाल मायने रखता है.

लड़कियों की मानसिक क्षमता पर क्या कहता है साइंस?

कैलिफोर्निया स्थित आमेन क्लिनिक्स ने इस विषय पर गहन शोध किया. उन्होंने पाया कि महिलाओं के दिमाग के कुछ हिस्सों में पुरुषों की तुलना में अधिक रक्त प्रवाह होता है. इसका मतलब यह है कि महिलाओं का मस्तिष्क कुछ खास कार्यों में अधिक सक्रिय हो सकता है. इससे उनकी एकाग्रता बेहतर हो सकती है, जो पढ़ाई में फायदा देती है. हालांकि यह भी पाया गया कि इसी रक्त प्रवाह के कारण महिलाएं कुछ मामलों में अधिक घबराहट या तनाव का अनुभव कर सकती हैं.

सूझबूझ और समझ में कोई अंतर नहीं

हालांकि, कई अंतरराष्ट्रीय अध्ययनों से यह बात सामने आई है कि बौद्धिक स्तर पर महिला और पुरुष के बीच कोई बड़ा अंतर नहीं होता. ‘साइकोलॉजी टुडे’ की रिपोर्ट के अनुसार, दोनों ही अपने-अपने तरीकों से निर्णय लेते हैं, समस्याओं को हल करते हैं और भावनात्मक स्थिति को समझते हैं. महिलाएं जहां भावनात्मक समझ में मजबूत होती हैं, वहीं पुरुष लॉजिकल थिंकिंग में बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं. लेकिन यह सामान्यीकरण हर व्यक्ति पर लागू नहीं होता.

शिक्षा में लड़कियों की बढ़ती भागीदारी

बीते कुछ वर्षों में भारत सहित दुनियाभर में लड़कियों की शिक्षा को लेकर जागरूकता बढ़ी है. माता-पिता अब बेटियों को भी वही मौके देने लगे हैं जो पहले सिर्फ बेटों को मिलते थे. सरकार की योजनाएं जैसे ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ ने भी इसमें अहम भूमिका निभाई है. नतीजा यह है कि आज लड़कियां शिक्षा के हर स्तर पर अव्वल आ रही हैं चाहे वह बोर्ड परीक्षा हो या प्रतियोगी परीक्षा.

इस बार के HBSE परिणाम ने एक बार फिर साबित किया है कि मेहनत और निरंतरता का कोई विकल्प नहीं होता. लड़कियों का अच्छा प्रदर्शन यह नहीं दर्शाता कि लड़के पीछे हैं, बल्कि यह दिखाता है कि जब लड़कियों को बराबरी का अवसर मिलता है, तो वे किसी से कम नहीं. विज्ञान भी यही कहता है कि दिमाग की क्षमता जेंडर पर नहीं, बल्कि अवसर, परवरिश और अभ्यास पर निर्भर करती है. इसलिए अब ज़रूरत इस बात की है कि हम जेंडर के आधार पर तुलना करने की बजाय हर बच्चे को बेहतर शिक्षा और समान अवसर देने पर ज़ोर दें.

यह भी पढ़ें

टिप्पणियाँ 0

LIVE
Advertisement
Podcast video
अल फ़तह का चीफ़ है फारुख अब्दुला, दिल्ली धमाके से जुड़े तार
Advertisement
Advertisement
Close
ADVERTISEMENT
NewsNMF
NMF App
Download
शॉर्ट्स
वेब स्टोरीज़
होम वीडियो खोजें