Advertisement

कांग्रेस के युवा नेताओं से घबरा गया गांधी परिवार... PM मोदी ने Tea Meeting में राहुल गांधी पर बोला हमला, कहा- अपने ही लोगों से डर गए हैं

PM मोदी ने टी मीटिंग में संसद के मॉनसून सत्र पर चर्चा करने के दौरान विपक्ष के रवैये को लेकर तीखा हमला बोला. उन्होंने इस दौरान गांधी परिवार पर भी तीखा हमला बोला और कहा कि राहुल गांधी अपने ही युवा कांग्रेस नेताओं से घबरा गए हैं.

Created By: केशव झा
21 Aug, 2025
( Updated: 21 Aug, 2025
03:55 PM )
कांग्रेस के युवा नेताओं से घबरा गया गांधी परिवार... PM मोदी ने Tea Meeting में राहुल गांधी पर बोला हमला, कहा- अपने ही लोगों से डर गए हैं

संसद का मॉनसून सत्र इस बार भी हंगामे और राजनीतिक टकराव की भेंट चढ़ गया. बिहार SIR रिपोर्ट और कथित वोट चोरी के मुद्दे को लेकर विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच जबरदस्त तनातनी देखने को मिली. यह तनाव केवल सदन के भीतर तक सीमित नहीं रहा, बल्कि बाहर भी पूरी तरह झलकता रहा. लगातार विरोध और अवरोध के चलते लोकसभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई. इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एनडीए सांसदों के लिए एक 'टी मीटिंग' बुलाई, जिसे विपक्ष ने पूरी तरह से बहिष्कृत कर दिया.

प्रधानमंत्री की इस बैठक में केवल सत्तापक्ष के सांसद और एनडीए घटक दलों के नेता ही शामिल हुए. मीटिंग में प्रधानमंत्री ने मॉनसून सत्र को सार्थक बताया और कहा कि इस दौरान कई महत्वपूर्ण विधेयक पारित हुए हैं. उन्होंने विशेष रूप से ऑनलाइन गेम्स विनियमन विधेयक का जिक्र किया, जो उनके अनुसार जनता के जीवन पर दूरगामी प्रभाव डालेगा. उन्होंने यह भी कहा कि इस तरह के विषयों पर ज्यादा चर्चा होनी चाहिए थी, लेकिन विपक्ष ने केवल व्यवधान पैदा करने में रुचि दिखाई.

राहुल गांधी को लेकर डरा हुआ है गांधी परिवार!

बैठक के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कांग्रेस और विपक्षी दलों पर भी हमला बोला. उन्होंने कहा कि कांग्रेस में कई प्रतिभाशाली युवा नेता हैं, लेकिन गांधी परिवार की असुरक्षा के कारण उन्हें आगे आने का मौका नहीं दिया जाता. उन्होंने यह भी कहा कि संभव है कि यही युवा नेता राहुल गांधी को भी असहज और असुरक्षित महसूस करवा रहे हों.

विपक्ष ने किया पीएम मोदी की टी मीटिंग का बहिष्कार

विपक्ष का पीएम की चाय पार्टी का बहिष्कार केवल एक प्रतीकात्मक विरोध नहीं था, बल्कि यह सरकार की कार्यशैली के खिलाफ एक सख्त राजनीतिक संदेश था. विपक्ष का आरोप है कि सरकार बहुमत के बल पर विधेयकों को बिना चर्चा पारित कर रही है और संसदीय प्रक्रिया की गरिमा को नुकसान पहुंचा रही है. वहीं सत्ता पक्ष का दावा है कि विपक्ष केवल अवरोध की राजनीति कर रहा है और जनता से जुड़े अहम मुद्दों पर चर्चा से भाग रहा है.

गौरतलब है कि इस मॉनसून सत्र के लिए बिजनेस एडवाइजरी कमेटी ने 120 घंटे चर्चा के लिए तय किए थे, लेकिन सत्र के दौरान केवल 37 घंटे ही चर्चा हो सकी. यानी लगभग 83 घंटे का समय हंगामे और गतिरोध की भेंट चढ़ गया. लोकसभा में कुल 14 विधेयक पेश किए गए, जिनमें से 12 विधेयक बिना चर्चा के पारित हो गए. दो विधेयकों को समिति के पास भेजा गया. इतने कम संवाद के बीच हुए इतने ज्यादा विधायी कार्यों ने संसद की गंभीरता और पारदर्शिता पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं.

अब सवाल विपक्ष से भी बनते हैं. क्या संसद को पूरी तरह ठप कर देना और चर्चा से दूर रहना लोकतांत्रिक मूल्यों के अनुरूप है? क्या जनता के सवालों को उठाने का यह सबसे कारगर तरीका है, या केवल सियासी विरोध जताने की रणनीति? वहीं सत्ता पक्ष से भी सवाल है कि क्या बहुमत के नाम पर संसद को बहस के बिना चलाना उचित है? क्या विधेयकों को पारित कराने की जल्दबाज़ी में संवाद की जगह कम नहीं हो रही?

यह भी पढ़ें

मॉनसून सत्र का अंत इस कड़वे सच के साथ हुआ कि संसद अब केवल विधायी कामकाज का मंच नहीं रही, बल्कि वह राजनीतिक ध्रुवीकरण और टकराव की तस्वीर बनती जा रही है. आने वाले सत्र में क्या यह टकराव और गहराएगा या फिर दोनों पक्ष देशहित में संवाद की राह तलाशेंगे, यह देखना बाकी है.

टिप्पणियाँ 0

LIVE
Advertisement
Podcast video
अल फ़तह का चीफ़ है फारुख अब्दुला, दिल्ली धमाके से जुड़े तार
Advertisement
Advertisement
Close
ADVERTISEMENT
NewsNMF
NMF App
Download
शॉर्ट्स
वेब स्टोरीज़
होम वीडियो खोजें