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भारत-पाक तनाव के बीच Indian Air Force को मिला नया डिप्टी चीफ, नर्मदेश्वर तिवारी को मिली अहम जिम्मेदारी

भारतीय वायुसेना (IAF) को ऐसे समय में नया डिप्टी चीफ मिला है, जब भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर है। एयर मार्शल नर्मदेश्वर तिवारी को वायुसेना का नया वाइस चीफ नियुक्त किया गया है। कारगिल युद्ध के समय उन्होंने लेजर डेजिग्नेशन तकनीक से दुश्मन के ठिकानों को निशाना बनाने में निर्णायक भूमिका निभाई थी। इसके अलावा, उन्होंने स्वदेशी लड़ाकू विमान तेजस के विकास में भी अहम योगदान दिया है।

03 May, 2025
( Updated: 03 May, 2025
12:03 PM )
भारत-पाक तनाव के बीच Indian Air Force को मिला नया डिप्टी चीफ, नर्मदेश्वर तिवारी को मिली अहम जिम्मेदारी
भारत-पाकिस्तान के बढ़ते तनाव के बीच, भारतीय वायुसेना को नया डिप्टी चीफ मिल गया है. एयर मार्शल नर्मदेश्वर तिवारी ने शुक्रवार को वायुसेना के उप प्रमुख (Vice Chief of Air Staff) का पदभार संभाल लिया. उनकी नियुक्ति ऐसे समय में हुई है जब देश की सुरक्षा चुनौतियाँ बढ़ रही हैं और वायुसेना को अत्याधुनिक तकनीकों से लैस करने की आवश्यकता है.

एयर मार्शल तिवारी का जन्म बिहार के सिवान जिले के सियाकलपुर गांव में हुआ था. उन्होंने देहरादून स्थित राष्ट्रीय भारतीय सैन्य कॉलेज (RIMC) से प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की और बाद में राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (NDA) से राष्ट्रपति स्वर्ण पदक के साथ स्नातक किया. वायुसेना में उनका कमीशन 7 जून 1986 को फाइटर पायलट के रूप में हुआ था. अपने 37 वर्षों के करियर में, उन्होंने मिराज-2000 और तेजस जैसे अत्याधुनिक लड़ाकू विमानों पर 3,600 घंटे से अधिक की उड़ान भरी है. वह एक योग्य फ्लाइंग इंस्ट्रक्टर और एक्सपेरिमेंटल टेस्ट पायलट हैं. उन्होंने अमेरिका के एयर कमांड एंड स्टाफ कॉलेज से भी शिक्षा प्राप्त की है.

कारगिल युद्ध में निर्णायक भूमिका

1999 का कारगिल युद्ध भारत के सैन्य इतिहास में एक निर्णायक मोड़ था. उस समय एयर मार्शल तिवारी ने एक ऐसे मिशन में भूमिका निभाई जो युद्ध के परिणाम को बदल सकता था. उन्होंने ‘लाइटनिंग’ लेजर डेजिग्नेशन पॉड को ऑपरेशनल करने में अहम योगदान दिया. यह तकनीक भारतीय वायुसेना के लिए गेम चेंजर साबित हुई. 

इस पॉड की सहायता से मिराज-2000 जैसे लड़ाकू विमानों ने ऊंचाई पर छिपे दुश्मन के ठिकानों को बहुत ही उच्च सटीकता के साथ निशाना बनाया. परंपरागत बमबारी में जहां विस्फोट का असर बिखर जाता था, वहीं लेजर गाइडेड बम अपने लक्ष्य पर सीधा वार करता था. इस तकनीक के सफल संचालन से भारतीय सेना को रणनीतिक बढ़त मिली और दुश्मन की अग्रिम चौकियों को नष्ट करने में सहायता मिली. इस तकनीकी सफलता के पीछे एयर मार्शल तिवारी की दृष्टि, परीक्षण क्षमता और निर्णय शक्ति छिपी थी.

स्वदेशी लड़ाकू विमान तेजस के विकास में योगदान

एयर मार्शल तिवारी केवल एक योद्धा नहीं थे, बल्कि वह स्वदेशी रक्षा उत्पादन के मजबूत स्तंभ भी रहे हैं. जब भारत ने हल्के लड़ाकू विमान (LCA) ‘तेजस’ को स्वदेशी रूप से विकसित करने की योजना बनाई, तब तिवारी ने इसे अपना मिशन मान लिया.

2006 से 2009 और फिर 2018-19 के दौरान, वह नेशनल फ्लाइट टेस्ट सेंटर में प्रोजेक्ट डायरेक्टर (फ्लाइट टेस्ट) के रूप में कार्यरत रहे. यह वो समय था जब तेजस को सिर्फ कागज़ों से निकालकर आकाश में उड़ान भरनी थी. तेजस का हर उड़ान परीक्षण बेहद चुनौतीपूर्ण होता था कभी इंजन की ताकत की जांच, कभी रडार अवॉइडेंस सिस्टम की टेस्टिंग, तो कभी तेज हवा में संतुलन की जांच.

अंतरराष्ट्रीय अनुभव और नेतृत्व

हर देश के सेनापति को न केवल युद्ध के मैदान में, बल्कि वैश्विक मंच पर भी डिप्लोमैट बनना होता है. 2013 से 2016 तक, एयर मार्शल तिवारी फ्रांस में भारतीय वायुसेना के एयर अताशे के रूप में तैनात रहे. इस दौरान उन्होंने न केवल फ्रांस के साथ सैन्य संबंध मजबूत किए, बल्कि भारत के लिए रक्षा तकनीक और सहयोग के नए द्वार भी खोले.

इसके बाद उन्होंने वायुसेना मुख्यालय में डिप्टी चीफ ऑफ द एयर स्टाफ जैसे अहम पद की जिम्मेदारी संभाली. यहां पर उनकी भूमिका अधिक रणनीतिक और नीति निर्धारण वाली थी. इसके साथ ही दक्षिण पश्चिमी वायु कमान के एयर ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ के रूप में उन्होंने पश्चिमी सीमा की सुरक्षा की रणनीति को मजबूत किया.

एयर मार्शल तिवारी को उनके विशिष्ट योगदान के लिए भारत सरकार ने समय-समय पर सम्मानित किया. साल 2008 में उन्हें ‘वायु सेना मेडल’ से नवाज़ा गया. इसके बाद 2022 में उन्हें ‘अति विशिष्ट सेवा मेडल’ मिला और 2025 में ‘परम विशिष्ट सेवा मेडल’ देकर उन्हें सर्वोच्च सैन्य सेवा सम्मान प्रदान किया गया. ये पुरस्कार न केवल उनकी बहादुरी के गवाह हैं, बल्कि यह भी प्रमाण हैं कि कैसे एक अधिकारी तकनीकी, रणनीतिक और कूटनीतिक हर क्षेत्र में खुद को सिद्ध कर सकता है.

एयर मार्शल नर्मदेश्वर तिवारी की नियुक्ति भारतीय वायुसेना के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है. उनका अनुभव, तकनीकी विशेषज्ञता और नेतृत्व क्षमता वायुसेना को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने में सहायक होगी. भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के इस दौर में, उनका योगदान देश की सुरक्षा और रक्षा तैयारियों को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा.

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