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झारखंड के देवघर में बहू को जिंदा जलाने वाली सास को कोर्ट ने दी उम्रकैद की सजा

झारखंड के देवघर में बहू को जिंदा जलाने के मामले में कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है. अदालत ने आरोपी सास को उम्रकैद की सजा सुनाई. यह फैसला महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों पर सख्त संदेश माना जा रहा है.

19 Oct, 2025
( Updated: 05 Dec, 2025
11:09 PM )
झारखंड के देवघर में बहू को जिंदा जलाने वाली सास को कोर्ट ने दी उम्रकैद की सजा

झारखंड के देवघर जिले की अदालत ने एक सनसनीखेज हत्या के मामले में कड़ी सजा सुनाई है. 60 वर्षीय अनीता देवी को अपनी बहू कविता देवी की क्रूर हत्या के आरोप में आजीवन कारावास की सजा दी गई है. यह फैसला शनिवार को एडिशनल सेशंस जज राजेंद्र कुमार सिन्हा ने सुनाया, जिससे इलाके में सनसनी फैल गई. घटना दो साल पुरानी है, लेकिन कोर्ट ने दोष साबित होने पर सख्त कार्रवाई की.

घटना का पूरा विवरण

घटना 2022 की है, जब अनीता देवी ने पारिवारिक विवाद के चलते अपनी बहू कविता देवी को घर में बंद करके जिंदा जला दिया था. कविता की शादी को महज दो साल ही हुए थे और वह देवघर के एक गांव में रहती थी. ससुराल में ताने-बिताने और झगड़ों से तंग आकर कविता ने कई बार मायके लौटने की कोशिश की, लेकिन अनीता ने हर बार रोक लिया. आखिरकार, एक रात विवाद इतना बढ़ गया कि अनीता ने कविता को कमरे में बंद कर आग लगा दी.

कविता की चीखें सुनकर पड़ोसी पहुंचे, लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी. कविता ने अस्पताल पहुंचने से पहले ही दम तोड़ दिया.

कोर्ट की कार्यवाही और सजा

पुलिस ने तुरंत मामला दर्ज किया और जांच पूरी कर 10 मार्च 2025 को कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की गई. अदालत ने त्वरित सुनवाई की, जिसमें गवाहों के बयान, फॉरेंसिक रिपोर्ट और अन्य सबूतों के आधार पर अनीता को दोषी ठहराया गया. शनिवार को सुनवाई पूरी होने पर जज राजेंद्र कुमार सिन्हा ने अनीता देवी को भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या) के तहत आजीवन कारावास की सजा सुनाई.

कोर्ट ने इसे एक क्रूर और सुनियोजित हत्या करार दिया, जिसमें कोई नरमी नहीं बरती गई.

परिवार और समाज पर प्रभाव

इस फैसले से कविता के परिवार को कुछ राहत मिली है. कविता के पति और अन्य परिजनों ने कोर्ट के फैसले का स्वागत किया, लेकिन उन्होंने कहा कि कोई सजा उनकी बेटी को वापस नहीं ला सकती. इलाके में यह मामला सास-बहू के रिश्तों की कड़वी सच्चाई को उजागर कर रहा है. सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि पारिवारिक हिंसा के खिलाफ जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है.

पुलिस ने भी महिलाओं की सुरक्षा के लिए हेल्पलाइन नंबरों का प्रचार तेज करने का ऐलान किया है.

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यह मामला झारखंड में महिलाओं के खिलाफ घरेलू हिंसा के बढ़ते मामलों को रेखांकित करता है. कोर्ट के इस फैसले से अपराधियों में एक संदेश जाएगा कि कानून किसी की उम्र या रिश्ते को देखकर नरमी नहीं बरतेगा.

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