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शिशु सुरक्षा दिवस 2025: गलत धारणाओं से सावधान रहकर इस तरह रखें अपने बच्चों का ध्यान!

आज कल छोटे बच्चों को लेकर समाज में कई सारे मिथ फैले हुए हैं. जिनकी वजह से बच्चों को नुकसान भी पहुंच सकता है. जैसे कि बहुत से लोग मानते हैं कि छोटे बच्चों को शहद चटाना चाहिए, उनकी उलनाल में हल्दी या घी लगाना चाहिए, घुट्टी पिलानी चाहिए. लेकिन क्या ऐसा करना चाहिए? चलिए विस्तार से जानते हैं…

07 Nov, 2025
( Updated: 04 Dec, 2025
05:17 PM )
शिशु सुरक्षा दिवस 2025: गलत धारणाओं से सावधान रहकर इस तरह रखें अपने बच्चों का ध्यान!

हर साल 7 नवंबर को 'इन्फेंट प्रोटेक्शन डे' (शिशु सुरक्षा दिवस) मनाया जाता है. इस दिन को मनाने का मकसद लोगों को नवजात बच्चों की सेहत और देखभाल के प्रति जागरूक करना है. यह दिन 1990 से हर साल मनाया जा रहा है और इसकी शुरुआत यूरोपीय देशों में हुई थी. उस समय शिशुओं की मृत्यु दर बहुत ज्यादा थी, इसलिए ये जरूरी था कि माता-पिता को बताया जाए कि नवजात बच्चों की सही देखभाल कैसे करनी चाहिए ताकि उनकी जिंदगी सुरक्षित रहे. 

जन्म के समय बच्चों को शहद क्यों नहीं चटवाना चाहिए?

डॉ. मीरा पाठक ने मीडिया से बातचीत में बताया कि जन्म के बाद बच्चे को लेकर कई तरह के मिथ (गलत धारणाएं) समाज में फैली हुई हैं, जिनकी वजह से बच्चे को नुकसान पहुंच सकता है. सबसे पहले, बहुत से लोग मानते हैं कि जन्म के तुरंत बाद बच्चे को शहद चटाना अच्छा होता है, जबकि यह बेहद खतरनाक है. शहद में ऐसे टॉक्सिन्स होते हैं जो बच्चे की आंतों में इंफेक्शन कर सकते हैं और कई बार मौत तक का कारण बन सकते हैं, इसलिए जन्म के बाद सिर्फ मां का दूध ही देना चाहिए, कुछ और नहीं.

उलनाल पर क्यों नहीं लगाना चाहिए घी या हल्दी? 

दूसरा मिथ यह है कि बच्चे की उलनाल (नाभि की डोरी) पर लोग राख, हल्दी या घी लगा देते हैं. ऐसा नहीं करना चाहिए. उलनाल को हमेशा साफ और सूखा रखना चाहिए, क्योंकि उस पर कुछ भी लगाने से इंफेक्शन हो सकता है.  

बच्चे की नाक में भूलकर भी न डालें तेल या मस्टर्ड ऑयल! 

तीसरा मिथ है कि बच्चे के कान या नाक में सरसों का तेल या मस्टर्ड ऑयल डालना चाहिए ताकि ठंड या इंफेक्शन न हो. हकीकत में इससे बच्चे को कान, नाक और फेफड़ों का इंफेक्शन हो सकता है, यहां तक कि केमिकल निमोनिया तक हो सकता है.  

बच्चे को जरूर पीलाएं मां का पहला दूध!

चौथा मिथ है कि मां का पहला पीला गाढ़ा दूध गंदा होता है और उसे फेंक देना चाहिए, जबकि यही दूध बच्चे के लिए सबसे ज्यादा पौष्टिक और सुरक्षा देने वाला होता है. इसमें मौजूद एंटीबॉडीज बच्चे को बीमारियों से बचाती हैं, इसलिए इसे जरूर पिलाना चाहिए.

छह महीने तक बच्चे को घुट्टी क्यों नहीं पीलानी चाहिए? 

एक और आम धारणा यह है कि गर्मी में बच्चे को ऊपर से पानी या घुट्टी पीला देनी चाहिए, जबकि यह बिल्कुल गलत है. छह महीने तक बच्चे को सिर्फ मां का दूध देना चाहिए, वही उसे पानी और पोषण दोनों देता है.

छोटे बच्चे को दस्त हो जाएं तो क्या करें?

जब बच्चे को डायरिया (दस्त) हो तो लोग कहते हैं कि उसे कुछ खिलाना-पिलाना बंद कर दो ताकि पेट आराम करे, लेकिन ऐसा करने से बच्चा डिहाइड्रेशन (पानी की कमी) का शिकार हो सकता है. ऐसे समय पर बच्चे को मां का दूध या हल्का तरल पदार्थ देते रहना चाहिए.

छोटे बच्चों की आंखों के साथ बरतें ये सावधानी! 

इसके अलावा, बहुत से लोग अब भी बच्चे की आंखों में काजल या सूरमा लगाते हैं ताकि आंखें सुंदर दिखें, लेकिन आजकल के काजल में केमिकल होता है, जिससे बच्चे को नुकसान पहुंच सकता है और आंखों में अल्सर भी बन सकते हैं, इसलिए ऐसा करना बिल्कुल छोड़ देना चाहिए.

क्या बुखार में छोटे बच्चों को नहलाना चाहिए? 

कुछ लोग मानते हैं कि टीका लगने के बाद या बुखार में बच्चे को नहलाना नहीं चाहिए, जबकि सच्चाई यह है कि साफ-सुथरा रहना हमेशा फायदेमंद होता है. नहलाने से बच्चे को आराम मिलता है और संक्रमण कम होता है.

Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान और जागरूकता के उद्देश्य से है. इसकी पुष्टि NMF NEWS नहीं करता है.





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