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नागाओं से क्यों डरकर भागी थी औरंगजेब की सेना, क्या कनेक्शन है नागाओं का महाकुंभ से ?

कई हजार नागाओं ने अपने रक्त का त्याग करते हुए सनातन धर्म को बचाया काशी विश्वनाथ मन्दिर को बचाया और औरंगजेब की रुह को हिला दिया लेकिन ये नागा साधु हर समय देखने को नही मिलते है ये नागा बाबा सिर्फ दुर्लभ जगहों और महाकुंभ की पावन धरती पर देखने को मिलते है उसके बाद ये नागा साधना और तपस्या के लिए वापस गुप्त जगहों पर चले जाते है क्या आप इससे पहले इन नागाओं के बारे में जानते के इस बलिदान के बारे में जानते थे हमें कमेंट कर जरुर बताये।

नागाओं से क्यों डरकर भागी थी औरंगजेब की सेना, क्या कनेक्शन है नागाओं का महाकुंभ से ?

आपने कही न कही तो औरंगजेब के बारे में पढ़ा ही होगा अगर आपको औरंगजेब के बारे में नही पता है तो हम बता देते है , 1658 से 1707 तक भारत पर शासन करने वाला औरंगजेब मुगल सम्राज्य का छठा सम्राट था। औरंगजेब इस्लामी मान्यताओं के आधार पर सख्त नियम रखता था। औरंगजेब बस कुछ ही लोगों को पसंद करता था इसलिए और लोगों पर उसने अपने शासन काल के दौरान बहुत अत्याचार किये। बहुत सारे मन्दिर ध्वस्त किये लेकिन जब बात आई वाराणसी के काशी विश्व नाथ मन्दिर की तो ऐसा क्या हुआ कि औरंगजेब और औरंगजेब की सेना की रुह कांप गई आज इस वीडियो में आपको कुछ ऐसे रहस्यों में बारे में बताएंगे जिनके बारे में शायद ही आपको पता हो,  नागाओं से क्यों डर गई औरंगजेब की सेना? मंदिर तोड़ने आए औरंगजेब के क्यों उड़ गये होश?  नागा साधुओं से क्या है औरंगजेब का कनेक्शन ?

वैसे तो कई कट्टर मुस्लिम शासकों ने भारत पर अपना कब्जा जमाया लेकिन आज तक कोई हिन्दूओं की आस्था को हिला नही पाया।  जब-जब सनातन धर्म पर विपदा आई तो सनातन धर्म के रक्षकों ने अपने प्रणों की चिंता किये बिना सनातन धर्म को बचाया है। वैसे ही इन नागाओं का भी सनातन धर्म की रक्षा में बहुत ज्यादा योगदान है। जब निर्वस्त्र रहने वाले इन नागा साधुओं ने औरंगजेब की सेना को जब धूल चटाई तो ये बात इतिहास के पन्नों में भी दर्ज हो गईये बात है सन् 1664 ई. की है जब औरंगजेब की सेना ने काशीविश्वनाथ मन्दिर और उसके साथ वाले मन्दिरों को तोड़ने के लिए हमला कर दिया तो इन्ही नागा साधुओं ने अपनी सिद्धियों, त्रिशूलों और भालों से औरंगजेब की सेना के ऐसे छक्के छूड़ाये कि ये औरंगजेब 1669 तक वापस नहीं आया, इस युद्ध को The Battle of Gyanvapi भी कहा जाता है।


आपको बता दें कि वाराणसी के महा निर्वाणी अखाड़े के नागा साधुओं ने औरंगजेब की सेना धूल चटा दी थी लेकिन इसके बाद भी औरंगजेब पीछे नही हटा और 1669 में औरंगजेब अपनी मुगल सेना के साथ फिर वापस आया लेकिन अफसोस तो इस बात का था जब कुछ गद्दारों की वजह से औरंगजेब अपने मकसद में कामयाब हो गया। वो जानता था कि ये काशी विश्वनाथ मन्दिर हिन्दुओं के लिए बहुत खास है ये मन्दिर उनकी आस्था और भावनाओं से जुड़ा है इसलिए औरंगजेब ने फैसला किया कि ये मन्दिर दोबारा न बन सके इसलिए उसने मन्दिर को तोड़कर उसके मलबे पर एक मस्जिद का निर्माण कर दिया स्थानीय लोक कथाओं और कुछ मान्यताओं के अनुसार लगभग 40 हजार नागा साधुओं ने मिलकर काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग की रक्षा की। 

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इस तरह कई हजार नागा साधुओं ने अपने प्राणों की परवाह न करते हुए सनातन धर्म को बचाया काशी विश्वनाथ मन्दिर को बचाया और औरंगजेब की रुह को हिला दिया। आपको ये जानकर हैरानी होगी की ये नागा साधु बहुत कम देखने को मिलते है ये नागा बाबा सिर्फ दुर्लभ जगहों और महाकुंभ की पावन धरती पर देखने को मिलते है उसके बाद ये नागा साधना और तपस्या के लिए वापस गुप्त जगहों पर चले जाते है अगर आप भी इस बार प्रयागराज महाकुंभ जाने का प्लेन कर रहे है तो इन नागाओं से आशीर्वाद लेना न भूलें क्योंकि इन्हीं नागाओं ने अपनी जान पर खेलते हुए सनातन की रक्षा की थी आपको ये जानकारी कैसी लगी हमें कमेंट कर जरुर बतायें। साथ ही आइये आपको सुनाते हैं गुजरात से आए नागा साधु महंत बालक गिरि से खास बातचीत। 

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