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Tulsi Vivah 2024: जानें 12 या 13 नवंबर कब है तुलसी विवाह? पूजा विधि, उपाय और इसका महत्व

तुलसी विवाह का पर्व हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है। इसे कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वादशी को मनाया जाता है, जिसमें भगवान विष्णु के शालिग्राम अवतार और माता तुलसी का प्रतीकात्मक विवाह संपन्न होता है। इस दिन को सभी मांगलिक कार्यों के शुभारंभ का प्रतीक माना जाता है, और मान्यता है कि इसके पालन से वैवाहिक जीवन में सुख-शांति और सौभाग्य आता है।

03 Nov, 2024
( Updated: 04 Nov, 2024
01:44 PM )
Tulsi Vivah 2024: जानें 12 या 13 नवंबर कब है तुलसी विवाह? पूजा विधि, उपाय और इसका महत्व
 हिंदू धर्म में तुलसी विवाह का विशेष स्थान है, जिसमें भगवान विष्णु के शालिग्राम अवतार और माता तुलसी का विवाह संपन्न किया जाता है। यह विवाह धार्मिक मान्यताओं के अनुसार बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है और इसे करने से समस्त पारिवारिक कल्याण, सुख-शांति और वैवाहिक जीवन में मधुरता प्राप्त होती है। आइए जानते हैं तुलसी विवाह की सही तारीख, पूजा विधि और इसके उपायों के बारे में विस्तार से।
तुलसी विवाह की तिथि (Tulsi Vivah 2024 Date)
वेदिक पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को तुलसी विवाह मनाया जाता है। इस वर्ष यह तिथि 12 नवंबर को शाम 4:02 बजे से शुरू होकर 13 नवंबर को दोपहर 1:01 बजे तक रहेगी। उदया तिथि की गणना के अनुसार, तुलसी विवाह का सही दिन 13 नवंबर 2024 को मनाया जाएगा। इस दिन के बाद से सभी मांगलिक कार्यों का शुभारंभ हो जाता है।
तुलसी विवाह का महत्व 
तुलसी विवाह के बारे में मान्यता है कि यह विवाह जीवन में सुख, समृद्धि और सौभाग्य लाता है। भगवान विष्णु के शालिग्राम स्वरूप से विवाह करने का प्रतीकात्मक अर्थ यह है कि सभी शुभ कार्यों के लिए उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है। कार्तिक मास का यह पर्व विशेष रूप से वैवाहिक जीवन को खुशहाल बनाने के लिए महत्वपूर्ण माना गया है। इस दिन माता तुलसी और भगवान शालिग्राम का विवाह विधि-विधान से कर, लोग अपने परिवार के सुख-शांति और समृद्धि की कामना करते हैं।
तुलसी विवाह की पूजा विधि 

पूजा की तैयारी: एक चौकी पर माता तुलसी और भगवान शालिग्राम की मूर्तियों को स्थापित करें। इसके चारों ओर गन्ने का मंडप सजाएं और एक कलश की स्थापना करें।

कलश और गणेश पूजन: सबसे पहले कलश और गौरी-गणेश की पूजा करें। इसके बाद माता तुलसी और भगवान शालिग्राम को धूप, दीप, वस्त्र, फूल, माला आदि चढ़ाएं।

तुलसी का श्रृंगार: माता तुलसी को एक लाल चुनरी ओढ़ाएं और उनके लिए श्रृंगार के सामान चढ़ाएं। तुलसी का विशेष श्रृंगार करने से विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है।

फेरे लेना: हाथ में शालिग्राम के साथ तुलसी माता के सात फेरे लें। यह विवाह का प्रमुख अनुष्ठान माना जाता है। फेरे पूरे होने पर भगवान विष्णु और तुलसी की आरती करें।

प्रसाद वितरण: पूजा संपन्न होने के बाद प्रसाद का वितरण करें।
तुलसी विवाह पर करें विशेष उपाय

सुखी वैवाहिक जीवन के लिए तुलसी विवाह के दिन भगवान शालिग्राम और तुलसी माता की विधिवत पूजा करें। इससे वैवाहिक जीवन में मिठास आती है और सभी प्रकार की बाधाएं दूर होती हैं।

अखंड सौभाग्य प्राप्ति के लिए इस दिन माता तुलसी को सोलह श्रृंगार अर्पित करें। ऐसा करने से अखंड सौभाग्य का वरदान प्राप्त होता है और घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है।

दरिद्रता दूर करने के लिए तुलसी विवाह के दिन पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाएं। ऐसा करने से घर से दरिद्रता दूर होती है और लक्ष्मी का वास होता है।

मां लक्ष्मी की कृपा के लिए तुलसी के पौधे की सात बार परिक्रमा करें और शाम के समय गोधूलि बेला में घी का दीपक जलाएं। इससे मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है और घर में सुख-समृद्धि आती है।
तुलसी विवाह की धार्मिक कथा
तुलसी विवाह के पीछे एक प्रसिद्ध धार्मिक कथा है, जिसके अनुसार माता तुलसी का विवाह असुरों के राजा जालंधर से हुआ था। जालंधर अपनी पत्नी तुलसी के पवित्रता के कारण अजेय था। जब जालंधर ने देवताओं पर अत्याचार करना शुरू किया, तब भगवान विष्णु ने उनका वध करने के लिए एक योजना बनाई। विष्णु ने जालंधर का वध कर तुलसी को अपने शालिग्राम स्वरूप में ग्रहण किया, जिससे तुलसी का क्रोध शांत हो गया और उनका आशीर्वाद मिला। इसी कारण हर वर्ष कार्तिक मास की द्वादशी पर तुलसी और भगवान विष्णु के शालिग्राम स्वरूप का विवाह कर तुलसी को सम्मानित किया जाता है।

तुलसी विवाह का पर्व एक धार्मिक और सांस्कृतिक परंपरा है जो भारतीय समाज में परिवार की सुख-समृद्धि, वैवाहिक जीवन की मिठास और समृद्धि का प्रतीक है। यह पर्व केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह भारतीय परंपराओं और आस्था का सजीव उदाहरण है। इस विशेष दिन की पूजा और उपायों का पालन कर लोग अपने जीवन में सुख-शांति और आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

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