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Shani Jayanti 2025: 6 जून को शनि जयंती पर भूलकर भी न करें ये 5 काम

6 जून 2025 को मनाई जा रही शनि जयंती शनिदेव के प्रति श्रद्धा और न्याय का प्रतीक है इस दिन सुबह स्नान-ध्यान के बाद शनि मंत्रों का जप, काले तिल व कपूर का दान और हवन-पूजा करके उनकी कृपा पाई जाती है लेकिन शास्त्र कहते हैं कि शनि जयंती पर शव-संग, काले धातु के प्रयोग और काले वस्त्र पहनने से बचना चाहिए

Shani Jayanti 2025: 6 जून को शनि जयंती पर भूलकर भी न करें ये 5 काम
6 जून 2025 को पूरे भारतवर्ष में शनि जयंती मनाई जाएगी. यह दिन शनिवार देवता शनि देव के जन्म के पर्व के रूप में विख्यात है. शनि देव को न्याय का कारक माना गया है, और उनकी कृपा पाने के लिए भक्तजन इस दिन उपवास और पूजा-अर्चना करते हैं. पुराणों में वर्णन है कि शनि देव का स्वरूप काला और धूम्रवर्ण है तथा वह अपने हाथ में शूल लिए न्याय के नियम चलाते हैं.

शनि जयंती की पूजा विधि

सुबह-सुबह सूर्योदय के पूर्व उठकर स्वच्छ स्नान करें और साफ कपड़े पहनें शनि देव को प्रदक्षिणा और दीपक अर्पित करके मन में उनके मंत्र ॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनैराय नमः का जाप करें. इसका लाभ यह है कि जिन लोगों के कुंडली में शनि की दशा हुई हो उनकी परेशानियां कम होती हैं, और जीवन में स्थिरता आती है. शनि जयंती के दिन शनि मंदिरों में विशेष दुर्वास यज्ञ और हवन की व्यवस्था रहती है. जहाँ चावल, काले तिल और कपूर का दान करके भी शनि की कृपा प्राप्त की जाती है.

इस दिन भूलकर भी न करें ये काम

शनि जयंती के दिन शास्त्रों में कुछ कामों से बचने की सलाह दी गई है. सबसे पहले इस दिन शव-संग या किसी मृत व्यक्ति के घर जाने से बचें ऐसा माना जाता है कि शनि देव को शांति प्रियता से अधीरता नहीं भाती इसलिए शनि जयंती पर शोक और मृत्यु की याद दूर रखें. दूसरे, इस पर्व के दिन लोहा, शंका धातु या लौह-वस्त्र का प्रयोग वर्जित है क्योंकि शनि देव का स्वरूप धातु और शूल के रूप में है इसलिए उनका सीधा सामना करना अशुभ माना गया है. तीसरे, काले वस्त्र पहनना इस दिन टाला जाना चाहिए. शनि देव स्वयं काले रंग के अधिपति हैं अतः भक्तों को सफेद या हल्के रंग के वस्त्र धारण कर पूजा करनी चाहिए.

संयमित व्रत और दान-पुण्य

शनि जयंती पर शनिवार का व्रत रखकर हल्का भोजन करें व्रत में काले तिल, चावल, सफेद उड़द दाल का प्रसाद तैयार करें, तथा गरीबों और जरूरतमंदों में दान करें शनि जयंती के अवसर पर काले तिल का दान स्वास्थ्य और समृद्धि के संकेतक माने गए हैं, साथ ही नीलों चढ़ाना शनि देव को विशेष प्रिय है इसलिए नीले फूल, नीली चादर या नीला वस्त्र दान करने से जातक की मनोकामना पूर्ण होती है.

शनि जयंती पर किए जाने वाले उपाय

शनि दोष से मुक्ति के लिए शनि जयंती पर सोने का दान, लोहा चढ़ाना, नीलम रत्न धारण आदि उपाय बताए गए हैं. पुराणों में उल्लेख है कि जिनकी कुंडली में शनि दोष हो वे बुधवार और शनिवार को गाय के दूध में काला तिल मिलाकर पीएं इससे ग्रहों की दशा में सुधार आता है. इसके अलावा देवदारु का दीपक जला कर शनि स्तोत्र का पाठ करने से भी शनि दोष का प्रभाव कम होता है.
आजकल जीवन की तेज़ रफ़्तार और सामाजिक असंतुलन के दौर में शनि जयंती हमें न्याय, धैर्य और संयम का पाठ पढ़ाती है. शनि देव का खगोलीय प्रभाव कठोर परिश्रम और नियमितता पर आधारित है. अतः शनि जयंती के दिन हम सभी को अपने कर्मों और योजनाओं का मूल्यांकन कर सुधार के मार्ग पर अग्रसर होना चाहिए.

6 जून की शनि जयंती न सिर्फ एक धार्मिक पर्व है बल्कि यह व्यक्तिगत और सामाजिक सुधार का अवसर भी प्रदान करती है. इस दिन की पूजा, व्रत और दान से जीवन में स्थिरता, समरसता और समृद्धि आती है. लेकिन शास्त्रों द्वारा बताए गए निषिद्ध कार्य से बचना भी अत्यंत आवश्यक है. अगर हम इन परंपराओं का पालन मनःपूर्वक करेंगे तो शनि देव की अनुकम्पा से जीवन में आने वाली विघ्न बाधाएं नष्ट हो जाएंगी और भावी योजनाएं सफल होंगी.

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