इन खास पर्वों पर भूलकर भी न बनाएं रोटी, वरना घर छोड़ देगी समृद्धि
सनातन धर्म में हर पर्व और तिथि का खास महत्व है, और रसोई से जुड़ी परंपराएं भी देवी-देवताओं की कृपा से जुड़ी मानी जाती हैं। शास्त्रों में कुछ तिथियां और त्योहार ऐसे बताए गए हैं, जिनमें तवे पर रोटी बनाना मां लक्ष्मी की नाराज़गी का कारण बन सकता है।
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भारतीय संस्कृति में हर परंपरा के पीछे कोई न कोई गहरा तात्पर्य छिपा होता है। भोजन से जुड़े नियमों को भी सिर्फ पेट भरने की आवश्यकता के रूप में नहीं देखा गया, बल्कि यह आत्मिक और आध्यात्मिक शुद्धता से भी जुड़ा हुआ है। शास्त्रों के अनुसार, कुछ विशेष पर्व और तिथियां ऐसी होती हैं, जब रसोई में चूल्हा जलाना और विशेषकर तवा चढ़ाकर रोटी बनाना अशुभ माना गया है। यह सिर्फ अंधविश्वास नहीं, बल्कि एक धार्मिक चेतावनी है, जिसे अनदेखा करना मां लक्ष्मी की नाराज़गी का कारण बन सकता है।
दीपावली के दिन न बनाएं रोटी
दीपों के पर्व दीवाली का संबंध सीधे धन की देवी लक्ष्मी से है। इस दिन पूरे भारतवर्ष में भक्तजन मां लक्ष्मी का पूजन कर उनसे धन, वैभव और समृद्धि की कामना करते हैं। लेकिन ज्योतिष और धर्मशास्त्र यह स्पष्ट करते हैं कि इस शुभ दिन तवे पर रोटी बनाना वर्जित है। इसका कारण यह है कि तवा अग्नि और कर्म का प्रतीक माना जाता है, और दीवाली की रात लक्ष्मी माता का आगमन शांति और पवित्रता के वातावरण में होता है। रोटी बनाने की प्रक्रिया में उत्पन्न धुआं और गर्मी इस पवित्रता को भंग करती है। मान्यता है कि जो घर दीपावली की रात रोटी पकाता है, वहां लक्ष्मी माता का आगमन नहीं होता और धीरे-धीरे वहां दरिद्रता का वास होने लगता है।
शरद पूर्णिमा, लक्ष्मी का धरती पर आगमन
शरद पूर्णिमा का दिन भारतीय पंचांग में एक विशेष महत्व रखता है। यह वह रात होती है जब चंद्रमा अपनी पूर्ण 16 कलाओं के साथ पृथ्वी पर प्रकाश फैलाता है। धर्मग्रंथों में वर्णन है कि इसी दिन माता लक्ष्मी पृथ्वी पर भ्रमण करती हैं और अपने प्रिय भक्तों को धन और समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं। इस दिन तवा चढ़ाकर रोटी बनाना निषिद्ध माना गया है। यह दिन चंद्रमा की ऊर्जा और लक्ष्मी की कृपा से भरपूर होता है, लेकिन रोटी जैसी रोज़मर्रा की वस्तु बनाना उस दिव्यता को भंग करता है। इसी कारण इस दिन लोग खास पकवान बनाते हैं, खीर चंद्रमा की रोशनी में रखते हैं और तवे से दूरी बनाए रखते हैं।
नाग पंचमी पर कालसर्प दोष का खतरा
नाग पंचमी का पर्व नाग देवताओं की पूजा का दिन है। हिन्दू धर्म में नागों को अत्यंत पवित्र और शक्तिशाली माना गया है। इस दिन घर में रोटी बनाना वर्जित है क्योंकि मान्यता है कि इससे राहु-केतु जैसे ग्रहों का अशुभ प्रभाव बढ़ता है। शास्त्रों के अनुसार, इस दिन तवा चढ़ाने से कालसर्प दोष उत्पन्न हो सकता है। नाग देवता तवा और रोटी के माध्यम से अपमानित महसूस करते हैं, जिससे वे कुपित हो सकते हैं। कई परिवारों में आज भी इस दिन पकाए बिना ही प्रसाद बनाया जाता है, जैसे दूध, चावल या फल, और नाग देवता को अर्पित किया जाता है।
शीतला अष्टमी पर बासी भोजन की विशेष परंपरा
शीतला अष्टमी या सप्तमी, जो क्षेत्र विशेष के अनुसार अलग-अलग मनाई जाती है, माता शीतला की पूजा का विशेष दिन है। इस दिन घर में बासी भोजन का भोग लगाया जाता है और यही भोजन पूरे परिवार द्वारा ग्रहण किया जाता है। इसका वैज्ञानिक पक्ष यह भी है कि शीतला माता को संक्रामक रोगों से मुक्ति की देवी माना जाता है और शीतकालीन संक्रमण के समय यह परंपरा शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में सहायक मानी जाती है। इस दिन चूल्हा जलाना वर्जित है। रोटी बनाना न केवल परंपरा के विरुद्ध है बल्कि माता की नाराज़गी का कारण बनता है।
मृत्यु के समय रोटी को लेकर नियम
सनातन धर्म में मृत्यु को एक बड़ी संस्कार प्रक्रिया माना गया है। जब घर में किसी की मृत्यु होती है, तो अंतिम संस्कार से पहले घर में चूल्हा नहीं जलाया जाता और तवा चढ़ाकर रोटी बनाना सख्त निषेध होता है। यह केवल धार्मिक रीति नहीं, बल्कि उस शोक और शुद्धिकरण की प्रक्रिया का हिस्सा है जिसे कर्मकांड कहा गया है। खास बात यह है कि अंतिम यात्रा के समय मृतक को रोटी भी साथ दी जाती है, जो कि विशेष रूप से घर से बाहर से मंगाई जाती है। इससे यह भी स्पष्ट होता है कि मृत्यु से पहले रोटी बनाना धार्मिक रूप से अनुचित माना गया है।
शास्त्रों में स्पष्ट कहा गया है कि मां लक्ष्मी से जुड़ी हर तिथि या पर्व, जैसे कोजागरी पूर्णिमा, अक्षय तृतीया, दीपावली, शरद पूर्णिमा, आदि पर रोटी बनाना पूरी तरह से वर्जित है। इन अवसरों पर तवे से परहेज करना, रसोई को विशेष रूप से साफ रखना और पकवान जैसे खीर, हलवा, लड्डू आदि बनाकर भोग अर्पण करना मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के प्रमुख उपायों में से एक माना जाता है। यह न केवल धार्मिक मान्यता है, बल्कि एक मनोवैज्ञानिक संकेत भी है कि विशेष पर्वों पर पवित्रता और शांति को प्राथमिकता दी जाए।
हमारे धर्म में रसोई को लक्ष्मी का स्थान माना गया है। यहां पर हर क्रिया सिर्फ भोजन नहीं, बल्कि साधना है। कुछ पर्वों और तिथियों पर रोटी न बनाना केवल परंपरा नहीं बल्कि मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने का उपाय भी है। अगर इन नियमों का पालन न किया जाए तो यह देवी की नाराज़गी का कारण बन सकता है और इसका प्रभाव पूरे परिवार की आर्थिक स्थिति पर पड़ सकता है। इसलिए जब भी कोई धार्मिक पर्व आए, तो सिर्फ पूजा नहीं, बल्कि रसोई की भी शुद्धता और नियमों का ध्यान रखें। तवा चढ़ाने से पहले तिथि और पर्व का विचार ज़रूर करें, तभी घर में लक्ष्मी का वास होगा और दरिद्रता कभी प्रवेश नहीं करेगी।
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