पाकिस्तान को ध्वस्त करने वाली आकाश मिसाइल का मुरीद हुआ ये देश, ट्रंप का है कट्टर विरोधी, जल्द होगी सप्लाई!
भारत की स्वदेशी मिसाइलों ने पाकिस्तान को ऑपरेशन सिंदूर के दौरान करारा जवाब दिया. भारत का 35 साल से रक्षा कवच, स्वदेशी मिसाइल डिफेंस सिस्टम आकाश ने दुशमन को जबरदस्त चोट पहुंचाई. आकाश मिसाइल की जबरदस्त मारक क्षमता और कामयाबी को देखते हुए इसकी ना सिर्फ देश के अंदर व्यापक तैनाती की जा रही है बल्कि इसकी कई देशों से डिमांड आ रही है. अब एक देश ने इसकी खरीद में दिलचस्पी दिखाई है, जो ट्रंप को चिढ़ा सकता है.
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भारत की पाकिस्तान के खिलाफ की गई सैन्य कार्रवाई ने ना सिर्फ भारतीय सेनाओं की ताकत का परिचय दिया बल्कि हिंदुस्तान की बौद्धिक क्षमता, टेक्नोलॉजी, ऑत्मनिर्भर भारत मिशन और मेड इन इंडिया डिफेंस सेक्टर का भी लोहा मनवाया. ऑपरेशन सिंदूर ने ना सिर्फ इंडिया के हॉर्ड पावर के बारे में बताया बल्कि डिफेंस निर्यात को भी जबरदस्त बूम दिया. मई में पूरी दुनिया ने भारत के मिसाइल डिफेंस सिस्टम्स का लोहा माना. हमारी स्वदेशी डिफेंस सिस्टम आकाश ने किस तरह अमेरिकी-चीनी जेट्स, तुर्की के ड्रोन को मार गिराया ये सब जानते हैं.
अव्वल दर्जे के JF-16 और JF-17 से निपटने में जिस तरह हमारे इंटीग्रेटेड डिफेंस मैकेनिज्म के साथ मिलकर आकाश ने काम किया, उसका फायदा अब भारत को मिलने लगा है. दरअसल इसी वजह से दुनिया के कई देश आकाश मिसाइलों के मुरीद बन गए हैं. इसकी जबरदस्त मांग बढ़ रही है. कई अमेरिकी महादेश के देश इसे खरीदने की दिलचस्पी दिखा रहे हैं. अब इस लिस्ट में ट्रंप के कट्टर आलोचक देश यानी कि ब्राजील का नाम भी जड़ गया है.
ब्राजील को आकाश मिसाइल की सप्लाई करेगा भारत!
आपको बताएं कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बुधवार को नई दिल्ली में ब्राजील के उपराष्ट्रपति गेराल्डो अल्कमिन से मुलाकात की. इस बैठक में ब्राजील के रक्षा मंत्री जोस मुसियो मोंटेइरो फिल्हो भी उपस्थित थे. कहा जा रहा है कि इसमें बड़ी पहल हुई है. जानकारी के मुताबिक भारत जल्द ब्राजील को आकाश मिसाइलों की सप्लाई कर सकता है. इसको लेकर दोनों देशों के बीच डिफेंस एक्सपोर्ट डील की तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है. मोदी सरकार इस मामले में कोई लेट-लतीफी बर्दाश्त करने के मूड में नहीं है. इंडियन वेपंस के एक्सपोर्ट को सरकार टॉप प्रायोरिटी में रख रही है.
खबर के मुताबिक ब्राजीली नेताओं के इस दौरे में रक्षा संबंधी गतिविधियों की प्रगति की समीक्षा की गई और रक्षा उपकरणों के सह-विकास एवं सह-उत्पादन के अवसरों की खोज सहित संयुक्त कार्य के लिए प्राथमिकता वाले क्षेत्रों की पहचान की गई है.
ब्राजील ने दिखाई भारत के रक्षा उत्पाद में दिलचस्पी!
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और ब्राजीली उपराष्ट्रपति और रक्षा मंत्री के बीच हुई बातचीत में ब्राजील ने आकाश मिसाइल डिफेंस सिस्टम को खरीदने में दिलचस्पी दिखाई है. दोनों देशों ने इस पर बात को बढ़ाने और संभावनाएं तलाशने का फैसला किया है. कहा जा रहा है कि सरकार इस समझौते की संभावना को गंभीरता से ले रही है.
पहले से ही ब्रिक्स को लेकर खार खाए अमेरिकी राष्ट्रपति के लिए ये और परेशानी का सौदा हो सकता है. अगर ये डील होती है तो दो पुराने दोस्तों और ब्रिक्स के दोनों साझेदार देशों के रणनीतिक रिश्ते और मजबूत होंगे. यानी कि आर्थिक, व्यापारिक संबंधों को रक्षा और सामरिक लेवल पर ले जाने की तैयारी चल रही है. आपको बताएं कि भारत अब तक अपने रक्षा जरूरतों का करीब 90% हथियारों का आयात करता है. ऐसे में अगर वो आकाश, ब्रह्मोस जैसी डिफेंस सिस्टम और मिसाइल्स का निर्यात करता है तो वो ना सिर्फ डिफेंस एक्सपोर्ट क्षेत्र का एक बड़ा खिलाड़ी बनेगा बल्कि उसके रक्षा बजट में संतुलन भी बनेगा.
आपको बताएं कि इस समझौते से ना सिर्फ भारत को फायदा होगा बल्कि खरीदार देश भी फायदे में रहेंगे, क्योंकि भारत के बारे में कहा जाता है कि Made In India का मतलब क्वालिटी की गारंटी. इससे दक्षिण-दक्षिण सहयोग (South-South Cooperation) को मजबूती मिलेगी और भारत की पहचान एक भरोसेमंद वैश्विक डिफेंस एक्सपोर्टर के रूप में और मजबूत होगी.
ट्रंप को लग जाएगी मिर्ची?
आपको बता दें कि भारत और ब्राजील दोनों ही BRICS का हिस्सा हैं. ट्रंप इस समूह को अपने लिए खतरा मानते हैं. उन्हें लगता है कि ब्रिक्स अमेरिकी बादशाहत को चुनौती दे रहा है. कहा जाता है कि ट्रंप का मानना है कि ये संगठन डॉलर को चुनौती दे रहा है. इसी कारण अमेरिकी राष्ट्रपति लगातार इस पर हमलावर रहे हैं और टैरिफ लगाने की धमकी देते रहे हैं. ऐसे में भारत और ब्राजील के बीच रणनीतिक साझेदारी मजबूत होने से ट्रंप का पारा और हाई हो सकता है.
क्या है आकाश मिसाइल सिस्टम?
आपको बताएं कि 'आकाश' मिसाइल सिस्टम एक मेड इन इंडिया यानी कि स्वदेशी मिसाइल डिफेंस सिस्टम है, जिसे डीआरडीओ (DRDO) ने तैयार किया है. स्वदेशी रूप से विकसित 'आकाश' सिस्टम में सतह से हवा में वार करने वाली मध्यम दूरी की मिसाइल है. इस सिस्टम को डीआरडीओ ने डिजाइन किया है. इसकी रेंज 25 से 30 किलोमीटर की है. यह अपनी तैनाती के स्थान से 20 से 30 किलोमीटर तक की दूरी तक के टारगेट को नष्ट कर सकता है. यह 'रडार-बेस्ड कमांड गाइडेंस' के अंतर्गत दुश्मन के लक्ष्य पर बेहद सटीकता से हमला करता है.
आकाश मिसाइल की बात करें तो 30 किलोमीटर तक यह मिसाइल विमानों, ड्रोन, क्रूज मिसाइल आदि को नष्ट करने में सक्षम है. इसकी एक खासियत यह भी है कि इसे मोबाइल लॉन्चर से इस्तेमाल किया जा सकता है. यही कारण है कि इसे कहीं से भी इस्तेमाल किया जा सकता है.
रक्षा अधिकारियों के मुताबिक, आकाश मिसाइल सिस्टम भारतीय थल सेना और वायु सेना दोनों के पास उपलब्ध है. पाकिस्तान सीमा पर तैनात वायुसेना और थल सेना की यूनिट आकाश मिसाइल से लैस हैं और इसका इस्तेमाल कर रही है.
पाकिस्तान के पास नहीं है आकाश मिसाइल की काट
मालूम हो कि आकाश मिसाइल ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान के जेएफ-17 जेट को मार गिराया था. पाकिस्तान को यह फाइटर जेट चीन से मिले थे. इस जंग में दिखा कि पाकिस्तान जहां अमेरिकी और चीनी हथियारों और आयातित वेपन का प्रयोग कर रहा था, वहीं
भारत इस मुकाबले में स्वदेशी हथियार प्रणालियों का उपयोग कर रहा है.
विशेषज्ञों का मानना है कि विदेश से मिले इन हथियारों और विमानों की तकनीक संबंधी पूरी जानकारी भी पाकिस्तान के पास नहीं है. इन हथियारों के इस्तेमाल की समुचित ट्रेनिंग भी पाकिस्तानी सेना के पास नहीं है.
भारत के एयर डिफेंस सिस्टम ने किया था कमाल
भारतीय एयर डिफेंस सिस्टम ने इन ऑपरेशन के दौरान हर पाकिस्तानी मिसाइलों को मार गिराया. पाकिस्तान ने भारत के 15 शहरों में सैन्य और नागरिक ठिकानों पर ड्रोन और मिसाइल हमले किए थे. हालांकि, भारतीय वायु रक्षा प्रणालियों ने इन हमलों को पूरी तरह नाकाम कर दिया. भारतीय सेनाओं के पास आकाश के अलावा जेडयू-23, एल- 70 और शिल्का जैसी उन्नत वायु रक्षा प्रणालियां हैं.
आपको जानकर गर्व होगा कि पाकिस्तान का मुंहतोड़ जवाब देने में भारत के आधुनिक एवं स्वदेशी हथियारों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. भारतीय हथियार प्रणालियां वायु रक्षा का बेजोड़ उदाहरण हैं. ये दुश्मन के हवाई हमलों को हवा में ही नष्ट करने में सक्षम हैं.
स्वदेशी रूप से विकसित 'आकाश' सिस्टम में सतह से हवा में वार करने वाली मध्यम दूरी की मिसाइल है. इस सिस्टम को डीआरडीओ ने डिजाइन किया है. इसकी रेंज 25 से 30 किलोमीटर की है. यह अपनी तैनाती के स्थान से 20 से 30 किलोमीटर तक की दूरी तक के टारगेट को नष्ट कर सकता है. यह 'रडार-बेस्ड कमांड गाइडेंस' के अंतर्गत दुश्मन के लक्ष्य पर बेहद सटीकता से हमला करता है.
35 साल से भारत का रक्षा कवच आकाश मिसाइल
आपको बताएं आकाश मिसाइल सिस्टम करीब 35 साल से भारत का रक्षा कवच बना हुआ है. 15 अगस्त 1990 को देश स्वतंत्रता दिवस धूमधाम से मना रहा था. दूसरी तरफ, इसी दिन भारत ने आकाश मिसाइल की सफल लॉन्चिंग कर दुनिया को यह बता दिया था कि आने वाला समय उनका है.
भारतीय सेना में शामिल इस मिसाइल आकाश के आने से सेना की ताकत में काफी इजाफा हुआ है. वहीं, साल दर साल इस मिसाइल को अपग्रेड किया गया, जिसने इसे दुनिया का सबसे ताकतवर मिसाइल बना दिया है. आज भारत आत्मनिर्भर अभियान के तहत कई मिसाइल का निर्माण कर दुनिया में अपनी धाक जमा रहा है. आकाश मिसाइल को रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने विकसित किया है.
आकाश ने मचाई चीन-पाकिस्तान में खलबली
यूं तो आकाश मिसाइल को समय-समय पर अपडेट किया गया, साथ ही उसका परीक्षण भी किया गया. लेकिन, मार्च में हुए एक सफल परीक्षण के दौरान, चीन और पाकिस्तान में खलबली मच गई. बीते दिनों सेना की ओर से एक वीडियो शेयर किया गया. सेना ने इस वीडियो को शेयर कर बताया था कि यह मिसाइल एक बार में चार टारगेट को ध्वस्त कर सकता है. इस मिसाइल की खास बात यह है कि हवा में यह 25-30 किलोमीटर की रेंज तक निशाना लगा सकता है. इससे सेना की ताकत बढ़ी है.
मध्यम दूरी, लेकिन मारक क्षमता जोरदार
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खास बात यह है एक बार में चार टारगेट को ध्वस्त करने वाला यह मिसाइल सिर्फ भारत के पास है. भारत में फिलहाल इसके तीन वैरिएंट मौजूद हैं. पहला आकाश एमके- जिसकी रेंज 30 किलोमीटर है, दूसरा आकाश एमके-2 जिसकी रेंज 40 किलोमीटर है और तीसरा आकाश-एनजी, इसकी रेंज 80 किलोमीटर है. हवा में घात लगाए बैठे दुश्मनों को आकाश एनर्जी 25 किलोमीटर तक की ऊंचाई पर ध्वस्त कर सकता है. इस मिसाइल के होने से दुश्मन को छुपने का मौका भी नहीं मिलेगा.
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