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बिहार चुनाव 2025: पवन सिंह और मनीष कश्यप की मुलाकात से सियासी हलचल

बिहार के दो युवा सुपरस्टार पवन सिंह और मनीष कश्यप की मुलाकात ने राजनीतिक दलों की नींद उड़ा दी है. बिहारवासियों को लंबे वक्त से जिस तीसरे मोर्चे का इंतजार था, उनके इंतजार को प्रशांत किशोर जन सुराज पार्टी के जरिए खत्म करने आए हैं. अब चर्चा है कि ये दोनों पीके की जन सुराज को ज्वाइन कर सकते हैं.

17 Jun, 2025
( Updated: 17 Jun, 2025
10:52 PM )
बिहार चुनाव 2025: पवन सिंह और मनीष कश्यप की मुलाकात से सियासी हलचल

हाल ही में लखनऊ में भोजपुरी सुपरस्टार पवन सिंह और यूट्यूबर-राजनेता मनीष कश्यप की मुलाकात ने बिहार की राजनीति में हलचल मचा दी है. दोनों को पवन सिंह की मां के साथ देखा गया, जिससे यह मुलाकात और भी चर्चा का विषय बन गई. यह मुलाकात बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले एक नई सियासी गठजोड़ की ओर इशारा कर रही है. सूत्रों के मुताबिक, दोनों ने प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी से जुड़ने का फैसला किया है, जिसने बिहार की सियासत में नया मोड़ ला दिया है. 

जन सुराज के साथ नई शुरुआत

पवन सिंह और मनीष कश्यप, दोनों ही बिहार में अपनी-अपनी लोकप्रियता के लिए जाने जाते हैं. पवन सिंह का भोजपुरी सिनेमा में बड़ा नाम है, जबकि मनीष कश्यप ने अपने यूट्यूब चैनल 'सच टॉक्स' के जरिए युवाओं और आम जनता के बीच मजबूत पकड़ बनाई है. अगर ये दोनों जन सुराज के बैनर तले एकजुट होते हैं, तो यह बिहार की सियासत में एक तीसरे विकल्प के रूप में उभर सकता है, जो पारंपरिक दलों को कड़ी चुनौती दे सकता है. 

बिहार की राजनीति पर संभावित प्रभाव

पवन सिंह और मनीष कश्यप की जोड़ी का बिहार की राजनीति पर गहरा असर पड़ सकता है. दोनों की लोकप्रियता और जनता से सीधा जुड़ाव उन्हें एक मजबूत ताकत बना सकता है. खासकर, युवा और ग्रामीण मतदाताओं के बीच उनकी अपील बीजेपी, जेडीयू और राजद जैसे दिग्गज दलों के लिए खतरा बन सकती है. 

युवा मतदाताओं पर प्रभाव: मनीष कश्यप की डिजिटल पहुंच और पवन सिंह की भोजपुरी सांस्कृतिक अपील युवा वोटरों को आकर्षित कर सकती है, जो पारंपरिक दलों से असंतुष्ट हैं.

क्षेत्रीय और जातीय समीकरण: पवन सिंह का भोजपुरी क्षेत्रों में प्रभाव और मनीष कश्यप की सामाजिक मुद्दों पर मुखरता EBC और अन्य पिछड़ा वर्ग के वोटों को खींच सकती है.
 
बीजेपी-जेडीयू को नुकसान: मनीष कश्यप के बीजेपी छोड़ने और पवन सिंह के स्वतंत्र रुख ने पहले ही एनडीए को झटका दिया है. जन सुराज के साथ उनकी सक्रियता एनडीए के वोट बैंक को कमजोर कर सकती है. 

राजद की चुनौती: तेजस्वी यादव के नेतृत्व में राजद की मजबूत पकड़ को पवन और मनीष की जोड़ी चुनौती दे सकती है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां युवा और गैर-यादव वोटर प्रभावशाली हैं. 

बीजेपी, जेडीयू और राजद पर कितना असर?

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पवन सिंह और मनीष कश्यप का जन सुराज के साथ जुड़ना बिहार की सियासत में एक नया समीकरण ला सकता है. बीजेपी और जेडीयू के गठबंधन (एनडीए) को सबसे ज्यादा नुकसान हो सकता है, क्योंकि मनीष कश्यप का बीजेपी से मोहभंग और पवन सिंह का स्वतंत्र रुख पहले ही चर्चा में है. हाल के सर्वे में महागठबंधन को 44.2% वोट शेयर के साथ बढ़त मिलने का अनुमान है, लेकिन जन सुराज की एंट्री इस समीकरण को बिगाड़ सकती है. राजद के लिए भी यह जोड़ी खतरा बन सकती है, क्योंकि तेजस्वी यादव की युवा अपील को मनीष और पवन की लोकप्रियता टक्कर दे सकती है. खासकर, गैर-यादव ओबीसी और दलित वोटरों को साधने में जन सुराज की रणनीति प्रभावी हो सकती है. हालांकि, यह देखना बाकी है कि यह जोड़ी कितनी सीटों पर असर डाल पाएगी, क्योंकि बिहार में जातीय और क्षेत्रीय समीकरण अभी भी बड़े दलों के पक्ष में हैं.

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