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महाकुंभ 2025 आध्यात्मिकता, पवित्र आस्था और पवन संगम का दिव्य मिलन

मैं अभी हाल ही में महाकुंभ 2025 से वापस आई हूँ, और यह अनुभव मेरे जीवन भर के लिए अविस्मरणीय रहेगा। इस अद्भुत आध्यात्मिक यात्रा ने न केवल मेरी आस्था को गहरा किया, बल्कि मुझे यह भी महसूस कराया कि इतनी विशालता और व्यवस्थाएं एक साथ कैसे काम करती हैं। कुंभ मेले में भीड़, सुरक्षा, स्वच्छता और प्रबंधन की जो व्यवस्थाएँ हैं, वह आश्चर्यजनक है कि कैसे करोड़ों लोग एक साथ संगम किनारे समाए हैं। यहां की हर एक गतिविधि और हर एक पल ने मुझे एक नई समझ दी, जो शब्दों से बाहर है।

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25 Jan 2025
( Updated: 25 Jan 2025
07:23 PM )
महाकुंभ 2025 आध्यात्मिकता, पवित्र आस्था और पवन संगम का दिव्य मिलन

महाकुंभ 2025 जो कि 13 जनवरी से 26 फरवरी तक संगम नगरी प्रयागराज में आयोजित किया जा रहा है। सनातन धर्म का एक बेहद एतिहासिक आयोजन है। जिसमें देश भर से श्रद्धालू शिरकत करने आएंगे। महाकुंभ 2025 का आयोजन उत्तर प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री श्री योगी अदित्यनाथ के संरक्षण में किया जा रहा है। यह पर्व लाखों श्रद्धालुओं के लिए एक पावन अफसर है, जिसमें गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम पर डुबकी लगाके  सारे पाप धोने का अद्वितीय अफसर है। 2025 का महाकुंभ विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह भव्य और संगठित रूप में मनाया जा रहा है, जिसमें सुरक्षा, प्रबंधन, और सुविधाओं को लेकर कई महत्वपूर्ण पहलुओं पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। यह अफसर ज़्यादा खास इसलिए भी है कि 144 वर्षों बाद महाकुंभ आया है।

यह तो हम जानते हैं कि कुंभ मेला हर 12 साल में ही हरिद्वार, नासिक, उज्जैन और प्रयागराज में लगता है। विशेष तौर पर 12 साल का अंतर ही क्यों है, आइए इसके पीछे की गणित समझाते हैं।

कुंभ मेला तब आयोजित होता है जब बृहस्पति और सूर्य विशिष्ट राशियों में होते हैं।

पृथ्वी से देखने पर सूर्य को बारह राशियों से गुजरने में एक वर्ष लगता है।

दूसरी ओर, बृहस्पति को पृथ्वी से लगभग 12 वर्ष लगते हैं।

इसलिए प्रत्येक 12 वर्ष के बाद सूर्य और बृहस्पति एक ही राशि में होते हैं।

और यही कारण है कि आमतौर पर कुंभ मेला हर 12 साल में आयोजित किया जाता है।

हालाँकि 72 वर्षों में 6 कुंभ मेलों के बाद 7वां कुंभ मेला, 6वें कुंभ मेले के 11 वर्ष बाद आयोजित होता है


सुरक्षा व्यवस्थाएँ 

 

कुंभ मेले को लेकर एक भ्रांति काफी प्रसिद्ध है कि लोग अक्सर अपने प्रियजनों से बिछड़ जाते हैं। यह कहावत आमतौर पर उन घटनाओं को दर्शाने के लिए उपयोग की जाती है, जब महाकुंभ जैसे विशाल जनसमूह में लोग आसानी से खो सकते हैं या एक-दूसरे से बिछड़ सकते हैं। इतनी भारी भीड़ होती है कि एक-दूसरे को ढूँढने में कठिनाई होती है। यह तो मैंने भी बचपन से सुना था, और इस बार जब खुद कुंभ में जाने का मौका मिला, तो मन में यह आशंका थी कि कहीं कोई खो न जाए।

महाकुंभ का आयोजन विशाल स्तर पर होता है, इसलिए सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाती है। 2025 के महाकुंभ में पुलिस बल, सुरक्षा गार्ड्स और स्वयंसेवक मिलकर सुनिश्चित कर रहे हैं कि सभी श्रद्धालुओं को एक सुरक्षित वातावरण मिले। चाहे रात के 2 बजे हों या दिन का समय, पुलिस कर्मी हमारी सुरक्षा के लिए 24 घंटे तैनात  हैं।

मेरा व्यक्तिगत अनुभव है कि एक रात घना कोहरा छाया हुआ था, और मैं और मेरे साथी रात 2 बजे अपने अखाड़े से बाहर निकले। 500 मीटर से अधिक कुछ दिखाई नहीं दे रहा था। जब हम आगे बढ़े, तो सामने एक चाय की टपरी पर 5-6 पुलिस कर्मी दिखाई दिए, जो इस कड़कड़ाती ठंड में भी आग के पास अपनी ड्यूटी पूरी मेहनत से निभा रहे थे। जब हमने उनसे बात की, तो पता चला कि वे 12 घंटे की ड्यूटी एक दिन में कर रहे है।

 

यह केवल सुरक्षा का ही सवाल नहीं है, बल्कि आने-जाने वाले श्रद्धालुओं की मदद के लिए हेल्पलाइन नंबर भी उपलब्ध हैं। इसके साथ ही, हर 500 मीटर की दूरी पर पुलिस बूथ भी लगाए गए हैं, ताकि किसी को भी परेशानी का सामना न करना पड़े। प्रयागराज में इस दौरान ड्रोन निगरानी, सीसीटीवी कैमरे, और बायोमेट्रिक पहचान प्रणाली लागू की गई है। पुलिस के साथ-साथ एनडीआरएफ (राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल) और एसडीआरएफ (राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल) भी तैनात रहेंगे। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि किसी भी तरह की अप्रिय घटना से बचा जा सके और श्रद्धालुओं को पूरी सुरक्षा मिले। इसके अलावा, सभी प्रमुख स्नान घाटों और रेलवे स्टेशन पर सुरक्षा चौकियां बनाई गई है, जहां से आने-जाने वाले श्रद्धालुओं की जाँच की जा रही हैं।

 

प्रवेश और यातायात  कैसे पहुँचे 

•ट्रेन- प्रयागराज में 5 रेलवे स्टेशन हैं प्रयागराज जंक्शन, छिवकी, सराय मंझेरिया, नया पुराना रेलवे स्टेशन, प्रयेगराज कुंभ । जिसमें से प्रयागराज जंक्शन संगम से बस 6-8 कि.मी. की दूरी पर हैं। 

•फ्लाइट- प्रयागराज एयरपोर्ट से त्रिवेणी संगम की दूरी लगभग 15-16 किलोमीटर है। टैक्सी, ऑटो या कैब के माध्यम से इस स्थान तक आसानी से पहुंचा जा सकता है। संगम तक पहुंचने में लगभग 25-30 मिनट का समय लग सकता है, यातायात की स्थिति पर निर्भर करते हुए।

•बस : अपने शहर से प्रयागराज बस पकड़ के आ सकते है। जो काफी किफायती, विश्वसनीय विकल्प है बस स्टेशन उतर के मुख्य शहर से 30 रुपये में आराम से मेला क्षेत्र पहुँच सकते हैं। रामबाग बस स्टेशन से संगम तक पहुंचने के लिए टैक्सी, ऑटो, या रिक्शा उपलब्ध रहते हैं, जो संगम से लगभग 5-6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

•निजी वाहन: मेला क्षेत्र के अंदर निजी वाहन को अनुमति नहीं है परमिट के बिना, और स्नान वाले दिन तो भीड़ में एक जगह से गाड़ी हिल नहीं सकती. 

 हर प्रमुख स्थान पर अस्थायी अस्पताल और मेडिकल कैंप लगाए जाएंगे। इन अस्पतालों में प्राथमिक उपचार, दवाइयाँ, और चिकित्सकीय सहायता उपलब्ध होगी।

इसके अलावा, मेडिकल टीम, चिकित्सालय, और एंबुलेंस की तैनाती भी पूरे मेला क्षेत्र में की गई है। किसी भी आपातकालीन स्थिति में तुरंत सहायता देने के लिए 24 घंटे काम करने वाली हेल्पलाइन सेवाएं भी उपलब्ध रहेंगी।

 

सुविधाएँ और सेवाएँ 

महाकुंभ में श्रद्धालुओं के लिए सुविधाओं का पूरा ध्यान रखा जाएगा। यत्रा के दौरान भटकने और थकने से बचने के लिए, हर प्रमुख स्थान पर आराम करने के लिए शेड्स और बैठने की व्यवस्था की गई है । अन्य सुविधाएँ जेसे

 •भोजन: भोजन की व्यवस्था में किसी को कोई कमी नहीं आएगी, मेला क्षेत्र में कोई भूखा नहीं सोएगा। पूरे मेले में लंगरसेवा निशुल्क जारी हैं। कोई कितना भी खाए, कमी नहीं होगी। इसके साथ-साथ इस्कॉन ने अडानी ग्रुप के साथ 2 जगह महाप्रसाद सेवा का आयोजन किया है। जिसके तहत असीमित, स्वच्छ और स्वादिष्ट भोजन 24 घंटे उपलब्ध है। इसके अलावा कुछ खरीद के और खाना हो तो उसकी उपलब्धता भी है, वो भी किफायती कीमतों पर। कोई ज्यादा दिन रुकना चाहे तो राशन की दुकाने भी मेला क्षेत्र में मिल जाएंगी, जैसे दूध, ब्रेड इत्यादि।

•साफ जल: महाकुंभ 2025 में स्वच्छ पानी की आपूर्ति के लिए वाटर प्यूरीफिकेशन प्लांट और वाटर टैंक्स के माध्यम से पानी वितरण किया जाएगा। इसके अलावा, पानी की गुणवत्ता की निगरानी के लिए नियमित जांच और मोबाइल वाटर ट्रक की व्यवस्था भी की गई है।

•शौचालय: महाकुंभ मेला क्षेत्र में लगभग 10,000 से अधिक शौचालय हर घाट और पूरे कैंपस में स्थापित किए गए हैं।

 •सफाई: विशेष रूप से सफाई पर भी जोर दिया जा रहा है, ताकि महाकुंभ क्षेत्र स्वच्छ और सुरक्षित रहे। पूरे कैंपस में जगह-जगह कूड़ेदान रखे गए हैं, जो हर २ घंटों में खाली किए जा रहे हैं।

•डिजिटल सुविधाएँ: महाकुंभ 2025 में डिजिटलीकरण के तहत मोबाइल ऐप और वेबसाइट के माध्यम से श्रद्धालुओं को जानकारी, रियल-टाइम ट्रैकिंग, और सुविधाओं की उपलब्धता प्रदान की गई है। इसके अलावा, गूगल मैप्स, ऑनलाइन पंजीकरण, और डिजिटल भुगतान की सुविधाएँ भी सुनिश्चित की गई हैं।

 

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