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'कुछ लोग नाराज लेकिन आप मजबूत हैं, संभाल लेंगे...', ट्रंप टैरिफ पर फिजी के प्रधानमंत्री राबुका का बयान, PM मोदी से मुलाकात के बाद भारत संग सात समझौते पर हस्ताक्षर

फिजी के प्रधानमंत्री सिटिवेनी राबुका ने नई दिल्ली में ICWA के ओशन ऑफ पीस लेक्चर में हिस्सा लिया. बातचीत के दौरान उन्होंने बिना नाम लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर तंज कसा और कहा कि अमेरिका द्वारा भारतीय सामानों पर लगाया गया 50% टैरिफ चिंता का विषय है, लेकिन भारत इतना बड़ा है कि इन चुनौतियों का सामना कर लेगा. यह टैरिफ 27 अगस्त से लागू होगा और झींगा, परिधान, चमड़ा व रत्न-आभूषण जैसे निर्यात क्षेत्रों को प्रभावित करेगा.

Source: X/ Narendra Modi

फिजी के प्रधानमंत्री सिटिवेनी लिगाममादा राबुका इन दिनों भारत दौरे पर हैं. उनका यह दौरा सिर्फ कूटनीतिक औपचारिकता नहीं बल्कि भारत और फिजी के रिश्तों को नई दिशा देने का एक अहम पड़ाव माना जा रहा है. राबुका ने मंगलवार को नई दिल्ली के सप्रू हाउस में इंडियन काउंसिल ऑफ वर्ल्ड अफेयर्स (ICWA) द्वारा आयोजित ओशन ऑफ पीस लेक्चर में हिस्सा लिया. इस दौरान उन्होंने वैश्विक राजनीति, व्यापार, समुद्री सुरक्षा और भारत-फिजी संबंधों पर खुलकर बात की.

राबुका का यह बयान सबसे अधिक चर्चा में रहा जब उन्होंने बिना नाम लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और भारत पर लगाए गए भारी शुल्क पर तंज कसा. उन्होंने कहा कि हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के दौरान मैंने उल्लेख किया था कि अमेरिका द्वारा भारतीय सामानों पर 50% टैरिफ लगाया गया है. यह साफ संदेश है कि कोई आपसे खुश नहीं है. लेकिन भारत इतना बड़ा और सशक्त है कि वह इस तरह की चुनौतियों से निपट सकता है. बता दें कि अमेरिका ने भारत के रूसी तेल आयात को लेकर नाराजगी जताते हुए भारतीय सामानों पर 25% अतिरिक्त शुल्क सहित कुल 50% टैरिफ लगाने की घोषणा की है, जो 27 अगस्त से लागू होगा. इसका सीधा असर झींगा, परिधान, चमड़ा और रत्न-आभूषण जैसे क्षेत्रों पर पड़ने की आशंका है, जहां करोड़ों लोगों की आजीविका जुड़ी हुई है.

भारत-फिजी रिश्तों में नए अध्याय की शुरुआत

प्रधानमंत्री राबुका रविवार को तीन दिवसीय यात्रा पर दिल्ली पहुंचे. इस दौरान उनका जोर समुद्री सुरक्षा, स्वास्थ्य, डिजिटल तकनीक, क्षमता निर्माण और व्यापार को आगे बढ़ाने पर रहा. सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राबुका के बीच बातचीत हुई, जिसमें रक्षा सहयोग और एक शांतिपूर्ण इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के निर्माण पर जोर दिया गया. दोनों देशों के बीच सात अहम समझौतों पर हस्ताक्षर हुए. इनमें स्वास्थ्य सेवाओं के आदान-प्रदान, डिजिटल तकनीक में सहयोग, कौशल विकास और समुद्री सुरक्षा को मजबूत करने पर सहमति बनी. यह समझौते छोटे पैमाने पर भले दिखें, लेकिन इनका प्रभाव भविष्य में दोनों देशों की साझेदारी को नई ऊंचाइयों तक ले जाएगा.

ओशन ऑफ पीस विजन और भारत की भूमिका

ICWA आयोजन में प्रधानमंत्री राबुका ने अपने ओशन ऑफ पीस विजन को विस्तार से रखा. उन्होंने कहा कि प्रशांत महासागर के क्षेत्र में स्थिरता और शांति सुनिश्चित करना सिर्फ फिजी ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लिए जरूरी है. भारत इस प्रयास में एक निर्णायक भूमिका निभा सकता है. राबुका ने कहा कि फिजी और भारत मिलकर प्रशांत को शांति का सागर बना सकते हैं. इसका फायदा सिर्फ दोनों देशों को ही नहीं बल्कि वैश्विक शांति और स्थिरता को भी मिलेगा. उन्होंने यह भी बताया कि प्रधानमंत्री मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग दोनों इस विचार का समर्थन कर चुके हैं. यह संकेत है कि भारत का प्रभाव और योगदान प्रशांत क्षेत्र तक फैलता जा रहा है.

ग्लोबल साउथ में भारत का कद

राबुका ने अपने संबोधन में छोटे देशों की चुनौतियों को भी रेखांकित किया. उन्होंने कहा कि बड़े देशों के बीच तनाव का असर सीधे छोटे देशों पर पड़ता है. ऐसे में भारत जैसे देशों की भूमिका बहुत अहम हो जाती है. उन्होंने आतंकवाद के खिलाफ भारत की जीरो टॉलरेंस नीति की सराहना की और कहा कि यही नीति वैश्विक शांति के लिए कारगर है. साथ ही उन्होंने ग्लोबल साउथ के नेतृत्व में भारत की भूमिका की तारीफ की और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता के लिए अपना समर्थन दोहराया.

बताते चलें कि फिजी के प्रधानमंत्री का भारत दौरा कई मायनों में ऐतिहासिक है. यह दौरा न केवल भारत-फिजी रिश्तों को मजबूती देगा बल्कि प्रशांत महासागर क्षेत्र में भारत की सक्रियता का भी प्रतीक है. अमेरिका के टैरिफ विवाद पर दिए गए उनके बयान से साफ है कि भारत को आज वैश्विक राजनीति में एक बड़े खिलाड़ी के रूप में देखा जा रहा है. ऐसे में ओशन ऑफ पीस की परिकल्पना और ग्लोबल साउथ में भारत की बढ़ती भूमिका इस बात का प्रमाण है कि आने वाले समय में भारत सिर्फ एशिया तक सीमित नहीं रहेगा बल्कि प्रशांत क्षेत्र की शांति और स्थिरता में भी उसका बड़ा योगदान होगा.

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