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कहानी ‘कीर्थाना’ की जो अपने स्कूल में अकेली छात्रा है, जिसके लिए सरकार चलाती है स्कूल

तेलंगाना में एक स्कूल ऐसा भी है जहां सिर्फ एक ही बच्ची पढ़ाई करती है देखिए ये रिपोर्ट #

एक बड़ा सा गेट खुलता है और बच्चों का एक पूरा हुजूम खिलखिलाते हुए बाहर की ओर दौड़ने लगता है। जब भी हम किसी स्कूल की कल्पना करते हैं तो हमारे जेहन में ये ही तस्वीरें आती हैं।बहुत सारे बच्चे, क्लास में थोड़ा शोर फिर टीचर की डांट, पढ़ाई और थोड़ी खेल कूद। इन्ही सब एक्टिविटीज से चलता है एक स्कूल। लेकिन क्या हो जब उस स्कूल में एक ही बच्चा पढ़ता हो। लेकिन इसके बावजूद सरकारी स्कूल चलता हो और सरकार लाखों रुपये खर्च करती हो। दक्षिण राज्य तेलंगाना में एक ऐसा ही सरकारी स्कूल है जहां सिर्फ एक बच्ची पढ़ती है।

तेलंगाना का एक सरकारी स्कूल जो एक बच्ची के लिए चलता है। ये स्कूल सामान्य स्कूल की तरह ही है। टीचर आते हैं अटेंडेंस लेते हैं क्लास चलती है सारे सब्जेक्ट भी पढ़ाए जाते हैं लेकिन पढ़ने वाली सिर्फ एक छात्रा है जिसका नाम है कीर्थाना।

9 साल की कीर्थाना चौथी कक्षा की छात्रा हैं जो सुबह 9 बजे स्कूल आती हैं सबसे पहले इंग्लिश पढ़ती हैं फिर तेलुगु। इसके बाद स्कूल में लंच होता है और लंच के बाद मैथ्स और एनवायरमेंट स्टडीज पढ़ाई जाती हैं। कीर्ताथा को पढ़ाने वाली टीचर उमा डेली एक बच्चे के लिए स्कूल आती हैं और पढ़ाई वैसी ही होती है जैसी ज्यादा तादाद में छात्रों के होने पर होती। स्कूल में टीचिंग का वही पैटर्न फॉलो किया जाता है चाहे बच्चे 100 हों, 10 हों या एक हो।


 हर साल 12 लाख का खर्च ।


नेशनल रूरल हेल्थ मिशन के तहत चलने वाली इस स्कूल में कुछ साल पहले तक स्कूल में 50 से 70 बच्चे पढ़ते थे। लेकिन धीरे धीरे बच्चों की संख्या कम होते होते एक ही रह गई। जबकि स्कूल का खर्चा सालाना 12 लाख रुपए है। 

कीर्थाना बाकी बच्चों की तरह अपने स्कूल में दोस्तों के साथ नहीं खेल पातीं। ना वो लंच शेयर कर सकती हैं ना ही किसी से बात कर पाती है लेकिन पढ़ाई मन लगा के करती हैं। हालांकि मनोवैज्ञानिक एंगल से देखें तो अकेले बच्चे वाली इस स्कूल में पढ़ने से कीर्थाना का सामाजिक और मानसिक विकास प्रभावित हो सकता है लेकिन वह अभी इसी स्कूल में पढ़ाई करेगी।

कीर्थाना है स्कूल का आधार ।


जब एक एक कर सभी बच्चों ने स्कूल छोड़ दिया उस वक्त में भी कीर्थाना के पिता चाहते थे वह इसी स्कूल में पढ़े क्योंकि यह एकमात्र तरीका था स्कूल को बंद होने से बचाने का। कीर्थाना स्कूल का आधार है जिसके कारण ये स्कूल चल रहा है कीर्थाना के पिता नहीं चाहते गांव का ये स्कूल बंद हो।

अमूमन ये देखा जाता है कि स्कूल में काफी सालों से कोई नया एडमिशन नहीं होता तो उस पर ताला लग जाता है सरकारें तैयार रहती हैं ऐसे स्कूल को बंद करने के लिए जिनमें बच्चों की संख्या बेहद कम होती है। ऐसे दौर में तेलंगाना में ये कोशिश बताती है कि शिक्षापर सबका अधिकार है शिक्षा का ये मंदिर कभी बंद नहीं होना चाहिए।

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