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जगन्नाथ पुरी मंदिर में प्रवेश करते ही क्यों गायब हो जाती है समुद्र की आवाज? जानिए हनुमान जी से जुड़ा है रहस्य!

ओडिशा के पुरी में स्थित जगन्नाथ मंदिर अपने रहस्यों और चमत्कारों के लिए जाना जाता है, मान्यता है कि आज भी इस मंदिर में श्रीकृष्ण का दिल धड़क रहा है. इसलिए लाखों भक्त यहां दर्शन के लिए आते हैं. मंदिर के चमत्कारों और रहस्यों को जानकर अपना सिर भी झुकाते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि मंदिर में एक ऐसी दिव्य शक्ति मौजूद है जो तेज समुद्र की लहरों की आवाजों को अंदर प्रवेश करने ही नहीं देती है. इससे जुड़ी पौराणिक कथा जानिए.

ओडिशा के पुरी में स्थित जगन्नाथ मंदिर आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण तो है ही, लेकिन इससे जुड़े कई ऐसे रहस्य और चमत्कार हैं, जिनका जवाब विज्ञान के पास भी नहीं है. ऐसा ही एक रहस्य जुड़ा है मंदिर के पास के समुद्र से. कहा जाता है कि मंदिर के बाहर खड़े रहने पर समुद्र की लहरों की आवाज़ साफ सुनाई देती है, लेकिन जैसे ही कोई भक्त सिंह द्वार से मंदिर में प्रवेश करता है, यह आवाज़ अचानक गायब हो जाती है. मंदिर के अंदर जाते ही अचानक से समुद्र की लहरों की आवाज़ आनी बंद हो जाती है.

मंदिर के अंदर क्यों नहीं आती समुद्र की आवाज़?

इस चमत्कार के पीछे एक पौराणिक कथा है जो देवी सुभद्रा से जुड़ी है. कहा जाता है कि भगवान जगन्नाथ की बहन सुभद्रा समुद्र की तेज आवाज़ से परेशान रहती थीं. वे चाहती थीं कि मंदिर के अंदर शांति और एकांत बना रहे, ताकि भक्त बिना किसी व्यवधान के भगवान के दर्शन कर सकें. भगवान जगन्नाथ ने अपनी बहन की इच्छा का सम्मान करते हुए एक अद्भुत व्यवस्था की. जैसे ही कोई भक्त मुख्य प्रवेश द्वार (सिंह द्वार) से मंदिर में कदम रखता है, समुद्र की गर्जना अचानक थम जाती है. इसे एक दिव्य चमत्कार माना जाता है, जो दिखाता है कि भगवान अपने भक्तों और प्रियजनों की इच्छाओं को पूरा करने के लिए किसी भी नियम को बदल सकते हैं.

क्या भगवान हनुमान ने की थी जगन्नाथ मंदिर की रक्षा?

एक अन्य मान्यता के अनुसार, भगवान हनुमान को मंदिर की रक्षा का ज़िम्मा सौंपा गया है. हनुमान जी की शक्ति से समुद्र की आवाज़ मंदिर के अंदर प्रवेश नहीं कर पाती. इसके पीछे की वजह थी कि भगवान जगन्नाथ की निद्रा और मंदिर के भीतर के शांत वातावरण में कोई खलल न पड़े.

मंदिर के भीतर भक्तों को आते ही होता है अदृश्य शक्ति का एहसास!

ज्योतिष और आध्यात्मिक दृष्टि से मंदिर को सकारात्मक ऊर्जा और शांति का केंद्र माना जाता है. जैसे ही कोई भक्त इस पवित्र स्थल पर आता है, वह बाहरी शोर और नकारात्मक प्रभावों से मुक्त हो जाता है. मंदिर की वास्तुकला और देवताओं की ऊर्जा का संतुलन इस तरह से किया गया है कि यह बाहरी ध्वनि और कंपन को अवशोषित कर लेती है. यह एक तरह का ऊर्जा कवच बनाता है, जो मंदिर के भीतर हर किसी को पवित्र और शांत अनुभव प्रदान करता है..

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