काशी की चित्रकूट रामलीला न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर भी है. 485 सालों से चली आ रही ये रामलीला 22 दिनों तक भक्तों के बीच मुख्य आकर्षण का केंद्र बनी रहती है. राम, सीता और लक्ष्मण के जीवन के दृश्य आज भी श्रद्धालुओं के दिलों को छूते हैं और भव्यता का अनुभव कराते हैं.
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धर्म ज्ञान27 Sep, 202504:03 PM485 साल पुरानी रामलीला: आज भी 'राम-सिया' पहनते है वही मुकुट, काशी में ऐतिहासिक मंचन को देख छलक उठेंगी आंखें
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धर्म ज्ञान25 Aug, 202507:56 PMलहसुन प्याज का राहु-केतु से क्या है कनेक्शन? शास्त्रों में इन्हें क्यों माना गया है वर्जित
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान राहु और केतु ने छल से अमृत पी लिया था. तब भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से दोनों का सिर धड़ से अलग कर दिया था तब.
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Being Ghumakkad02 Jul, 202502:51 PMदिन में दो बार 'गायब' क्यों हो जाता है महादेव का ये अद्भुत मंदिर? क्या है इसका रहस्य?
इस मंदिर की सबसे बड़ी खासियत यह है कि उच्च ज्वार (High Tide) के समय यह पूरी तरह से पानी में डूब जाता है और दिखाई देना बंद हो जाता है. जैसे ही ज्वार उतरता है (Low Tide), मंदिर फिर से पूरी तरह से प्रकट हो जाता है. यह प्रक्रिया दिन में दो बार होती है – सुबह और शाम. जब पानी मंदिर को ढक लेता है, तो ऐसा लगता है मानो मंदिर समुद्र में समा गया हो. स्थानीय लोग इसे 'गायब होना' और 'प्रकट होना' कहते हैं, जो सचमुच एक अद्भुत अनुभव है. लोगों का मानना है की समुद्र देवता महादेव का जलाभिषेक स्वयं करते हैं. इस अद्भुत नज़ारे को देखने के लिए लोग दूर दूर से आते हैं.
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Being Ghumakkad10 Jun, 202507:20 PMमथुरा-वृंदावन की 'खोज' किसने की? जानें चैतन्य महाप्रभु से जुड़ा इसका अनसुना इतिहास
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, मथुरा भगवान कृष्ण का जन्मस्थान है, जबकि वृंदावन वह पवित्र भूमि है जहाँ उन्होंने अपना बचपन, युवावस्था की रासलीलाएं और अनगिनत चमत्कार किए. यमुना नदी के किनारे बसा यह क्षेत्र सदियों से भक्ति और अध्यात्म का केंद्र रहा है. हालाँकि, समय के साथ, आक्रमणों और प्राकृतिक परिवर्तनों के कारण वृंदावन का अधिकांश भाग घने जंगलों में तब्दील हो गया था, और कई महत्वपूर्ण लीला स्थल अदृश्य या विस्मृत हो गए थे.
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धर्म ज्ञान31 May, 202507:03 PMमाता पार्वती ने मां गंगा को दिया था मैली होने का श्राप! क्या भगवान शिव थे वजह?
माता पार्वती के श्राप के कारण ही मां गंगा पृथ्वी पर अवतरित हुईं और आज भी उन्हें पवित्र माना जाता है. लोग अपने पापों को धोने और मोक्ष प्राप्त करने के लिए उनमें स्नान करते हैं, जो उनके दिव्य और कल्याणकारी स्वरूप को दर्शाता है.
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धर्म ज्ञान23 Aug, 202406:09 PMजन्माष्टमी के पर्व पर इन गलतियों से बचें, नहीं तो हो जाएगा नुकसान !
जन्माष्टमी को भक्त बेहद धूमधाम से मनाते हैं, उपवास रखते हैं और श्री कृष्ण की आराधना करते हैं। माना जाता है की इस दिन सच्चे मन से मांगी गई सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।